Previous Next मेरी जीवन गाथा ! मोक्ष मार्ग पर आरोहण – अंतर्मुखी मुनी श्री १०८ पूज्य सागरजी महाराज (अंतर्मुखी मुनि श्री १०८ पूज्य सागर महाराज के ९वें दीक्षा दिवस पर श्रीफल जैन न्यूज में उन्हीं की कलम से उनकी जीवनगाथा प्रस्तुत की जा रही है।) १. अहसास घर में था, तब भी विचार आते थे […]
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Jeevan Parichay देव-मनुष्य “सिद्धप्पा ४ , मुनि का आशीर्वाद लेकर चिन्नव्वा बालक के साथ घर लौटी | बालक चलने लगा, यह देख सब अचम्भे में पड़ गये। चिन्नव्वा ने वस्तुस्थिति कह सुनायी। ‘श्रीसिद्ध’ महाराज के आशीर्वाद से बालक का पंगुत्व चला गया, इससे सब उसे ‘सिद्धप्पा’ नाम से पुकारने लगे। श्रीगुरु के कथनानुसार यह ge […]
Pictures reference for Bhaktamar Stotra Bhaktamar stotra book translated in Marathi by Muni Shri 108 Akshay Sagarji Maharaj and Published by Shanti Vidya Gyan Sanwardhan Samiti, Sangli To get this book please contact Mahavir Bhaiya – Jaisinghpur 8975541251
आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 2. Stotra 9 to 16 3. Stotra 17 to 24 4. Stotra 25 to 32 << 5. Stotra 33 to 40 6. Stotra 41 to 48 41. सर्प विष निवारक रक्तेक्षणं समदकोकिलकण्ठनीलं, ऋाधोद्धतं फणिनमुत्कणमापन्तम्। आक्रामति क्रमयुगेन निरस्तशङ्क-स्त्वन्नामनागदमनी हृदि यस्य […]
आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 2. Stotra 9 to 16 << 3. Stotra 17 to 24 4. Stotra 25 to 32 5. Stotra 33 to 40 >> 6. Stotra 41 to 48 Next >> 25. नजर (दृष्टी दोष) नाशक बुद्धस्त्वमेव विबुधाचितबुद्धबोधात्, त्वं शङ्करोऽसि भुवनत्रयशङ्करत्वात्। […]
Bhaktamar Stotra 9 to 16 with Audio and Translation for effective reciting. आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत > 09. सर्वभय निवारक आस्तां तव स्तवनमस्तसमस्तदोषं, त्वत्सङ्कथापि जगतां दुरितानि हन्ति। दूरे सहस्रकिरणः कुरुते प्रभैव, पद्माकरेषु जलजानि विकासभाञ्जि ॥९॥ अन्वयार्थ – (तव) तुम्हारा ( अस्तसमस्तदोषम्) निर्दोष (स्तवनम्) स्तवन (आस्ताम्) दूर रहे, किन्तु (त्वत्सङ्कथा) तुम्हारी […]
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