भूधर-शतक ५०-से-५६
Author:
Language : Hindi
Rhythm:
Type: Bhudhar Shatak
Particulars: Paath
Created By: Shashank Shaha
५०- चौबीस तीर्थङ्करों के चिह्न- छप्पय
गऊपुत्र गजराज बाजि बानर मन मोहै।
कोक कमल साँथिया सोम सफरीपति सौहै।
सरतरु गैंडा महिष कोल पुनि सेही जानौं।
वज्र हिरन अज मीन कलश कच्छप उर आनौं॥
शतपत्र शंख अहिराज हरि, रिषभदेव जिन आदि ले।
श्री वर्धमान लौं जानिये, चिहन चारु चौवीस ये॥८१॥
अन्वयार्थ: श्री ऋषभदेव से महावीर पर्यन्त चौबीस तीर्थङ्करों के चौबीस सुन्दर चिह्न क्रमशः इसप्रकार हैं:- १. बैल, २. हाथी, ३. घोड़ा, ४. बन्दर, ५. चकवा, ६. कमल, ७. साँथिया, ८. चन्द्र, ९. मगर, १०. कल्पवृक्ष, ११. गैंडा, १२. भैंसा, १३. शूकर, १४. सेही, १५. वज्र, १६. हिरन, १७. बकरा, १८. मछली, १९. कलश, २०. कछुआ, २१. नीलकमल, २२. शंख, २३. सर्प, २४. सिंह।॥८१॥
५१- श्री ऋषभदेव के पूर्वभव- कवित्त मनहर
आदि जयवर्मा, दूजे महाबल भूप, तीजे,
सुरग ईशान ललितांग देव थयौ है।
चौथे वज्रजंघ, एह पाँचवें जुगल देह,
सम्यक् ले दूजे देवलोक फिर गयौ है॥
सातवें सुबुद्धिराय, आठवैं अच्युत-इन्द्र,
नवमैं नरेंद्र वज्रनाभ नाम भयौ है।
दशैं अहमिन्द्र जान, ग्यारवैं रिषभ-भान,
नाभिनंद भूधर के सीस जन्म लयौ है॥८२॥
अन्वयार्थ: पहले तीर्थंकर श्री ऋषभदेव के ११ भव क्रमशः इसप्रकार हैं: १. जयवर्मा, २. महाबल नामक राजा, ३. ईशान स्वर्ग में ललितांग देव, ४. वज्रजंघ राजा, ५. भोगभूमि में युगलिया, ६. दूसरे स्वर्ग में देव, ७. सुबुद्धि नामक राजा, ८. अच्युत स्वर्ग में इन्द्र, ९. वज्रनाभि चक्रवर्ती, १०. अहमिन्द्र, ११. ऋषभदेव।॥८२॥
५२- श्री चन्द्रप्रभ के पूर्वभव- गीता
श्रीवर्म भूपति पालि पुहमी, स्वर्ग पहले सुर भयौ।
पनि अजितसेन छखंडनायक, इन्द्र अच्युत मैं थयौ।
वर पद्मनाभि नरेश निर्जर, वैजयन्ति विमान मैं।
चंद्राभ स्वामी सातवैं भव, भये पुरुष पुरान मैं॥८३॥
अन्वयार्थ: आठवें तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभ के ७ भव क्रमशः इसप्रकार हैं: १. श्रीवर्मा नामक राजा, २. पहले स्वर्ग में देव, ३. अजितसेन चक्रवर्ती, ४. सोलहवें स्वर्ग में इन्द्र, ५. पद्मनाभि राजा, ६. वैजयन्त नामक दूसरे अनुत्तर विमान में देव, ७. चन्द्रप्रभ स्वामी।॥८३॥
५३- श्री शांतिनाथ के पूर्वभव- सवैया
सिरीसेन, आरज, पुनि स्वर्गी, अमिततेज खेचर पद पाय।
सुर रविचूल स्वर्ग आनत मैं, अपराजित बलभद्र कहाय॥
अच्युतेन्द्र, वज्रायुध चक्री, फिर अहमिन्द्र, मेघरथ राय।
सरवारथसिद्धेश, शांति जिन, ये प्रभु की द्वादश परजाय॥८४॥
अन्वयार्थ: सोलहवें तीर्थंकर श्री शान्तिनाथ के १२ भव क्रमशः इसप्रकार हैं: १. राजा श्रीषेण, २. भोगभूमि में आर्य, ३. स्वर्ग में देव, ४. अमिततेज नामक विद्याधर, ५. तेरहवें स्वर्ग में रविचूल नामक देव, ६. अपराजित नामक बलभद्र, ७. सोलहवें स्वर्ग में इन्द्र, ८. वज्रायुध चक्रवर्ती, ९. अहमिन्द्र, १०. राजा मेघरथ, ११. स्वार्थसिद्धि में अहमिन्द्र, १२. शान्तिनाथ स्वामी।॥८४॥
५४- श्री नेमिनाथ के पूर्वभव- छप्पय
पहले भव वन भील, दुतिय अभिकेतु सेठ घर।
तीजे सर सौधर्म, चौथ चिन्तागति नभचर॥
पंचम चौथे स्वर्ग, छठें अपराजित राजा।
अच्युतेंद्र सातवें अमरकुलतिलक विराजा॥
सुप्रतिष्ठ राय आठम, नवें, जन्म जयन्त विमान धर।
फिर भये नेमि हरिवंश-शशि, ये दश भव सुधि करहु नर॥८५॥
अन्वयार्थ: बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ के १० भव क्रमशः इसप्रकार हैं: १. वन में भील, २. अभिकेतु नामक सेठ, ३. सौधर्म स्वर्ग में देव, ४. चिंतागति विद्याधर, ५. चौथे स्वर्ग में देव, ६. अपराजित राजा, ७. अच्युत स्वर्ग में इन्द्र, ८. सुप्रतिष्ठ राजा, ९. जयन्त विमान में देव, १०. नेमिनाथ।॥८५॥
५५- श्री पार्श्वनाथ के पूर्वभव- सवैया
विप्रपूत मरुभूत विचच्छन, वज्रघोष गज गहन मँझार।
सुरि, पुनि सहसरश्मि विद्याधर, अच्युत स्वर्ग अमरि-भरतार॥
मनुज-इन्द्र, मध्यम ग्रैवेयिक, राजपुत्र आनन्दकुमार।
आनतेंद्र, दशवैं भव जिनवर, भये पार्श्वप्रभु के अवतार॥८६॥
अन्वयार्थ: तेईसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ के १० भव क्रमशः इसप्रकार हैं: १. मरुभूति नामक विद्वान् ब्राह्मण, २. वन में वज्रघोष नामक हाथी, ३. देव, ४. सहस्ररश्मि विद्याधर, ५. सोलहवें स्वर्ग में देव, ६. चक्रवर्ती, ७. मध्यम ग्रैवेयक में अहमिन्द्र, ८. आनन्द राजा, ९. आनत स्वर्ग में इन्द्र, १०. पार्श्वनाथ।॥८६॥
५६- राजा यशोधर के भवान्तर- सवैया
राय यशोधर चन्द्रमती पहले भव मंडल मोर कहाये।
जाहक सर्प, नदीमध मच्छ, अजा-अज, भैंस, अजा फिर जाये।
फेरि भये कुकड़ा-कुकड़ी, इन सात भवांतर मैं दुख पाये।
चूनमई चरणायुध मारि, कथा सुन संत हिये नरमाये॥८७॥
अन्वयार्थ: राजा यशोधर और रानी चन्द्रमती ने आटे के मुर्गे की बलि देने के कारण क्रमश: इन सात भवों में अपार कष्ट सहन किये:- १. मोर-मोरनी, २. सर्पसर्पिणी, ३. मच्छ-मच्छी, ४. बकरा-बकरी, ५. भैंसा-भैंस, ६. बकरा-बकरी और ७. मुर्गा-मुर्गी। ज्ञानी पुरुष उनकी कहानी सुनकर अपने हृदय में बहुत वैराग्य उत्पन्न करते हैं।॥८७॥
Shashank Shaha added more details to update on 10 November 2024.
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