Muni Shri 108 Kshamanandiji Maharaj, 85 years Muni Maharaj has dedication towards religion.
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धन्य है मुनिराज सुबह दिनांक 19/4/2023 को जब मुनिराज आहार चर्या के लिए शुद्धि करने पहुँचे तब मुनिराज क्षमा नंदी जी महाराज पर बड़ी मधुमक्खीयो के झुण्ड ने अचानक से हमला कर दिया 40-50 मधु मक्खीयो ने मुनिराज पर जगह जगह ढँक मार दिए शांत एवं सरल मुद्रा के धारी दिगंबर मुनिराज ने उसे उपसर्ग मान बड़ी ही समता भाव से सहन किया जब उनके डंक निकाले गए पूरा शरीर लाल पड चुका है एवं मुनिराज 85 वर्ष की उम्र में शांत मुद्रा से उपवास करने की बात कर रहे थे दिगंबर संत किसी भी प्रकार के कोई इंजेक्शन कोई भी एलोपैथिक दवा किसी का प्रयोग नहि करते धन्य है मुनिराज धन्य है ऐसे उपसर्ग विजेता | गुरुदेव अभी आचार्य १०८ इंद्रनंदी जी महाराज के साथ निवाई अग्रवाल जैन मंदिर में विराजमान थे।
धन्य है मुनिराज सुबह दिनांक 19/4/2023 को जब मुनिराज आहार चर्या के लिए शुद्धि करने पहुँचे तब मुनिराज क्षमा नंदी जी महाराज पर बड़ी मधुमक्खीयो के झुण्ड ने अचानक से हमला कर दिया 40-50 मधु मक्खीयो ने मुनिराज पर जगह जगह ढँक मार दिए शांत एवं सरल मुद्रा के धारी दिगंबर मुनिराज ने उसे उपसर्ग मान बड़ी ही समता भाव से सहन किया जब उनके डंक निकाले गए पूरा शरीर लाल पड चुका है एवं मुनिराज 85 वर्ष की उम्र में शांत मुद्रा से उपवास करने की बात कर रहे थे दिगंबर संत किसी भी प्रकार के कोई इंजेक्शन कोई भी एलोपैथिक दवा किसी का प्रयोग नहि करते धन्य है मुनिराज धन्य है ऐसे उपसर्ग विजेता | गुरुदेव अभी आचार्य १०८ इंद्रनंदी जी महाराज के साथ निवाई अग्रवाल जैन मंदिर में विराजमान थे।
Muni Shri 108 Kshamanandiji Maharaj, 85 years Muni Maharaj has dedication towards religion.
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धन्य है मुनिराज सुबह दिनांक 19/4/2023 को जब मुनिराज आहार चर्या के लिए शुद्धि करने पहुँचे तब मुनिराज क्षमा नंदी जी महाराज पर बड़ी मधुमक्खीयो के झुण्ड ने अचानक से हमला कर दिया 40-50 मधु मक्खीयो ने मुनिराज पर जगह जगह ढँक मार दिए शांत एवं सरल मुद्रा के धारी दिगंबर मुनिराज ने उसे उपसर्ग मान बड़ी ही समता भाव से सहन किया जब उनके डंक निकाले गए पूरा शरीर लाल पड चुका है एवं मुनिराज 85 वर्ष की उम्र में शांत मुद्रा से उपवास करने की बात कर रहे थे दिगंबर संत किसी भी प्रकार के कोई इंजेक्शन कोई भी एलोपैथिक दवा किसी का प्रयोग नहि करते धन्य है मुनिराज धन्य है ऐसे उपसर्ग विजेता | गुरुदेव अभी आचार्य १०८ इंद्रनंदी जी महाराज के साथ निवाई अग्रवाल जैन मंदिर में विराजमान थे।