दीपावली-पूजन Author: Pandit Dyanatray Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dipawali Pooja महावीर निर्वाण दिवस पर, महावीर पूजन कर लूँवर्धमान अतिवीर वीर, सन्मति प्रभु को वन्दन कर लूँ ॥पावापुर से मोक्ष गये प्रभु, जिनवर पद अर्चन कर लूँजगमग जगमग दिव्यज्योति से, धन्य मनुजजीवन कर लूँ ॥कार्तिक कृष्ण अमावस्या को, शुद्धभाव मन में भर […]
देव-शास्त्र-गुरु -बाल ब्रह्मचारी रवीन्द्र जी आत्मन कृत-देव-शास्त्र-गुरुवर Author:Child Bal Brahmachari Ravindra Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja देव-शास्त्र-गुरुवर अहो! मम स्वरूप दर्शाय।किया परम उपकार मैं, नमन करूँ हर्षाय॥जब मैं आता आप ढिंग, निज स्मरण सु आय।निज प्रभुता मुझमें प्रभो! प्रत्यक्ष देय दिखाय॥ ॐ ह्रीं श्री देवशास्त्रगुरु समूह! अत्र अवतर अवतर […]
देव-शास्त्र-गुरु -पण्डित हुकमचन्द भारिल्ल कृत -शुद्ध ब्रह्म परमात्मा Author: Pandit Hukamchand Bharil Language : Hindi Rhythm: – Type: Pooja Particulars: Dashlakshan Pooja शुद्ध ब्रह्म परमात्मा, शब्दब्रह्म जिनवाणी।शुद्धातम साधक दशा, नमो जोड़ जुग पाणि। ॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनंॐ ह्रीं देवशास्त्रगुरुसमूह! अत्र मम सन्निहितो […]
(M) आहार सामग्री के भक्ष्य, अभक्ष्य की जानकारी एवं आवश्यक निर्देश:- सभी ऋतुओं में एक समान मर्यादा वाले पदार्थ: ४८ निनिट- दूध (बिना उबला), छौछ (बाद में जल अथवा मीठा मिलाने पर), पिसा नमक (बूरे, मिर्ची, खारक, किशमिश आदि से मिला दहीं) ६ घंटे- पिसा नमक (मसाला मिलाने पर), खिंचडी, रायता, कढ़ी, दाल, सब्जी, चावल […]
मौसम के अनुसार स्वास्थ्य वर्धक आहार सामग्री ग्रीष्म ऋतु में देने योग्य स्वास्थ्य वर्धक पदार्थ: पेय पदार्थ आम का पना (कच्चे आम उबालकर उसका रस) नीबू का पानी, पुदीना सूखा अथवा गीला, नमक, मीठा, ग्लूकोज (नमक व मीठा), बेल का रस, संतरे का रस, अनार का रस, अनानास का रस, खरबूजे का रस, छाछ पतली […]
(K) आहार दान की विसंगतियों: पं. महेश जैन, सतना सुना जाता है कि आज से २००/३०० वर्ष पूर्व अपने क्षेत्रों में जैन साधुओं का अभाव सा था, कहीं दक्षिण भारत में एक-दो साधु देखे जाते थे, उस समय जो भी जैन विद्वान थे, वे दिगम्बर साधुओं के दर्शन के लिए तरसते ही रह गये। समय […]
(J) आहार दान ऐसे करें- लेखक पं. श्री रतनलाल जी वैनाड़ा, आगरा वर्तमान में दिगम्बर जैन साधु एवं आर्यिकाओं की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखने में आ रही है। पूरे देश के हर प्रांत में दिगम्बर जैन साधु एवं आर्यिकाओं का विहार निरन्तर होते देखा जा रहा है। प्रत्येक कस्बे या जिले में वर्ष में […]
(1) कुएँ बन सकते हैं प्रत्येक घर में: राजस्थान एवं गुजरात प्रांत में देखा जाता है कि जहाँ कुएँ नहीं है, वहाँ श्रामक मंदिर में या अपने घरों में लगभग ८-१० फीट चौडा और २०-२५ फीट गहरा जमीन के अंदर एक कुआँ जैसा खोद लेते हैं, जिसे टाँका कहते हैं। उसे भरने से पहले अच्छे […]
(H) आहारदान की महिमा: दरिद्र रहना अच्छा है किन्तु वानहीन होकर जीना अच्छा नहीं है क्योंकि धन महा मोह का कारण है। दुष्परिणाम युक्त पाप का बीज है नरक का हेतु दुःखों की खान एवं दुर्गति देने में समर्थ है। जिस प्रकार सब रत्नों में श्रेष्ठ वज्र (हीरा) हे पर्वतों में श्रेष्ठ सुमेरू पर्वत है, […]
(G) भोमभूमि का सोपान-आहार दान साधु आहार के लिए निकल रहे हो अथवा आहार कर रहे हो, और शवयात्रा निकाल रही हो तो साधु में निवेदन करके कि आगे रास्ता शहबड है, उनसे दूसरी गली में मुडने के लिए निवेदन करें और यदि आहार चल रहे हैं, तो बाजे की आवाज या रोने की आवाज […]
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