Close button is at the end.
रत्नत्रय-पूजन-पण्डित-द्यानतराय-क्षीरोदधि उनहार उज्ज्वल जल
Author: Pandit dyaanataraay
Language : Hindi
Rhythm: –
Type: Pooja
Particulars: Ratnatraya Puja
चहुंगति-फनि-विष-हरन-मणि, दुख-पावक-जल-धारशिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहा॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रय धर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननंॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रय धर्म! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनंॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रय धर्म! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधि करणं
क्षीरोदधि उनहार, उज्ज्वल जल अति सोहनोजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय जन्म जरामृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा
चंदन-केशर गारि, परिमल-महा-सुगंध-मयजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय भवतापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा
तंदुल अमल चितार, वासमती-सुखदास केजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा
महके फूल अपार, अलि गुंजै ज्यों थुति करैंजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय कामबाणविध्वंसानाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा
लाडू बहु विस्तार, चीकन मिष्ट सुगंधयुतजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा
दीप रतनमय सार, जोत प्रकाशै जगत मेंजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा
धूप सुवास विथार, चंदन अगर कपूर कीजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा
फल शोभा अधिकाय, लौंग छुहारे जायफलजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा
आठ दरब निरधार, उत्तम सों उत्तम लियेजनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूं॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
सम्यक् दरशन ज्ञान, व्रत शिव-मग तीनों मयीपार उतारन यान, ‘द्यानत’ पूजौं व्रत सहित॥
ॐ ह्रीं सम्यक् रत्नत्रयाय पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
(पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत्)
Reference:
You cannot copy content of this page