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#ShrutanshSagarJiMaharaj1943SunilSagarJi
Muni Shri 108 Shrutansh Sagar Ji was born on 23 June 1943 in Agra,Uttar Pradesh.His name was Manikchand Jain before Diksha.He received initiation from Acharya Shri 108 Sunil Sagar Ji Maharaj.
आचार्य श्री के होनहार विद्वान शिष्यो में अनमोल रत्न मुनि श्री श्रुतांश सागर जी गुरुदेव का संक्षिप्त परिचय-
उत्तरप्रदेश की महानगरी आगरा जो तपस्वी सम्राट के वैराग्य का कारण बनी थी उसी नगरी में 23 जून 1943 में आपका जन्म हुआ था,भव्य सपूत का नाम माँ बाप ने माणिकचंद रखा जो विधार्थी जीवन से धार्मिक संस्कारो से परिपूर्ण कुशाग्र बुद्धि के धनी रहे,आप एमकॉम तक कि शिक्षा ग्रहण की उसके बाद आपने SBI बैंक विभाग में उच्च स्तरीय मैनेजर के रूप में 31 वर्ष तक सेवा प्रदान की
गृहस्थ जीवन के दायित्वों का कुशल निर्वहन के पश्चात आप स्व आत्मकल्याण की भावना को संजोए इस युग के युवामहाऋषि श्री सुनील सागर जी गुरुराज ससंघ की दिव्य साधना से प्रभावित होकर संयम मार्ग पर आरूढ़ होने के लिए लालायित हो उठे।
आचार्य श्री के समीप रहकर साधना अभ्यास करने लगे और 10 अगस्त 2014 को सूरत में आपको आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरुराज के वरदहस्त से क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की गयी, नाम मिला क्षुल्लक श्री श्रेय सागर जी
क्षुल्लक श्री श्रेय सागर जी गुरु संघ में रहते हुए निरन्तर ध्यान,ज्ञान साधना में रत रहने लगे और कुछ ही माह में आचार्य श्री को मुनि दीक्षा देने हेतु निवेदन किया
गुरुदेव ने क्षुल्लक श्री श्रेय सागर जी की योग्यता को देखकर राजस्थान की धर्म नगरी प्रतापगढ़ में 23 ऑक्टोम्बर 2015 को मुनि दीक्षा प्रदान की
आचार्य श्री ने आपको मुनि श्री श्रुतांश सागर नाम दिया जैसा नाम वैसे गुण
मुनि श्री श्रुतांश सागर जी जैसे श्रुत के अंश (पुत्र)हो वैसे ही गुरु आज्ञा से अनेक साहित्यों का अंग्रेजी में अनुवाद किया आपने lord adinath, padma ram व tatvarthsutra जैसे साहियो कि अंग्रेजी में रचना की
आप आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरुराज के विशाल संघ में एक योग्य,अनुभवी,विनयवान,वात्सल्य प्रेमी व विद्वान सन्त थे।
संघ के समस्त सन्तो की वैयावृत्ति में हमेशा अग्रणी रहते थे।आप गुरु आज्ञा को शिरोधार्य मानकर निरन्तर आत्म विकास कर रहे थे।
आपका स्वास्थ्य जब विगत दिनों से क्षीण हो गया तो आपने समाधि की ही भावना व्यक्ति की जिस पर आचार्य श्री की आज्ञा,निर्देशन ,सम्बोधन व संघस्थ सन्तो की वैयावृत्ति से आत्म ध्यान में स्थिर होकर दिनांक 7 फरवरी 2021 रविवार को दोपहर 4 बजे उत्तम समाधि मरण को प्राप्त किया।
Translated Granth in english-Lord Aadinath,Padmaram,Tatvarthsutra
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मुनि श्री १०८ श्रुतांश सागरजी महाराज
आचार्य श्री १०८ सुनील सागरजी महाराज १९७७ Acharya Shri 108 Sunil Sagarji Maharaj 1977
Sanjul Jain created wiki page for Maharaj ji on 13-Feb-2021
SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi
Muni Shri 108 Shrutansh Sagar Ji was born on 23 June 1943 in Agra,Uttar Pradesh.His name was Manikchand Jain before Diksha.He received initiation from Acharya Shri 108 Sunil Sagar Ji Maharaj.
Translated Granth in english-Lord Aadinath,Padmaram,Tatvarthsutra
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Muni Shri 108 Shrutansh Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ सुनील सागरजी महाराज १९७७ Acharya Shri 108 Sunil Sagarji Maharaj 1977
आचार्य श्री १०८ सुनील सागरजी महाराज १९७७ Acharya Shri 108 Sunil Sagarji Maharaj 1977
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