Bhaktamar Stotra 41 to 48
आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 2. Stotra 9 to 16 3. Stotra 17 to 24 4. Stotra 25 to 32 << 5. Stotra 33 to 40 6. Stotra 41 to 48 41. सर्प विष निवारक रक्तेक्षणं समदकोकिलकण्ठनीलं, ऋाधोद्धतं फणिनमुत्कणमापन्तम्। आक्रामति क्रमयुगेन निरस्तशङ्क-स्त्वन्नामनागदमनी हृदि यस्य […]
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