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Acharya Vardhaman Sagarji - Sanvad Dikshaye and relatives
Acharya Vardhaman Sagarji - Sanvad Dikshaye and relatives
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महावीर जी मे पति एवम पत्नी को दिगम्बर दीक्षा 29 अगस्त को देगे।
श्री महावीरजी
एक ओर जहां राजनीति में परिवारवाद ,भाई भतीजावाद देखने को मिलता है ।चाहे ग्राम पंचायत का पंच सरपंच हो या पार्षद पद हो या विधायक पद हो सांसद पद मंत्री का पद हो सब में परिवार को आगे बढ़ाया जाता है ।इसी प्रकार अगर देखे हैं तो जैन धर्म में भी अध्यात्म की दृष्टि से परिवारवाद चलता है ।यहां पर परिवारवाद संन्यास मार्ग को लेकर है ,अर्थात परिवार में पति और पत्नी एक साथ दीक्षा लेते हैं, वही सगे भाई भाई भी साथ साथ दीक्षा लेते हैं ,या दादाजी दीक्षा लेते हैं ,तो पोती भी दीक्षा लेती है ।या देखे तो दादाजी ने भी दीक्षा ली ,पिता ने भी दीक्षा ली ,और पोते ने भी दीक्षा ली। ऐसा भी देखने में आया कि परिवार के सभी सदस्यों ने माता ने पिता ने भाइयों ने बहनों , भी संन्यास मार्ग पर आगे बढ़े हैं यह जैन धर्म की क्रिया सभी के लिए अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है आज हम कुछ ऐसी दीक्षाओँ की जानकारी आपको देंगे जो सभी के लिए प्रेरक रहेगी।
आज पहले पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज द्वारा दी जा रही तथा दी गई दीक्षाओं की जानकारी दे रहे है
दादीजी ,पोती और भतीजा
आचार्य श्री ने सबसे पहले श्री चारित्र सागर जी महाराज को 1993 में मुनि दीक्षा दी श्री, चारित्र सागर जी की प्रेरणा से उनकी पोती ब्रह्मचारिणी सिद्धा दीदी ने भी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज से 2018 श्रवणबेलगोला में आर्यिका दीक्षा लेकर आर्यिका 105 श्री महायशमती नाम प्राप्त किया।
इसी प्रकार नरेंद्र ने भी आचार्य श्री सन्मति सागर जी से दीक्षा लेकर मुनि श्री श्रेष्ठ सागर बने।
सगे भाइयों की दीक्षा
किशनगढ़ गौरव पूज्य मुनि श्री निस्पृह सागर जी महाराज ने आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से वर्ष 2009 में मुनि दीक्षा ली। आपके भाई सा ने भी आचार्य श्री से सन 2011 में दीक्षा लेकर मुनि श्री भविक सागर जी बने।
इसी प्रकार मुनि श्री प्रभव सागर जी एवम मुनि श्री सहिष्णु सागर जी ने भी एक साथ सन 2015 में आचार्य श्री से दीक्षा ली।
पति एवम पत्नी ने एक साथ दीक्षा ली
बड़वाह मध्यप्रदेश के श्री दर्शित सागर जी एवम आर्यिका श्री दर्शना मति जी ने भी एक साथ सन 2016 में आचार्य श्री से सिद्धवरकूट में दीक्षा ली धरियावद के श्री श्रेयस सागर जी महाराज ने आचार्य श्री से सन 2015 में मुनि दीक्षा ली, वही आर्यिका श्री श्रेय मति जी की दीक्षा भी सन 2016 में आचार्य श्री के कर कमलों से हुई।
पुत्री ओर माता की दीक्षा
पूज्य आर्यिका 105 श्री वर्धित मति जी की आर्यिका दीक्षा सन 1997 में हुई। आपकी जन्म दायिनी माता की दीक्षा सन 2015 में आचार्य श्री द्वारा हुई आपका नाम आर्यिका 105 श्री अमूर्तमति माताजी किया गया। आपके पिता भी मुनि श्री 108 धर्मकीर्ति जी महाराज थे। आपकी एक पुत्री भी समाधिस्थ आर्यिका 105 श्री प्रशांत मति जी कि दीक्षा मुनि श्री 108 दयासागर जी महाराज से सलूम्बर में चैत्र शुक्ला 14 दिनांक 23 अप्रैल 1986 को हुई थी।
पति माता और सास की दीक्षा
आचार्य श्री ने सन 2015 में आर्यिका 105 श्री विचक्षण मति जी को दीक्षा दी, आपके गृहस्थ अवस्था के पति ने भी साथ मे क्षुल्लक दीक्षा लेकर श्री विशाल सागर जी बने। आपकी
जन्मदात्री माता की तथा सास की सन 2022 महावीर जी मे आचार्य श्री से दीक्षा हुई, जो क्रमशः क्षुल्लिका 105 श्री शीलमति माताजी एवम 105श्री शांतमति बनी।
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ने सन 2003 में आर्यिका 105 श्री मूर्तिमति माताजी को दीक्षा दी। आपकी पुत्री भी आर्यिका 105 श्री सुवैभव मति माताजी दाहोद गुजरात थी।
पोता पिता दादा
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने श्री नवरत्न पहाड़िया को सन 2000 नेमिसागर कॉलोनी जयपुर में मुनि श्री
108 देवेंद्र सागर जी महाराज को मुनि दीक्षा दी।आपकी समाधि कानपुर में सन 2013 में हुई। आपके पिता को
आचार्य श्री धर्म सागर जी ने मुनि दीक्षा देकर मुनि श्री 108 जिनेन्द्र सागर महाराज बनाया वही पुत्र की दीक्षा आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर जी महाराज से जयपुर में 18 अप्रैल 2013 को हुई ।आप मुनि श्री 108 पीयूष सागर जी बने ।
पिता माता पुत्री साधु
आचार्य श्री ने आर्यिका 105 श्री दिव्यांशु मति माताजी को वर्ष 2010 में दीक्षा दी। आपके माता पिता ने आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज से दीक्षा ली।आपकी माता भी आर्यिका 105 श्री सुपार्श्वमति माताजी तथा पिता भी मुनि श्री 198 आनन्द सागर जी महाराज थे।
आर्यिका 105 श्री गुप्तिमति माताजी को आचार्य श्री ने बड़के बालाजी में सन 2016 में दीक्षा दी।आपकी समाधि अगस्त 2022 में श्याम नगर जयपुर में हुई।आपकी माता को गणनी आर्यिका 105 श्री सुपार्श्वमति माताजी ने दीक्षा देकर आर्यिका 105 श्री निश्चलमति माताजी तथा आपकी पुत्री डॉ प्रमिला को भी आर्यिका दीक्षा देकर आर्यिका 105श्री गौरवमति माताजी नामकरण किया। आपकी समाधि 25 अगस्त 2022 को भट्टारक जी की नसिया जयपुर में हुई।
प्रथमाचार्य चारित्र चकवती आचार्य 108 श्री शांतिसागर जी महाराज ने अपने छोटे भाई को दीक्षा दी और नाम मुनि श्री 108 वर्द्धमान सागर जी किया
प्रथम पट्टाधीश आचार्य श्री वीर सागर जी।
प्रथम पट्टाधीश आचार्य श्री वीर सागर जी ने आर्यिका 105 श्री ज्ञानमती माताजी को आर्यिका दीक्षा सन 1956 में दी। इस परिवार से आर्यिका 105 श्री रत्नमति माताजी, आर्यिका 105 श्री चन्दनामति माताजी, आर्यिका 105 श्री अभयमति माताजी भी हुई है। आपको आचार्य श्री
धर्मसागर जी ने दीक्षा दी।बाल ब्रह्मचारी श्री रविंद्रकीर्ति जी भी प्रतिमा धारी है। आचार्य 108 कल्प श्री श्रुतसागर जी महाराज की दीक्षा आचार्य श्री वीर सागर जी महाराज से हुई।पूर्व में पुत्री को आचार्य श्री 108 धर्मसागर जी महाराज ने दीक्षा दी, आर्यिका 105 श्री श्रुतमति माताजी नामकरण हुआ। पूर्व में पत्नी को मुनि श्री गुण सागर जी महाराज ने दीक्षा दी थी। उनका नाम आर्यिका 105श्री समतामति माताजी किया गया ।
द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री शिव सागर जी
द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री
शिवसागर जी महाराज ने मुनि श्री 108 श्रेयांस सागर जी, आर्यिका 105श्री श्रेयांसमति माताजी तथा आर्यिका 105श्री अंरहमति माताजी को दीक्षा दी आप क्रमशः पति पत्नी और माता थे।
तृतीय पट्टाधीश आचार्य श्री धर्म सागर जी
तृतीय पट्टाधीश आचार्य श्री धर्म सागर जी ने मुनि श्री मल्ली सागर जी, आर्यिका श्री समय मति जी को दीक्षा संवत 2032 मुजफ्फरनगर में दी गई। आपके 3 पुत्रो ने भी मुनि दीक्षा लेकर आचार्य श्री विद्या सागर जी, मुनि श्री समय सागर जी तथा मुनि श्री योग सागर जी बने। आपकी दोनों पुत्रियां भी ब्रह्मचारिणी है। तथा एक अन्य पुत्र ने भी अगस्त 2022 में 7 प्रतिमा ली है।
आचार्य श्री धर्म सागर जी के शिष्य मुनि श्री अमित सागर जी की पूर्व गृहस्थ अवस्था की माता जी ने भी आर्यिका दीक्षा आचार्य श्री अभिनंदन सागर जी से लेकर आर्यिका श्री प्रवेश मति जी बनी थी।
आचार्य श्री धर्म सागर जी ने मुनि श्री विपुल सागर जी एवम मुनि श्री महेंद्र सागर जी को दीक्षा दी। दोनो सगे भाई है
चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजित सागर जी
चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजित सागर जी के शिष्य मुनि श्री पुण्य सागर जी है आपने भी गृहस्थ अवस्था के पिता श्री पन्नालाल जी को 8 अक्टूम्बर 2006 को श्रवण बेलगोला में दीक्षा देकर नाम श्री परमेष्ठी सागर जी दिया।इसी प्रकार गृहस्थ अवस्था की माता को भी दीक्षा दी।आपका नाम पुण्य मति किया गया। पूर्व में बड़े भाई श्री प्रकाश जी मेहता को भी गोहाटी में दीक्षा देकर मुनि श्री महोत्सव सागर नाम दिया।
ऐसे अनेक उदाहरण अन्य आचार्य संघ में हो सकते है । जानकारीअधूरी होने से नही लिखा जा रहा है। आपको
यदि जानकारी भेजते है तो स्वागत है हम अपडेट करेंगे।
सनावद के वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी है
में भी सनावद का हु इस कारण सनावद के 16 साधुओं को स्मरण करना नैतिक धर्म है। सनावद के 16 साधुओ की दीक्षा हुई है।वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी, मुनि श्री चारित्र सागर जी, मुनि श्री अपूर्व सागर जी, मुनि श्री अर्पित सागर जी ,मुनि श्री प्रशस्त सागर जी, मुनि प्रयोग सागर जी, मुनि प्रबोध सागर जी, मुनि श्री अमेय सागर जी, मुनि श्री श्रेष्ठ सागर जी, मुनि श्री सुहित सागर जी, महाराज आर्यिका श्री सुदृढ़मति जी, आर्यिका श्री तपस्वनीमति जी,आर्यिका श्री
क्षीरमति जी, आर्यिका श्री देशनामति जी,आर्यिका श्री महायशमती जी
क्षुल्लक श्री मोती सागर जी
राजेश पंचोलिया इंदौर
राजेश पंचोलिया इंदौर
Rajesh Pancholiya Indore
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