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#VeerSagarjiMaharaj1973VidyaSagarJi
Niryapak Muni Shri 108 Veer Sagar ji Maharaj was born in year 1973 and he took initiation form Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj.
साधु जीवन दर्शन
मनि श्री 108 वीरसागरजी महाराज
पूर्वका नाम: बा.न.श्री शैलेष जी जैन(नायक)
पिताका नाम : श्री शिखरचंदजी जैन (नायक)
माताका नाम : श्रीमती सुषमादेवी जैन (नायक)
भाई-बहिनके नाम : 1) आपका क्रम (जन्म के क्रम से)
2) श्री नीलेश
3) श्री रूपेश
4) श्री धर्मेश
जन्म दिनांक/तिथि: 31-5-1973 (30-5-1973, बुधवार, ज्येष्ठ कृष्ण
दिन/स्थान/समय 13, वि.सं. 2029), नागपुर (महा.)
शिक्षा (लौकिक/धार्मिक): बी.टेक. (केमिकल इंजी.), एम.बी.ए. (फायनेंस)
सी.एफ.ए. (तीसरा लेवल), पी.जी.डी.सी.ए,
ब्रह्मचर्यव्रत: 31-07-1996, बुधवार, आषाढ़ कृष्ण 1, वि.सं. दिनांक/दिन/तिथि/स्थान 2052, गुरु पूर्णिमा 1996, सिद्धक्षेत्र महुआजी
जिला-सूरत (गुजरात)
मुनि दीक्षा: 21-08-2004, शनिवार, द्वितीय श्रावण सुदी 6
दिनांक/दिन/तिथि/स्थान भ. नेमीनाथ जन्म-तप कल्याणक, "दयोदय तीर्थ(गौशाला)," तिलवारा घाट, जबलपुर (म.प्र.) दीक्षा गुरु
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज विशेष
आपकी सीधी मुनि दीक्षा हुई।
मनि श्री 108 वीरसागरजी महाराज
महाराष्ट्र के नागपुर शहर में 31 मई 1973 को शैलेष ने जन्म लिया। पिता श्री शिखर चंद जी और माता श्री सुषमा देवी आपको पाकर निहाल हुई।
अलौकिक प्रतिभाओं के धनी शैलेश जी लौकिक शिक्षा के शिखर को छूने में कोई कसर नही छोड़ी। केमिकल साइंस से बीटेक किया तो अन्य अन्य डिग्रियां जुड़ती चली गयी पढ़ाई इतनी की जो सुना आश्चर्य करता B.Tech+PGDCA +M.B.A +CFA+FIH आदि आदि
स्वाभाविक ही है इतने उच्च शिक्षित और प्रतिभाओ की खान रहे शैलेश जी को हर कोई अपने से जोड़ने का प्रयास करता। शैलेश जी ने अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में 1.20 करोड़ के सलाना पैकेज पर काम करना शुरू कर दिया। पर मन अभी भी कुछ अधूरा अधूरा था।
समय बीता युग शिरोमणि आचार्य भगवन विद्या सागर जी का सान्निध्य पाया फिर जीवन की दिशा दशा ही बदल गयी। ओर दुनिया जानती है आचार्य महाराज तो वो पारस पत्थर है जिसे छू ले उसे सोने नही हीरा बना देते है वह सुअवसर आया जब आचार्य भगवन ने श्रावण शुक्ला षष्ठी को शैलेश जी को बना दिया मुनि वीर सागर जी महाराज।
तत्पश्चात आपने 9 वर्ष तक मुनि अवस्था में आचार्यश्री के साथ रहकर आत्मकल्याण किया व बाद में आचार्य भगवन की आज्ञा से उपसंघ बनाकर विहार किया। आपके उपसंघ में पूज्य मुनि श्री विशालसागर जी व पूज्य मुनि श्री धवलसागर जी है दोनों मुनिराज परम तपस्वी व प्रभावक श्रमण है,आपके सानिध्य में उपसंघ निर्माण के बाद सबसे पहले विदिशा में महावीर जयंती का भव्य व ऐतिहासिक आयोजन हुआ व शीतलधाम तीर्थ की रुपरेखा आपके ही सानिध्य में बनी आपके विदिशा से विहार के तुरन्त बाद ही विदिशावासियों का पुण्य इतना जगा कि आचार्य श्री का चातुर्मास विदिशा को प्राप्त हो गया विदिशा के उपरांत आपने खुरई नगर में चातुर्मास किया व वहाँ से उज्जैन होते हुए बागड़ प्रान्त में प्रवेश किया जहाँ आपका चातुर्मास अर्थूर्णा तीर्थ में हुआ वहाँ आपके आशीर्वाद से भव्य जिनालय का निर्माण कार्य चल रहा है अर्थूणा के उपरांत आपका मंगल मिलन ज्येष्ठ मुनि श्री सुधासागर जी ससंघ से हुआ आपने मुनि श्री के साथ 67 दिन रहकर धर्मप्रभावना की व उसके पश्चात नीमच में चातुर्मास किया जिसने अब तक के सम्पन्न हुए सभी चातुर्मासों का कीर्तिमान तोड़ दिया व अद्वितीय जिनधर्म की प्रभावना जैनाजैन लोगों के मध्य की..! !
नीमच के उपरांत लगभग ३ माह तक ज्येष्ठ मुनि श्री प्रणम्यसागर जी के साथ रहकर आपने मुनि श्री के स्वमुख से ज्ञान वारिधि का रसपान किया पश्चात कोटा से विहार करते हुए केकड़ी में ऐतिहासिक महावीर जयंती का कार्यक्रम आपके निर्देशन में सम्पन्न हुआ केकड़ी से विहार करते हुए संघ नसीराबाद पहुँचा जहाँ ज्येष्ठ गुरुभ्राता मुनि श्री प्रमाणसागर जी ससंघ से आपका मिलन हुआ व अब नसीराबाद से विहार करते हुए आप अपने दादा गुरुदेव की स्मृति में बने ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र नारेली में पधारे वहां से जैन क्षेत्र हांसी हरियाणा में अद्वितीय प्राभवना के बाद आप ने मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की अगुवाई में देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में जैन धर्म का जमकर डंका बजाया। ऐतिहासिक पंचकल्याणक आपके सान्निध्य में ही सम्पन्न हुआ। वही भक्ताम्बर आराधना के बड़े बड़े आयोजन समूची दिल्ली में आपके सान्निध्य व निर्देशन में सम्पन्न हुए। मई 2021 में आप बड़ौत में विराजमान है थे।
२०२३ का आप का चातुर्मास पुणे, महाराष्ट्र, में हैं | निर्यापक श्रमण जी एवं ससंघ
१) जेष्ठ श्रेष्ठ निर्यापक श्रमण प.पु.मुनिश्री १०८ वीरसागरजी महाराज
२)मुनिश्री १०८ विशालसागर जी महाराज
३)मुनिश्री १०८ धवलसागर जी महाराज
४)मुनिश्री १०८ उत्कृष्ठसागर जी महाराज
५)क्षुल्लक श्री १०५ मंथनसागर जी महाराज
६)क्षुल्लक श्री १०५ मननसागर जी महाराज
७)क्षुल्लक श्री १०५ विचारसागर जी महाराज
८)क्षुल्लक श्री १०५ मगनसागर जी महाराज
९)क्षुल्लक श्री १०५ विरलसागर जी महाराज
https://vidyasagar.guru/clubs/89-group/
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निर्यापक श्रमण मनि श्री १०८ वीरसागरजी महाराज
+91-9310211011
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri)
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
– शुभांशु जैन शाहपूरा
Ankit Shah - Pune - 9834174980
Sanjul Jain updated on 26-07-2021
AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj
Niryapak Muni Shri 108 Veer Sagar ji Maharaj was born in year 1973 and he took initiation form Acharya Shri 108 Vidya Sagar Ji Maharaj.
Mani Shree 108 Veersagarji Maharaj
Shailesh was born on 31 May 1973 in Nagpur city of Maharashtra. Father Shri Shikhar Chand ji and mother Shri Sushma Devi were happy to meet you.
Shailesh ji, rich in supernatural talents, left no stone unturned to touch the pinnacle of worldly education. After doing B.Tech in Chemical Science, other degrees kept getting added and the studies were so much that it was surprising to hear that B.Tech+PGDCA +M.B.A +CFA+FIH etc. etc.
It is natural that everyone would try to connect with Shailesh ji, who is so highly educated and a source of talent. Shailesh ji started working in an American multinational company with an annual package of Rs 1.20 crore. But the mind was still somewhat incomplete.
Time passed and he got the company of Shiromani Acharya Bhagwan Vidya Sagar Ji, then the direction of life changed. And the world knows that Acharya Maharaj is a philosopher's stone, whoever touches it turns it into a diamond rather than gold. That good opportunity came when Acharya Bhagwan made Shailesh ji Muni Veer Sagar ji Maharaj on Shravan Shukla Shashthi.
After that, he lived with Acharyashree in the sage state for 9 years and did self-improvement and later, with the permission of Acharya Bhagwan, he formed a sub-sangh and traveled there. In your sub-sangh, revered Muni Shri Vishalsagar ji and revered Muni Shri Dhavalsagar ji, both the monks are supreme ascetics and effective shramans, after the formation of the sub-sangh, first of all, a grand and historic event of Mahavir Jayanti was organized in Vidisha and the outline of Shitaldham Teerth was created by you. Immediately after the Vihar from Vidisha, formed in your company, the virtue of the people of Vidisha was so much awakened that Acharya Shri's Chaturmas got celebrated in Vidisha. After Vidisha, you performed Chaturmas in Khurai Nagar and from there via Ujjain, entered Bagad province where your Chaturmas Arthurna. With your blessings, the construction work of a grand temple is going on in Tirtha. After Arthuna, you had an auspicious meeting with the senior sage Shri Sudhasagar Ji Sasangh. You stayed with the sage for 67 days and performed Dharmaprabhavana and after that, did Chaturmas in Neemuch, which till now It broke the records of all the Chaturmas that were completed and the influence of the unique Jindharma among the Jains.! ,
After Neemuch, you stayed with the senior sage Shri Pranamya Sagar ji for about 3 months and absorbed the wisdom from the sage's own mouth. Later, while visiting Kota, the historic Mahavir Jayanti program was completed in Kekri under your direction. Sangh while visiting Kekri Reached Nasirabad where you met the senior Muni Shri Pramansagar Ji Sasangh and now while traveling from Nasirabad, you reached Gyanodaya Teerth Kshetra Nareli built in the memory of your Gurudev, from there after a unique experience in the Jain area Hansi Haryana, you met Muni Shri Pranamya. Under the leadership of Sagar Ji Maharaj, Jainism spread strongly in the country's capital Delhi and surrounding areas. The historic Panchkalyanak was completed in your presence. The same big events of Bhaktambar worship were organized all over Delhi under your guidance and guidance. In May 2021, you were in Baraut.
Niryapak shraman Muni Shri 108 Veer Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
+91-9310211011
आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज (आचार्यश्री) १९४६ Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj (AcharyaShri) 1946
Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaj 1946 (AcharyaShri)
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Acharya Shri 108 VidyaSagarji Maharaji
Ankit Shah - Pune - 9834174980
Sanjul Jain updated on 26-07-2021
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