दशलक्षण-पूजा
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देव-शास्त्र-गुरु -बाल ब्रह्मचारी रवीन्द्र जी आत्मन कृत-देव-शास्त्र-गुरुवर Author:Bal Brahmachari Ravindra Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja देव-शास्त्र-गुरुवर अहो! मम स्वरूप दर्शाय।किया परम उपकार मैं, नमन करूँ हर्षाय॥जब मैं आता आप ढिंग, निज स्मरण सु आय।निज प्रभुता मुझमें प्रभो! प्रत्यक्ष देय दिखाय॥ ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्रगुरु समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् […]
देव-शास्त्र-गुरु -पण्डित हुकमचन्द भारिल्ल कृत -शुद्ध ब्रह्म परमात्मा Author: Pandit Hukamchand BharilLanguage : HindiRhythm: – Type: PoojaParticulars: Dashlakshan Pooja शुद्ध ब्रह्म परमात्मा, शब्दब्रह्म जिनवाणी।शुद्धातम साधक दशा, नमो जोड़ जुग पाणि। ॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनंॐ ह्रीं देवशास्त्रगुरुसमूह! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् […]
क्षमावणी Author: Language : Hindi Rhythm: Type: Pooja Particulars: Kshamavani Puja वर्धमान अतिवीर वीर प्रभु सन्मति महावीर स्वामीवीतराग सर्वज्ञ जिनेश्वर अन्तिम तीर्थंकर नामी ॥श्री अरिहंतदेव मंगलमय स्व-पर प्रकाशक गुणधामी महाभक्ति से पूजा करता, क्षमामयी परमातम की ।अन्तर्मुख हो कर भावना, क्षमा स्वभावी आतम की॥ शुद्धातम- अनुभूति होते, ऐसी तृप्ति प्रगटाती ।क्रोधादिक दुर्भावों की सब, […]
देव-शास्त्र-गुरु – युगलजी कृत-केवल-रवि किरणों Author: Yugul Ji Language : Hindi Rhythm: फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja केवल-रवि किरणों से जिसका, सम्पूर्ण प्रकाशित है अंतर ।उस श्री जिनवाणी में होता, तत्त्वों का सुंदरतम दर्शन ॥ सद्दर्शन-बोध-चरण पथ पर, अविरल जो बढते हैं मुनि-गण ।उन देव परम आगम गुरु को, शत-शत […]
देव-शास्त्र-गुरु – युगलजी कृत-केवल-रवि किरणों Author: Yugul Ji Language : Hindi Rhythm: फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja केवल-रवि किरणों से जिसका, सम्पूर्ण प्रकाशित है अंतर ।उस श्री जिनवाणी में होता, तत्त्वों का सुंदरतम दर्शन ॥ सद्दर्शन-बोध-चरण पथ पर, अविरल जो बढते हैं मुनि-गण ।उन देव परम आगम गुरु को, शत-शत […]
दशलक्षण-धर्म Author: Nathulal Language : Hindi Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja उत्तम क्षमा मारदव आरजव भाव हैं,सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैंआकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दश सार हैं,चहुँगति-दुखतैं काढ़ि मुकति करतार हैं ॥ ॐ ह्रीं श्री उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं श्री उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्म ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठः स्थापनंॐ ह्रीं श्री […]
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