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Category: Bhaktamar Stotra

Acharya Mantung created भक्तामर-स्तोत्र (संस्कृत) | BHAKTAMAR STOTRA (SANSKRIT) which consist of 48 shloks

Jan 08
Powerful Bhaktamar Stotra In Sanskrit To Memorize With Pictures

भक्तामर स्तोत्र Bhaktamar Stora written by Acharya Manatung is a sacred poetic verse of 48 shloks and is said to have magical powers and healing abilities.

Aug 24
Very Informative Bhaktamar Stotra 1 to 8 with Creative Graphics

आचार्य मानतुंग कृत भक्ताम्बर स्तोत्र संपूर्ण चित्र,ऑडियो ,अर्थ और यन्त्र सहित

Aug 12
Bhaktambar Stotra 41 to 48

आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 2. Stotra 9 to 16 3. Stotra 17 to 24 4. Stotra 25 to 32 << 5. Stotra 33 to 40 6. Stotra 41 to 48 41. सर्प विष निवारक रक्तेक्षणं समदकोकिलकण्ठनीलं, ऋाधोद्धतं फणिनमुत्कणमापन्तम्। आक्रामति क्रमयुगेन निरस्तशङ्क-स्त्वन्नामनागदमनी हृदि यस्य […]

Aug 12
Bhaktamar Stotra 33 to 40

आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 2. Stotra 9 to 16 3. Stotra 17 to 24 << 4. Stotra 25 to 32 5. Stotra 33 to 40 6. Stotra 41 to 48 >> Next >> 33. सर्व ज्वर नाशक मन्दारसुन्दरनमेरुसुपारिजात-सन्तानकादिकुसुमोत्कर-वृष्टिरुद्धा, गन्धोदबिन्दुशुभमन्दमरुत्प्रपाता, दिव्या दिवः पतति ते […]

Aug 11
Sanskrit and Hindi Bhaktambar Stotra 25 to 32

आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 2. Stotra 9 to 16 << 3. Stotra 17 to 24 4. Stotra 25 to 32 5. Stotra 33 to 40 >> 6. Stotra 41 to 48 Next >> 25. नजर (दृष्टी दोष) नाशक बुद्धस्त्वमेव विबुधाचितबुद्धबोधात्, त्वं शङ्करोऽसि भुवनत्रयशङ्करत्वात्। […]

Aug 10
Bhaktamar Stotra 17 to 24

आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत << Previous 1. Stotra 1 to 8 << 2. Stotra 9 to 16 3. Stotra 17 to 24 4. Stotra 25 to 32 >> 5. Stotra 33 to 40 6. Stotra 41 to 48 Next >> 17. सर्व उदर पीडा नाशक नास्तं कदाचिदुपयासि न राहुगम्यः, स्पष्टीकरोषि […]

Aug 10
Bhaktamar Stotra 9 to 16

Bhaktamar Stotra 9 to 16 with Audio and Translation for effective reciting. आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत > 09. सर्वभय निवारक आस्तां तव स्तवनमस्तसमस्तदोषं, त्वत्सङ्कथापि जगतां दुरितानि हन्ति। दूरे सहस्रकिरणः कुरुते प्रभैव, पद्माकरेषु जलजानि विकासभाञ्जि ॥९॥ अन्वयार्थ – (तव) तुम्हारा ( अस्तसमस्तदोषम्) निर्दोष (स्तवनम्) स्तवन (आस्ताम्) दूर रहे, किन्तु (त्वत्सङ्कथा) तुम्हारी […]

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