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Aug 10
Bhaktamar Stotra 9 to 16

Bhaktamar Stotra 9 to 16 with Audio and Translation for effective reciting. आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत > 09. सर्वभय निवारक आस्तां तव स्तवनमस्तसमस्तदोषं, त्वत्सङ्कथापि जगतां दुरितानि हन्ति। दूरे सहस्रकिरणः कुरुते प्रभैव, पद्माकरेषु जलजानि विकासभाञ्जि ॥९॥ अन्वयार्थ – (तव) तुम्हारा ( अस्तसमस्तदोषम्) निर्दोष (स्तवनम्) स्तवन (आस्ताम्) दूर रहे, किन्तु (त्वत्सङ्कथा) तुम्हारी […]

Aug 01
Chaturmas 2023 – Map Format

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Jul 30
Test

आचार्य मानतुंग कृत “भक्तामरस्तोत्रम” दिगंबर जैन विकी द्वारा प्रस्तुत 01. सर्व विघ्न उपद्रवनाशक भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा-मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम् । सम्यक्-प्रणम्य जिन-पाद-युगं युगादा-वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम् ॥१॥ English Pronunciation Bhaktamar pranat maulimaniprabhanam muddyotakam dalita pap tamovitanam. Samyak pranamya jin pad yugam yugada- valambanam bhavajale patataam jananam. English Meaning Having duly bowed down at the feet of Bhagwan Adinath, the […]

Jul 18
Swadaya स्वाध्याय

Swadhyay LInks Looking for Jain Swadhaya here are some good sites for reference Swadhaya Information Sr.No Description Link Details 1.   आपको जिनागम के किसी शब्द का अर्थ जानना हो या किसी विषय के संदर्भ (references) देखने हों या किसी पुराण-पुरुष के बारे में जानकारी लेनी हो या एक ही विषय को आगम में कहाँ-कहाँ […]

May 29
Acharya Abinandan Sagarji Panchakalyanka and Chaturmas details

Panchakalynak Details Panchakalyank happened in the presence of Acharya Abhinandan Sagarji Maharaji

Sep 09
Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran7

SANSMARAN 61. गुरुदेव की प्रेम-करुणा घटना है सन् 1984 की, जब मुनि श्री विराग सागर का प्रथम विहार गुरु आज्ञा-पूर्वक श्रुतपंचमी के दिन भीषण गर्मी में पालीताना से भावनगर चातुर्मास हेतु मुनि श्री सिद्धांत सागर जी के साथ हुआ। प. पू.आ. श्री विमल सागर जी ने देखा कि मुनिश्री के पुस्तक तथा चटाई का बस्ता […]

Sep 09
Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran6

Sansmaran 51. मिली नि:स्वार्थ धर्मपरायणता की झलक दूसरे के मनोभावों को सहजता से समझने वाले विशाल हृदय क्षुल्लक पूर्ण सागर जी सन् 1982 में विहार करते हुऐ पहुँचे परभणी (महाराष्ट्र)। समय था आहार चर्या का, लोगों के मन में श्री श्रद्धा-भक्ति परंतु पड़गाहन आदि क्रियाओं से अनभिज्ञ थे। क्षुल्लक जी ने मन्दिर से मुद्रा धारण […]

Sep 09
Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran5

SANSMARAN 41. सावन बरसा वात्सल्य का सन् 1980 दुर्ग चातुर्मास की बात है प.पू. आ. श्री के अष्टाहिका पर्व आठ उपवास चल रहे थे, तब मैना बाई वैयावृत्ति हेतु घी- कपूर मथकर लाती थी | एकबार पू. क्षु. जी का आहार के प्रारंभ में ही अंतराय हो गया, वे जैसे ही पू.आ. श्री के पास […]

Sep 09
Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran4

SANSMARAN 31.परीक्षा की घड़ियां क्षुल्लक पूर्ण सागर जी जब 1980 में दीक्षोपरांत अपने गुरुवर की छत्रछाया में साधना अध्ययनरत थे, उनकी आगमिक चर्या, अध्ययनशीलता, गंभीरता, विरक्ति आदि गुणों से जैन श्रावक ही नहीं अपितु अजैन श्रावक भी प्रभावित होते थे। एक बार उनके पास एक अजैन विद्वान आने लगे,पर वे क्षुल्लक जी को कभी नमस्कार […]

Sep 09
Aacharya Shri 108 Virag Sagar Ji Sansmaran3

SANSMARAN 21. अविराग कदम 1978 में अरविंद एक अनुशासनवान, अध्ययनशील,गुणप्रवीण, विनयी तथा सभी छात्रों में एक होनहार, कुशल प्रिय छात्र थे। वे प्रायकर सभी मित्रों के साथ बैठकर नई-नई योजनाये बनाते रहते थे कभी अध्ययन संबंधी तो कभी नैतिकता, सदाचार संबंधी। एक दिन उन्होंने अपनी मित्रमंडली जो स्वाभिमानी एवं परिश्रमी थी उसे बुलाया तथा कहा- […]

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