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Category: Nitya Puja

नित्य-पूजा

Nov 11
Bhudhar Shatak 15-to-21

Menu पूजा-pooja – Digambar Jain Poojas Close Nitya Puja – नित्य-पूजा SAMAYIK PAATH AMULYA TATVA VICHAR DUKH-HARAN VINATI ALOCHANA PAATH ARHAT VANDANA Close दशलक्षण-पूजा-Dashlakshan-Pooja – दशलक्षण-पूजा Close Bhaktamar Stotra – Acharya Mantung created भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत) | BHAKTAMAR STOTRA (SANSKRIT) which consist of 48 shloks Close Designed with devotion by Digjainwiki TeamClick here to Close भूधर-शतक […]

Nov 11
Bhudhar Shatak 8-to-14

Menu पूजा-pooja – Digambar Jain Poojas Nitya Puja – नित्य-पूजा SAMAYIK PAATH AMULYA TATVA VICHAR DUKH-HARAN VINATI ALOCHANA PAATH ARHAT VANDANA दशलक्षण-पूजा-Dashlakshan-Pooja – दशलक्षण-पूजा Bhaktamar Stotra – Acharya Mantung created भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत) | BHAKTAMAR STOTRA (SANSKRIT) which consist of 48 shloks Designed with devotion by Digjainwiki TeamClick here to Close भूधर-शतक ८-से-१४ Author: Language : HindiRhythm: […]

Nov 10
Bhudhar Shatak 1-to-7

Menu पूजा-pooja – Digambar Jain Poojas Nitya Puja – नित्य-पूजा SAMAYIK PAATH AMULYA TATVA VICHAR DUKH-HARAN VINATI ALOCHANA PAATH ARHAT VANDANA दशलक्षण-पूजा-Dashlakshan-Pooja – दशलक्षण-पूजा Bhaktamar Stotra – Acharya Mantung created भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत) | BHAKTAMAR STOTRA (SANSKRIT) which consist of 48 shloks Designed with devotion by Digjainwiki TeamClick here to Close भूधर-शतक- १-से-७ Author: Language : HindiRhythm: […]

Nov 10
Vairagya Bhavna

वैराग्य-भावना Author: Pandit BhudhardasjiLanguage : HindiRhythm: Type: Vairagya BhavanaParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha बीज राख फल भोगवै, ज्यों किसान जगमाहिंत्यों चक्री सुख में मगन, धर्म विसारै नाहिं ॥ इहविध राज करै नर नायक, भोगे पुण्य विशालोसुख सागर में रमत निरन्तर, जात न जान्यो कालो ॥एक दिवस शुभ कर्म संयोगे, क्षेमंकर मुनि वन्देदेखि श्रीगुरु के पद […]

Nov 10
DEV-SHASHTRA-GURU-VANDANA

देव-शास्त्र-गुरु-वंदना Author: Language : HindiRhythm: Type: Dev Shashtra Guru VandanaParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha देव वंदना सुध्यान में लवलीन हो जब, घातिया चारों हने ।सर्वज्ञ बोध विरागता को, पा लिया तब आपने ।उपदेश दे हितकर अनेकों, भव्य निज सम कर लिये ।रविज्ञान किरण प्रकाश डालो, वीर! मेरे भी हिये ॥ शास्त्र वंदना स्याद्वाद, नय, षट् द्रव्य, […]

Nov 10
NIRVAN KAAND

निर्वाण-कांड Author: Bhaiya BhagwatidasjiLanguage : HindiRhythm: Type: Nirvan KaandParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha वीतराग वंदौं सदा, भावसहित सिरनायकहुं कांड निर्वाण की भाषा सुगम बनाय ॥ अष्टापद आदीश्वर स्वामी, बासु पूज्य चंपापुरनामीनेमिनाथस्वामी गिरनार वंदो, भाव भगति उरधार ॥१॥ चरम तीर्थंकर चरम शरीर, पावापुरी स्वामी महावीरशिखर सम्मेद जिनेसुर बीस, भाव सहित वंदौं निशदीस ॥२॥ वरदतराय रूइंद मुनिंद, […]

Nov 10
SAMAYIK PAATH

सामायिक-पाठ Author: Acharya AmitgatijiLanguage : Hindi (Pandit Yugalji)Rhythm: Type: Samayik PaathParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha सत्त्वेषु मैत्रीं गुणिषु प्रमोदं क्लिष्टेषु जीवेषु कृपापरत्वंमाध्यस्थभावं विपरीतवृत्तौ, सदा ममात्मा विदधातु देव ॥१॥ Hindi Translation मेरा आतम सब जीवों पर, मैत्री भाव करेगुण-गण मंडित भव्य जनों पर, प्रमुदित भाव रहे ॥दीन दुखी जीवों पर स्वामी, करुणा भाव करेऔर विरोधी के […]

Nov 10
AMULYA TATVA VICHAR

अमूल्य-तत्त्व-विचार Author: Shrimad RamchandraLanguage : HindiRhythm: Yaman Kalyan Type: Amulya Tatva VicharParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha बहु पुण्य-पुंज प्रसंग से शुभ देह मानव का मिलातो भी अरे! भव चक्र का, फेरा न एक कभी टला ॥१॥ सुख-प्राप्ति हेतु प्रयत्न करते, सुख जाता दूर हैतू क्यों भयंकर भाव-मरण, प्रवाह में चकचूर है ॥२॥ लक्ष्मी बढ़ी अधिकार […]

Nov 10
DUKH-HARAN VINATI

दुखहरन-विनती Author: Pandit VrundawandasjiLanguage : HindiRhythm: – Type: Dukh-Haran VinatiParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha श्रीपति जिनवर करुणायतनं, दुखहरन तुम्हारा बाना हैमत मेरी बार अबार करो, मोहि देहु विमल कल्याना है ॥टेक॥ त्रैकालिक वस्तु प्रत्यक्ष लखो, तुम सों कछु बात न छाना हैमेरे उर आरत जो वरतैं, निहचैं सब सो तुम जाना है ॥१॥ अवलोक विथा […]

Nov 09
ALOCHANA PAATH

आलोचना-पाठ Author: Shri JoharilaljiLanguage : HindiRhythm: – Type: Alochana PaathParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha ॥ दोहा ॥ वंदो पांचो परम – गुरु, चौबिसों जिनराजकरूँ शुद्ध आलोचना, शुद्धि करन के काज ॥१॥ ॥ सखी छन्द ॥ सुनिए जिन अरज हमारी, हम दोष किये अति भारीतिनकी अब निवृति काजा, तुम शरण लही जिनराजा ॥२॥ इक बे ते […]

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