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मैंने किया विगत में कुछ पुण्य पाप, आ रहा उदय में जो स्वयमेव आप, होगा न बांध तब्लो जैब्लो न राग, चिंता नहीं उदय की बन वीतराग|
– मुनि श्री १०८ क्षमा सागरजी महाराज
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