ज्ञानतोऽज्ञानतो वापि शास्त्रोक्तं न कृतं मया। तत्सर्वं पूर्णमेवास्तु त्वत्प्रसादाज्जिनेश्वर।१।
श्रीवृषभो नः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीअजितः श्रीसंभवः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीअभिनंदनः
श्रीमज्जिनेन्द्रमभिवंद्य जगत्त्रयेशम् । स्याद्वाद-नायक-मनंत-चतुष्टयार्हम् || श्रीमूलसंघ-सुदृशां सुकृतैकहेतुर । जैनेन्द्र-यज्ञ-विधिरेष मयाऽभ्यधायि |1|
मंगलमूर्ति परमपद, पंच धरौं नित ध्यान। हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान् ।१।
ॐ जय! जय!! जय!!! नमोऽस्तु! नमोऽस्तु!! नमोऽस्तु!!! णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं। ।
इह विधि ठाड़ो होय के, प्रथम पढ़े जो पाठ। धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे कर्म जु आठ।१।
Creating text from Image क्रम नाम विक्रम सन्त ईसवीसन विशेष 1 पद्म नन्दि 1385-1462 1328-1405 2 सलक्कीर्ति 1462-1489 1405-1432 3 भूषण कीर्ति 1489-1524 1432-1468 4 ज्ञानभूषण 1524-1545 1468-1488 5 विजयकीर्ति 1545-1565 1488-1508 6 भरतचन्द्र 1565-1593 1508-1536 7 शुभचन्द्र 1593-1613 1536-1556 8 सुमन कीर्ति 1613-1630 1556-1573 9 […]
2025-Garbh to Moksh Kalyanak Calendar
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