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#SamaySagarJiMaharaj1958VidyaSagarJi
Acharya Shri 108 Samay Sagar Ji Maharaj was born on 27-10-1958 on Monday in Sadlakha, Belgaum, Karnataka in the house of Father Malappa Ashtge and Mother Srimati Jain. His birth name was Shantinath Jain. He assumed Kshullak Diksha on December 18th, 1975 in SiddhKshetra Sonagir Ji. He assumed Ailak Diksha on October 31st, 1978 in SiddhKshetra NainaGiri Ji. He assumed Muni Diksha from Acharya Shri 108 Vidhya Sagar Ji Maharaj on March 08th, 1980 in SiddhKshetra DronGiri Ji.
Acharya Shri Samary Sagarji Maharaj received Acharya pad (Title) on 16-Apr-24 in Kundulpur Damoh. During the last days of Acharya Vidyasagarji Maharaj he expressed his wish to transfer the Acharya Title to Samary Sagarji Maharaj. He expressed this wish to Yog Sagarji Maharaj.
आचार्य श्री १०८ समयसागर जी महाराज
संक्षिप्त परिचय | |
जन्म: | २७-१०-१९५८ सोमवार,शरद पूर्णिमा आशिविन शुक्ल पूर्णिमा |
जन्म नाम: | श्री शांतिनाथ जैन |
जन्म स्थान:: | चिक्कोड़ी (ग्राम-सदलगा के पास), बेलगाँव (कर्नाटक) |
माता का नाम: | श्रीमती श्रीमंतीजी (आर्यिकाश्री समयमतिजी) |
पिता का नाम: | श्री मल्लप्पाजी अष्टगे (मुनिश्री मल्लिसागरजी) |
शिक्षा : | हाई स्कूल |
ब्रह्मचर्य व्रत : | २ मई १९७५ |
क्षुल्लक दीक्षा : | १८-१२-१९७५ |
क्षुल्लक दीक्षा स्थान : | सिद्ध क्षेत्र सोनागिरी |
ऐलक दीक्षा : | ३१-१०-१९७८ |
ऐलक दीक्षा स्थान : | सिद्ध क्षेत्र नैना गिरी |
मुनि दीक्षा: | ०८-०३-१९८० |
मुनि दीक्षा स्थान : | सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी |
दीक्षा गुरू: | संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी |
विशेष : | आप और मुनि योग सागर, विद्या सागर जी के गृहस्थ जीवन के भाई है और आपके माता-पिता भी आचार्य धर्मसागर जी से दीक्षित हुए है । |
आचार्य पद | १६-अप्रैल -२०२४ को निर्यापक मुनि श्री १०८ समय सागरजी महाराजी को आचार्य पद मिला| |
आचार्य पद स्थान | कुंडलपुर, दमोह |
बचपन
समय सागर जी महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव में 27 अक्टूबर 1958 को हुआ था। वे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज इनके पहले शिष्य भी हैं। समय सागर जी महाराज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के भाई भी हैं। समय सागर जी महाराज ने केवल 17 साल की उम्र में ही जैन धर्म की दीक्षा (क्षुल्लक दीक्षा) ले ली थी। इनका जन्म कर्नाटक के बेलगाम में हुआ था। बचपन से ही इनकी रुचिधर्म और कर्म में ही रही। बचपन में माता पिता ने इनका नाम शांतिनाथ जैन रखा था। जैन धर्म की दीक्षा लेने पर इनका नाम श्री समय सागर जी महाराज हो गया। छह भाई बहनों में समय सागर जी महाराज सबसे छोटे रहे।
मुनि दीक्षा की राह पर
समय सागर जी महाराज ने 2 मई 1975 को ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था। इसी साल उन्होंने दिसंबर महीने में मध्य प्रदेश के दतिया सोनागिरी क्षेत्र में क्षुल्लक दीक्षा ले ली। क्षुल्लक यानी छोटी दीक्षा। ये जैन समाज में संतों की श्रेणी में पहली है। उन्होंने ऐलक दीक्षा 31 अक्टूबर 1978 को ली।
क्षुल्लक दीक्षा के 5 साल बाद समयसागर जी ने 8 मार्च 1980 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरी में मुनि दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा गुरु उनके गृहस्थ जीवन के बड़े भाई आचार्य विद्यासागर ही थे। समयसागर जी ही विद्यासागर जी के पहले शिष्य बने। यहीं से उनका मुनि जीवन शुरू हुआ और तपस्या के कठोर नियमों को उन्होंने अपने जीवन में अपना लिया।
निर्यापक की उपाधि
संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ललितपुर की गोशाला में हुए 2018 पंचकल्याणक में आचार्य कुंद-कुंद द्वारा नियमसार का उल्लेख करते हुए निर्यापक श्रमण की व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताया कि जब संघ में अनुभवी साधुओं का समूह तैयार हो जाता है तब संघ में नवदीक्षित मुनिराजों के निर्वाह के लिए निर्यापक श्रमण की व्यवस्था होती है जिससे संघ में श्रमणों का निर्वाह होता है और सम्पूर्ण संघ को इसका लाभ प्राप्त होता है|
ललितपुर में २०१८ में पूज्य मुनिश्री समयसागर जी महाराज को निर्यापक की उपाधि प्रदान की गयी थी.
इसकी के साथ निर्यापक श्रवण नंबर दो पर मुनि श्री योग सागर जी, निर्यापक श्रवण नंबर 3
मुनि श्री नियम सागर जी, निर्यापक श्रवण एवं 4 नंबर पर
मुनि श्री सुधा सागर जी निर्यापक को निर्यापक उपाधि प्रदान की गयी हैं|
अगले आचार्य:
समाधि से 3 दिन पहले आचार्य विद्यासागर महाराज ने आचार्य पद का त्याग कर दिया था. उन्होंने आचार्य का पद अपने पहले मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि समयसागर को दिया. उन्होंने 6 फरवरी के दिन ही आचार्य पद के लिए निर्यापक श्रमण मुनि समयसागर को चुन लिया था.
आचार्य पद की ओर
दमोह के कुंडलपुर में 16 अप्रैल को आयोजित होने वाले आचार्य पद महोत्सव में शामिल होने के लिए मुनि संघ कुंडलपुर पहुंच गए। 480 किमी का विहार करते हुए आचार्य पद संभालने मुनि समय सागर महाराज भी मंगलवार दोपहर कुंडलपुर पहुंच गए। मुनि दीक्षा के 44 वर्ष बाद
उन्हें आचार्य पद मिला|
आचार्य पद :
१६-अप्रैल -२०२४ को निर्यापक मुनि श्री १०८ समय सागरजी महाराजी को आचार्य पद मिला|
अभी वो आचार्य १०८ समय सागरजी कहलायेंग|
कड़े नियमों का पालन करते हैं आचार्य समय सागर जी महाराज
- महाराज जी नमक नहीं खाते हैं।
- 3 से ज्यादा सब्जियां नहीं खाते हैं।
Father-Muni Shri 108 Malli Sagar Ji Maharaj
Mother-Aryika Shri 105 Samaymati mata Ji
Brother-Acharya Shri Vidya Sagar Ji Maharaj
Brother-Muni Shri Utkrushtha Sagarji Ji Maharaj
Brother-Muni Shri Yog Sagar Ji Maharaj
#SamaySagarJiMaharaj1958VidyaSagarJi
आचार्य मुनि श्री १०८ समय सागरजी महाराज
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri)
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
2016 Bagidora, Rajasthan.
2015 Anjani Nagar Indore Madhya Pradesh.
AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj
Acharya Shri 108 Samay Sagar Ji Maharaj was born on 27-10-1958 on Monday in Sadlakha, Belgaum, Karnataka in the house of Father Malappa Ashtge and Mother Srimati Jain. His birth name was Shantinath Jain. He assumed Kshullak Diksha on December 18th, 1975 in SiddhKshetra Sonagir Ji. He assumed Ailak Diksha on October 31st, 1978 in SiddhKshetra NainaGiri Ji. He assumed Muni Diksha from Acharya Shri 108 Vidhya Sagar Ji Maharaj on March 08th, 1980 in SiddhKshetra DronGiri Ji.
Acharya Shri Samary Sagarji Maharaj received Acharya pad (Title) on 16-Apr-24 in Kundulpur Damoh. During the last days of Acharya Vidyasagarji Maharaj he expressed his wish to transfer the Acharya Title to Samary Sagarji Maharaj. He expressed this wish to Yog Sagarji Maharaj.
Samay Sagarji Maharaj - A story of transitioning of a 17 year boy to Acharya Samay Sagarji Maharaj
Childhood
Samay Sagar Ji Maharaj was born on 27th October 1958 in Belgaum, Karnataka. He is also a disciple of Acharya Shri Vidyasagar Ji Maharaj. Samay Sagar Ji Maharaj is the younger brother of Acharya Shri Vidyasagar Ji Maharaj's householder life. Samay Sagar Ji Maharaj took Jain Diksha (Kshullak Diksha) at the age of only 17. He was born in Belgaum, Karnataka. Since childhood, his interest remained in religion and karma. In childhood, his parents named him Shantinath Jain. After taking Jain Diksha, his name became Shri Samay Sagar Ji Maharaj. Among six siblings, Samay Sagar Ji Maharaj remained the youngest.
On the path of monkhood
Samay Sagar Ji Maharaj took the Brahmacharya vow on 2nd May 1975. In the same year, in December, he took the Kshullak Diksha in the Datiya Sonagiri area of Madhya Pradesh. Kshullak means a minor Diksha. This is the first category of saints in the Jain community. He took the Ailak Diksha on 31st October 1978.
Five years after the Kshullak Diksha, Samaysagar Ji took the monkhood initiation on 8th March 1980 in the Siddhakshetra Dronagiri of Chhatarpur district in Madhya Pradesh. His initiation guru was his elder brother in household life, Acharya Vidyasagar. Samaysagar Ji was the first disciple of Acharya Vidyasagar Ji. It was from here that his monk life began, and he adopted the strict rules of asceticism in his life.
Niryapak Title
During the 2018 Panchkalyanak held in Lalitpur's Goshala,Saint Shiromani Acharya Vidyasagar Maharaj, mentioned the significance of Niryapak Shraman from Achayra Kund-Kund's Niyamsar Granth.
He explained that when a group of experienced ascetics is formed in the Sangh (monastic community), arrangements are made for the management of newly initiated Muniraj (ascetics) by the Niryapak Shraman. This ensures the sustenance of ascetics within the Sangh, benefiting the entire community.
Now, four initiated Munirajs, appointed by Acharya Shri, have completed their Niryapak Shraman:
Muniraj Shri Samay Sagar Ji, appointed at Niryapak Shraman Number 1.
Muniraj Shri Yog Sagar Ji, appointed at Niryapak Shraman Number 2.
Muniraj Shri Niyam Sagar Ji, appointed at Niryapak Shraman Number 3.
Muniraj Shri Sudha Sagar Ji, appointed at Niryapak Shraman Number 4.
Next Acharya:
Three days before attaining samadhi, Acharya Vidyasagar Maharaj relinquished the Acharya position. He gave the position of Acharya to his first monk disciple Nirayapak Shraman Muni Samaysagar. He had chosen Nirayapak Shraman Muni Samaysagar for the Acharya position on 6th February.
Towards the Acharya position:
To participate in the Acharya Pad Mahotsav scheduled to be held in Kundalpur, Damoh, the monk community reached Kundalpur. Monk Samay Sagar Maharaj also reached Kundalpur on Tuesday afternoon after covering a journey of 480 km. After 44 years of monkhood, he is going to assume the position of Acharya.
Achayra Title:
On 16-April-2024, Niryapak Muni Shri 108 Samaya Sagarji Mahaji got the post of Acharya from Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj. Now onwards they will be called as Acharya Shri 108 Samaya Sagarji.
Observing strict rules, Acharya Samay Sagar Ji Maharaj:
- Maharaj Ji does not consume salt.
- They do not consume more than three vegetables.
Father-Muni Shri 108 Malli Sagar Ji Maharaj
Mother-Aryika Shri 105 Samaymati mata Ji
Brother-Acharya Shri Vidya Sagar Ji Maharaj
Brother-Muni Shri Utkrushtha Sagarji Ji Maharaj
Brother-Muni Shri Yog Sagar Ji Maharaj
Acharya Shri 108 Samay Sagar Ji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri)
2016 Bagidora, Rajasthan.
2015 Anjani Nagar Indore Madhya Pradesh.
Niryapak
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