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INDEX
१ विनय पाठ२ मंगलपाठ3 भजन4 पूजा-विधि प्रारम्भ5 स्वस्ति-मंगल-विधान
6 चतुर्विंशति-तीर्थंकर-स्वस्ति-विधान 7 अथ परमर्षि-स्वस्ति-मंगल-विधान8 समुच्चय महार्घ्य9 विसर्जन-पाठ 10 शांति-पाठ(हिन्दी)11 वीर-प्रभु की आरती
Author:
Language : Hindi
मंगलमूर्ति परमपद, पंच धरौं नित ध्यान।हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान् ।१।
मंगल जिनवर-पद नमौं, मंगल अर्हन्तदेव।मंगलकारी सिद्धपद, सो वंदौं स्वयमेव। २।
मंगल आचारज-मुनि, मंगल गुरु-उवझाय।सर्व साधु मंगल करो, वंदौं मन-वच-काय। ३।
मंगल सरस्वती-मात का, मंगल जिनवर-धर्म।मंगलमय मंगल करो, हरो असाता-कर्म।४।
या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होता।मंगल ‘नाथूराम’ यह, भवसागर दृढ़-पोत।५।
Updated By : Sou Tejashri Wadkar And Shri Shashank Shaha
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