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#SudharmmatiMataji
राजस्थान की राजधानी जयपुर में गंगवाल श्री कन्हैयालाल जी व उनकी धर्मपत्नी श्री कृष्णादेवी के घर एक भव्यात्मा का जन्म हुआ,जिनका नाम परिवार जन ने अनुपमा रखा,जो वाकई में अनुपम रत्न थी।धार्मिक संस्कारो से परिपूर्ण अनुपमा का विवाह ऐसे ही श्रेष्ठ संस्कारो से परिपूर्ण परिवार में श्रीमान लालचंद जी बेनेड़ा से किया गया।
अनुपमा जी व लालचंद जी गृहस्था जीवन मे भी सम्पन्न रहते हुए सदैव गुरुओ की सेवा में अग्रणी रहते,दाम्पत्य जीवन धर्म,सादाचार व पुण्य से भरा रहा।
वैराग्य व आत्मकल्याण के भावों को संजोए अनुपमा बेनेड़ा जी ने गृहस्थ जीवन के समस्त दायित्वों का उत्तम निर्वहन करने के पश्चात 5 दिसम्बर 2007 को महाराष्ट्र के लासुरणे शहर में तपस्वी सम्राट के अतिशय हस्तो से क्षुल्लिका दिक्षा ग्रहण कर बन गयी क्षुल्लिका श्री सुधर्ममती जी।
साधिका जीवन मे दक्षता को देखकर तपस्वी सम्राट गुरुवर ने भारतीय स्वतन्त्रता दिवस के दिन 15 अगस्त सन 2010 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर नगरी में कर्मो से स्वतंत्रता दिलाने वाले पथ पर आरूढ़ करने क्षुल्लिका जी को आर्यिका दिक्षा प्रदान की।
धन्य है आर्यिका श्री सुधर्ममती माताजी जिन्होंने इस कलिकाल के जीवंत महावीर चारित्र चूड़ामणि आचार्य श्री सन्मतिसागर जी जैसे ऋषिराज से दीक्षा संस्कारो को पाया।
पूज्य आचार्य श्री की समाधि उपरांत आप उनके नायाब लघुनन्दन पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज की निश्रा में संघस्थ ज्ञान-ध्यान-तप सहित आर्यिका साधना में रत थे।
दो महान आचार्यो की छत्रछाया को पाने वाली पूज्या आर्यिका माताजी ने सल्लेखना व्रत पर गमन कर समस्त गुरु संघ की सानिध्यता में दिनांक 19 अगस्त सन 2022 को रात्रि 8 बजकर 25 मिनिट पर श्रेष्ठ समाधि मरण को प्राप्त कर यह मनुष्य गति को सार्थक किया।
यह भी अजीब संयोग है कि एक तपस्वी वीरांगना जिनका जन्म भी जयपुर व समाधि भी जयपुर में हुई।
ऐसे पूज्या आर्यिका श्री सुधर्ममती माताजी के चरणों मे अविनाशी वन्दन
🖋️शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी🖋️
नमनकर्ता-श्री सुनीलसागर युवासंघ भारत
दो महान आचार्यो की छत्रछाया को पाने वाली पूज्या आर्यिका माताजी ने सल्लेखना व्रत पर गमन कर समस्त गुरु संघ की सानिध्यता में दिनांक 19 अगस्त सन 2022 को रात्रि 8 बजकर 25 मिनिट पर श्रेष्ठ समाधि मरण को प्राप्त कर यह मनुष्य गति को सार्थक किया।
यह भी अजीब संयोग है कि एक तपस्वी वीरांगना जिनका जन्म भी जयपुर व समाधि भी जयपुर में हुई।
ऐसे पूज्या आर्यिका श्री सुधर्ममती माताजी के चरणों मे अविनाशी वन्दन
Ref -
#SudharmmatiMataji
आर्यिका श्री १०५ सुधर्ममती माताजी
आचार्य श्री १०८ सुनील सागरजी महाराज १९७७ Acharya Shri 108 Sunil Sagarji Maharaj 1977
संतोष खुले जी ने माताजी का नया विकीपेज बनाया है | दिनांक 21 August 2022
Santosh Khule Create a New Wikipage On Date 21 August 2022
SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi
राजस्थान की राजधानी जयपुर में गंगवाल श्री कन्हैयालाल जी व उनकी धर्मपत्नी श्री कृष्णादेवी के घर एक भव्यात्मा का जन्म हुआ,जिनका नाम परिवार जन ने अनुपमा रखा,जो वाकई में अनुपम रत्न थी।धार्मिक संस्कारो से परिपूर्ण अनुपमा का विवाह ऐसे ही श्रेष्ठ संस्कारो से परिपूर्ण परिवार में श्रीमान लालचंद जी बेनेड़ा से किया गया।
अनुपमा जी व लालचंद जी गृहस्था जीवन मे भी सम्पन्न रहते हुए सदैव गुरुओ की सेवा में अग्रणी रहते,दाम्पत्य जीवन धर्म,सादाचार व पुण्य से भरा रहा।
वैराग्य व आत्मकल्याण के भावों को संजोए अनुपमा बेनेड़ा जी ने गृहस्थ जीवन के समस्त दायित्वों का उत्तम निर्वहन करने के पश्चात 5 दिसम्बर 2007 को महाराष्ट्र के लासुरणे शहर में तपस्वी सम्राट के अतिशय हस्तो से क्षुल्लिका दिक्षा ग्रहण कर बन गयी क्षुल्लिका श्री सुधर्ममती जी।
साधिका जीवन मे दक्षता को देखकर तपस्वी सम्राट गुरुवर ने भारतीय स्वतन्त्रता दिवस के दिन 15 अगस्त सन 2010 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर नगरी में कर्मो से स्वतंत्रता दिलाने वाले पथ पर आरूढ़ करने क्षुल्लिका जी को आर्यिका दिक्षा प्रदान की।
धन्य है आर्यिका श्री सुधर्ममती माताजी जिन्होंने इस कलिकाल के जीवंत महावीर चारित्र चूड़ामणि आचार्य श्री सन्मतिसागर जी जैसे ऋषिराज से दीक्षा संस्कारो को पाया।
पूज्य आचार्य श्री की समाधि उपरांत आप उनके नायाब लघुनन्दन पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज की निश्रा में संघस्थ ज्ञान-ध्यान-तप सहित आर्यिका साधना में रत थे।
दो महान आचार्यो की छत्रछाया को पाने वाली पूज्या आर्यिका माताजी ने सल्लेखना व्रत पर गमन कर समस्त गुरु संघ की सानिध्यता में दिनांक 19 अगस्त सन 2022 को रात्रि 8 बजकर 25 मिनिट पर श्रेष्ठ समाधि मरण को प्राप्त कर यह मनुष्य गति को सार्थक किया।
यह भी अजीब संयोग है कि एक तपस्वी वीरांगना जिनका जन्म भी जयपुर व समाधि भी जयपुर में हुई।
ऐसे पूज्या आर्यिका श्री सुधर्ममती माताजी के चरणों मे अविनाशी वन्दन
🖋️शब्दसुमन-शाह मधोक जैन चितरी🖋️
नमनकर्ता-श्री सुनीलसागर युवासंघ भारत
दो महान आचार्यो की छत्रछाया को पाने वाली पूज्या आर्यिका माताजी ने सल्लेखना व्रत पर गमन कर समस्त गुरु संघ की सानिध्यता में दिनांक 19 अगस्त सन 2022 को रात्रि 8 बजकर 25 मिनिट पर श्रेष्ठ समाधि मरण को प्राप्त कर यह मनुष्य गति को सार्थक किया।
यह भी अजीब संयोग है कि एक तपस्वी वीरांगना जिनका जन्म भी जयपुर व समाधि भी जयपुर में हुई।
ऐसे पूज्या आर्यिका श्री सुधर्ममती माताजी के चरणों मे अविनाशी वन्दन
Ref -
Aryika Shri 105 Sudharmmati Mataji
आचार्य श्री १०८ सुनील सागरजी महाराज १९७७ Acharya Shri 108 Sunil Sagarji Maharaj 1977
आचार्य श्री १०८ सुनील सागरजी महाराज १९७७ Acharya Shri 108 Sunil Sagarji Maharaj 1977
Santosh Khule Create a New Wikipage On Date 21 August 2022
#SudharmmatiMataji
SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi
#SudharmmatiMataji
SudharmmatiSunilSagarJi1977
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