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#AarjavSagarJiMaharaj1967VidyaSagarJi
Acharya Shri Arjav sagarji Maharaji
बचपन से ही आप अलग स्वभाव के रहे। लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि आप एक ब्रम्हचर्य का रास्ता अपना लेंगे। और देश दुनिया के लोग आपके आगे नतमस्तक होंगे।
परिचय
1.) पूर्वनाम -पारसचंद जैन
2.) पिताजी -श्री शिखरचंद जैन
3.) माताजी - श्रीमती मायाबाई जैन
4.)जन्मतिथि - ११.९.१९६७ भाद्र शु. अष्टमी
5.)जन्मस्थल फुटेराकलाँ, जिलादमोह, बचपन बीता - पथरिया, जिला-दमोह (म.प्र.) 6.)शिक्षण बी.ए. (प्रथमवर्ष)
7.) ब्रह्मचर्य व्रत १९.१२.१९८४ अतिशय क्षेत्र पनागर
8.) क्षुल्लक दीक्षा - ८.११.१९८५ सिद्धक्षत्रअहार जी 9.)ऐलक दीक्षा १०.७.१९८७ अतिशय क्षेत्र थूवोनजी
10.)मुनि दीक्षा ३१.३.१९८८ सिद्धक्षेत्रसोनागिरिजी 11.)दीक्षागुरु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
12.)कृतियाँ धर्मभावनाशतक, जैनागमसंस्कार, तीर्थोदय काव्य, नेक जीवन, परमार्थ साधना, बचपन का संस्कार, आर्जववाणी, अनेक अष्टक एवं हिन्दी, तमिल, कबड, मराठी में कविताएँ, पद्यानुवाद गोम्मटेश थुदि, बारसाणुवेक्खा, इष्टोपदेश
10/05/2023
पंचम काल में चतुर्थ काल की चर्या
आचार्य गुरुदेव श्री 108 आर्जवसागर जी मुनिराज का संघ सहित सिग्रामपुर से जबेरा की ओर विहार चल रहा था किंतु सूरज ढलने लगा था पर आचार्य संघ के चरण जबेरा से अभी दूर थे तो रात्रि में उनके चलने से जीवो की हिंसा न हो इसलिए सिग्रामपुर के घनघोर बियावान जंगल मे उनके चरण थम गए और वही साधना में लग गए I
From a book Written by Aacharya Shree.
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From a book Written by Aacharya Shree.
आचार्य श्री १०८ आर्जव सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
अक्षत जैन
26-Oct-2020
AarjavSagarJiMaharaj1967VidyaSagarJi
Acharya Shri Arjav sagarji Maharaji
बचपन से ही आप अलग स्वभाव के रहे। लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि आप एक ब्रम्हचर्य का रास्ता अपना लेंगे। और देश दुनिया के लोग आपके आगे नतमस्तक होंगे।
Acharya shree Aarjav Sagar ji Maharaj was born in 1967 on 11th september in Futera Kalan , Madhya Pradesh .
He was formerly known as Paras Chand Jain before his Diksha. His fathers’ name is Shri Shikhar Chand Jain and mother’s name is Shri Mati Mayabai Jain.
He took his brahmacharya vrat on 11th December,1984 at the age of 17 in Atishaya Khestra Panagar , Madhya Pradesh .He took his Muni diksha on 31st March 1988 at Sonagiri Jain Hill temples under Aacharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj .
He always had a different nature from childhood. But nobody thought that he would take the path of brahmacharya. And the people of the world will bow before him.
https://jainmunilocator.org/munis.php?id=64
Acharya Shri 108 Aarjav Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Aacharya Shree 108 Vidhya sagar Ji Maharaj
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