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#SuryaSagarJiMaharaj1937SubahuSagarJi
Acharya Shri 108 Surya Sagar Ji was born on 13 September 1937 in Gram Halga,Dist-Belgaon,Karnataka.His name was Parasnath Jain before Diksha.He received initiation from Acharya Shri 108 Subaahu Sagar Ji Maharaj.
आचार्य सूर्यसागरजी महाराज का जन्मस्थान भी हलगा जि. बेलगाव ही है। आपका जन्म १३ सितंबर १९३७ में श्री तवनाप्पाजी के घर माँ गंगादेवी के कुक्षी से हुआ | आपका परिवार गांव के ही जिन मंदिर की परी व्यवस्था में लगा था भ. पारसनाथजी की भक्ति में लिन रहने से परिवार वालोने आपका नाम पारस ही रख दिया। परीवार मे आपकी केवल ३ बहने हीथी। वैसे आपको गुरु सानिध्य देरी से मिला तब तक परीवार वालों ने आपका विवाह कर दिया था । आपके २ बेटो का हरा भरा परिवार तजकर सन १९९४ में विजयनगर गुजरात में सर्वप्रथम क्षुल्लक दीक्षा आ. सुबाहुसागरजी महाराज से ग्रहण की। तथा मुनिदीक्षा जन्मस्थली हलगा में ही ग्रहण की । आप मे गुरु भक्ति कुट कुट कर भरी हई थी प्रत्यक्षदर्शी भी आपके गरु भक्ति से प्रभावित होकर आपके शिष्य बने। गुरु। सेवा के साथ साथ आप आत्मा के पोषक गुणों की भी सेवा करतेथेयही कारण था कि आपने कईव्रतों को करने की कठोर साधना का अवलंबन लिया। आपने कर्मदहन के १५६-१५६ उपवास तीन बार तथा सोलहकारण के ३२-३२उपवासभी तीन बार किये। मुबई मे सिंह निष्किडीत के १५६ उपवास की साधना सहित आपके उपवासों की संख्या करीब २२५४ है। पूज्य आचार्य श्री ने गुरु सानिध्य सेही १२ वर्ष की नियमसंल्लेखना ले लीथी जो फरवरी २०१७ मे पूर्ण होने वाली थी।
आचार्यश्री सूर्यसागरजी महाराज का जीवन पूर्णत: त्याग-तपस्या के साथ व्यतीत हुआ।उन्होंने सोलहकारण, कवलचंद्राणी आदि व्रतों समेत करीब 2,200 उपवास किए। उन्होंने मुनि दीक्षा के एक वर्ष बाद ही 12 वर्ष की नियम सल्लेखना ग्रहण कर ली थी।आचार्यश्री सूर्यसागरजी ने बसंत पंचमी 2017 (1 फरवरी) को यम सल्लेखना ग्रहण कर ली। उन्होंने 28 जनवरी 2017 को अपना आचार्य पद त्याग दिया। आचार्यश्री वैराग्यनन्दिजी महाराज के और अनेक साधुगण -माताओं के सान्निध्य में उनकी समाधि मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्रमें 19 फरवरी 2017 को हो गई.
#SuryaSagarJiMaharaj1937SubahuSagarJi
आचार्य श्री १०८ सूर्य सागरजी महाराज
Acharya Shri 108 Subahu Sagarji Maharaj 1924
आचार्य श्री १०८ सुबाहु सागरजी महाराज १९२४ Acharya Shri 108 Subahu Sagarji Maharaj 1924
चातुर्मास मुनिश्री सूर्यसागरजी महाराज ने क्षुल्लक दीक्षा के बाद अपने चातुर्मास हलगा, कुडची,वसद, हलगा, नंदीश्वर आदि में करके इक्कीसवीं शताब्दी के 2011 तक के चातुर्मास दीक्षा गुरु आचार्यश्री के संघस्थ रहकर पोदनपुर-मुंबई में किए। आचार्य पद पर आसीन होने के बाद उनका 2012 का चातुर्मास पोदनपुर तीर्थ-मुंबई में ही हुआ। तत्पश्चात आचार्यश्री सूर्यसागरजी महाराज वर्ष 2017 तक लगातार पांच वर्षों के लिए सिद्ध क्षेत्र मांगीतुंगी में साधनारत रहे।
संतोष खुले जी ने महाराजजी का विकीपेज बनाया है | दिनांक १० जुलै २०२२
Dipika Hiralal Padliya,Kandivali east , Mumbai
Sanjul Jain created wiki page for Maharaj ji on 15-Feb-2021
SubaahuSagarJiMaharaj1924SupaarshwaSagarJi
Acharya Shri 108 Surya Sagar Ji was born on 13 September 1937 in Gram Halga,Dist-Belgaon,Karnataka.His name was Parasnath Jain before Diksha.He received initiation from Acharya Shri 108 Subaahu Sagar Ji Maharaj.
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Acharya Shri 108 Surya Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ सुबाहु सागरजी महाराज १९२४ Acharya Shri 108 Subahu Sagarji Maharaj 1924
आचार्य श्री १०८ सुबाहु सागरजी महाराज १९२४ Acharya Shri 108 Subahu Sagarji Maharaj 1924
Acharya Shri 108 Subahu Sagarji Maharaj 1924
चातुर्मास मुनिश्री सूर्यसागरजी महाराज ने क्षुल्लक दीक्षा के बाद अपने चातुर्मास हलगा, कुडची,वसद, हलगा, नंदीश्वर आदि में करके इक्कीसवीं शताब्दी के 2011 तक के चातुर्मास दीक्षा गुरु आचार्यश्री के संघस्थ रहकर पोदनपुर-मुंबई में किए। आचार्य पद पर आसीन होने के बाद उनका 2012 का चातुर्मास पोदनपुर तीर्थ-मुंबई में ही हुआ। तत्पश्चात आचार्यश्री सूर्यसागरजी महाराज वर्ष 2017 तक लगातार पांच वर्षों के लिए सिद्ध क्षेत्र मांगीतुंगी में साधनारत रहे।
Dipika Hiralal Padliya,Kandivali east , Mumbai
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SubaahuSagarJiMaharaj1924SupaarshwaSagarJi
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SuryaSagarJiMaharaj1940SubahuSagarJi
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