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#ChandravatiMataJi(VelhePune)
Aryika Shri 105 Chandravati Mata ji was born in Velhe Gaon,Dist-Pune,Maharashtra.Her name was Kesar Bai before diksha.She received the initiation from Acharya Shri 108 Shanti Sagar Ji Maharaj.
चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शान्ति सागरजी महाराज ने केशरबाई को दीक्षा देते समय कहा था कि नमूना तो बनो। उस समय तक कोई स्त्री दीक्षित नहीं हुई थी। परमपूज्य आचार्य महाराज बारम्बार प्रार्थना करने पर भी दीक्षा नहीं देते थे परन्तु उन्होंने केशर बाई को सत्पात्र विचार कर एक ही दिन के बाद दीक्षा देकर कृतार्थ किया।
संयम के सुवास से समलंकृत सत्य एवं श्रद्धा की मूर्तिमान स्वरूप परमपूज्य आर्यिका श्रेष्ठ माता चन्द्रवतीजी के गृहस्थावस्था का नाम केशर बाई था। वे वाल्हे गांव ( जिला-पूना ) की हैं । उनका विवाह तेरह वर्ष की अवस्था में हुआ था। उनका शरीर बड़ा बलशाली था। जो भी उनके सुदृढ़ शरीर को देखता था वह उससे प्रभावित हो जाता था। _ इन्होंने प्रारम्भ में बम्बई के श्राविकाश्रम में जाकर शिक्षा ग्रहण की। उसकी संचालिका महिलारत्न मगनबाई और उनकी सहायिका कक्कूबाई और ललिताबाई थीं। पर पिताजी ने इन्हें घर पर ही बुलाकर पं० नानाजी नाग के तत्वावधान में इन्हें शिक्षा दिलाई। माताजी को व्रत उपवास करने में बड़ा आनन्द प्राया करता था। उन्होंने चारित्र शुद्धि व्रत को, जिसमें १२३४ उपवास होते हैं, किया था। इन्होंने अनेक प्रकार के तप किये। पूज्य माताजी का जन साधारण पर उनकी पवित्रता के कारण बड़ा प्रभाव पड़ता है। दिल्ली के सुप्रसिद्ध नये मन्दिरजी में शुभवर्णी सहस्रकूट चैत्यालय का निर्माण इनकी और इनके साथ रहने वाली माताजी विद्यामतीजी की प्रेरणा से हुआ। दोनों की प्रेरणा से ही दिगम्बर जैन साधु दि० जैन लालमन्दिरजी के उद्यान में सुन्दर मानस्तम्भ भी इन्हीं दोनों की और शोभायमान हो रहा है।
माताजी का स्वभाव बड़ा सरल है । उनकी वाणी में मधुरता है। निर्दोष संयम से आत्मा में अद्भुत शक्तियां विकसित होती हैं। जैन समाज का भाग्य है कि प्रत्यन्त पवित्र हृदय वाली भद्र परिणाम युक्त प्रात्मक में सत्तत् सावधान रहने वाली माताजी, सर्वश्रेष्ठ और ज्येष्ठ तपस्विनी के रूप में शोभायमान हो । है। १०१ वर्ष की आयु में भी व्रत नियम और चर्या के पालन करने में समर्थ हैं । अभी माताजी का दिल्ली महिलाश्रम, दरियागंज, दिल्ली में स्वर्गवास हो गया।
Book Name written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
#ChandravatiMataJi(VelhePune)
Book Name written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
आर्यिका श्री १०५ चन्द्रावती माताजी (वेल्हे पुणे)
आचार्य श्री १०८ शांति सागरजी महाराज १८७२ (चरित्रचक्रवर्ती) Acharya Shri 108 Shanti Sagarji Maharaj 1872 (Charitrachakravarti)
AcharyaShriShantiSagarJiMaharaj1872DevendraKirtiJi
Aryika Shri 105 Chandravati Mata ji was born in Velhe Gaon,Dist-Pune,Maharashtra.Her name was Kesar Bai before diksha.She received the initiation from Acharya Shri 108 Shanti Sagar Ji Maharaj.
Book Name written by Pandit Dharmchandra Ji Shashtri -Digambar Jain Sadhu
Aryika Shri 105 Chandravati Mataji (Velhe Pune)
आचार्य श्री १०८ शांति सागरजी महाराज १८७२ (चरित्रचक्रवर्ती) Acharya Shri 108 Shanti Sagarji Maharaj 1872 (Charitrachakravarti)
आचार्य श्री १०८ शांति सागरजी महाराज १८७२ (चरित्रचक्रवर्ती) Acharya Shri 108 Shanti Sagarji Maharaj 1872 (Charitrachakravarti)
#ChandravatiMataJi(VelhePune)
AcharyaShriShantiSagarJiMaharaj1872DevendraKirtiJi
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