Having had his schooling from Mhow and Bhopal in Madhya Pradesh, Vijay K. Jain (b. 1951) did his graduation in Electronics Engineering from Institute of Technology, Banaras Hindu University, and Post-Graduation in Management from Indian Institute of Management, Ahmedabad.
An independent researcher, Vijay K. Jain has authored several books, and translated into English a number of Sacred Jaina Texts composed by our Most Worshipful Ancient-Preceptors (purvacarya):
Mr. Jain is the proprietor of Vikalp Printers, a small, high-end printing and publishing firm based in Dehradun, India.
International Acceptance:
Some of these books adorn the shelves of renowned international libraries including:
Book written by Vijay K. Jain - Tatvartha-Sutra-Vijay-K-Jain
विजय के. जैन (जन्म 1951) ने मध्य प्रदेश के महू और भोपाल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की, और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संस्थान से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक किया, तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से प्रबंधन में स्नातकोत्तर किया। एक स्वतंत्र शोधकर्ता के रूप में, विजय के. जैन ने कई पुस्तकों का लेखन किया है और अनेक गहन जैन ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है:
"Marketing Management for Small Units" (1988), प्रबंधन पब्लिशिंग कंपनी, देहरादून।
"From IIM-Ahmedabad to Happiness" (2006), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य उमास्वामी का तत्त्वार्थसूत्र – हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद के साथ" (2011), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य कुंदकुंद का समयसार – हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद के साथ" (2012), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"श्री अमृतचंद्र सूरी का पुरुषार्थसिद्ध्युपाय – हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद के साथ" (2012), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य नेमिचंद्र का द्रव्यसंग्रह – प्रामाणिक व्याख्यात्मक टिप्पणियों के साथ" (2013), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य पूज्यपाद का इष्टोपदेश – स्वर्णिम उपदेश" (2014), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य समंतभद्र का स्वयंभूस्तोत्र – चौबीस तीर्थंकरों का वंदन" (2015), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य समंतभद्र का आप्तमीमांसा (देवागमस्तोत्र) – सर्वज्ञ भगवान पर गहन चिंतन" (2016), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य समंतभद्र का रत्नकरण्डक-श्रावकाचार – गृहस्थों के आचरण का रत्नकोष" (2016), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य पूज्यपाद का समाधितंत्र – परम ध्यान" (2017), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
"आचार्य कुंदकुंद का प्रवचनसार – सिद्धांत का सार" (2018), विकल्प प्रिंटर्स, देहरादून।
श्री जैन देहरादून, भारत में स्थित एक उच्च स्तरीय मुद्रण और प्रकाशन फर्म विकल्प प्रिंटर्स के स्वामी हैं।
विजय के. जैन द्वारा लिखित पुस्तक - तत्वार्थ-सूत्र-विजय-के-जैन
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