Author: —Language : HindiRhythm: –
Type: Jinvani StutiParticulars: PaathCreated By: Shashank Shaha
मिथ्यातम नासवे को, ज्ञान के प्रकासवे को,आपा-पर भासवे को, भानु-सी बखानी है ।छहों द्रव्य जानवे को, बन्ध-विधि भानवे को,स्व-पर पिछानवे को, परम प्रमानी है ॥
अनुभव बतायवे को, जीव के जतायवे को,काहू न सतायवे को, भव्य उर आनी है ।जहाँ-तहाँ तारवे को, पार के उतारवे को,सुख विस्तारवे को, ये ही जिनवाणी है ॥
हे जिनवाणी भारती, तोहि जपों दिन रैन,जो तेरी शरणा गहै, सो पावे सुख चैन ।जा वाणी के ज्ञान तें, सूझे लोकालोक,सो वाणी मस्तक नवों, सदा देत हों ढोक ॥
Reference:https://nikkyjain.github.io/jainDataBase/genBooks/jainPoojas
Shashank Shaha added more details to update on 9 November 2024.
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