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Jaymala​

उत्तम छिमा गहो रे भाई, इह-भव जस, पर-भव सुखदाई
गाली सुनि मन खेद न आनो, गुन को औगुन कहै अयानो ॥

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कहि है अयानो वस्तु छीनै, बाँध मार बहुविधि करै
घर तैं निकारै तन विदारै, वैर जो न तहाँ धरै ॥

कहि है अयानो वस्तु छीनै, बाँध मार बहुविधि करै
घर तैं निकारै तन विदारै, वैर जो न तहाँ धरै ॥

कहि है अयानो वस्तु छीनै, बाँध मार बहुविधि करै
घर तैं निकारै तन विदारै, वैर जो न तहाँ धरै ॥

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