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समाधि-भावना

Author: Pandit Shivramji
Language : Hindi
Rhythm: –

Type: Samadhi Bhavana
Particulars: Paath
Created By: Shashank Shaha

दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ,
देहांत के समय में, तुमको न भूल जाऊँ ॥टेक॥

शत्रु अगर कोई हो, संतुष्ट उनको कर दूँ,
समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊँ ॥१॥

त्यागूँ आहार पानी, औषध विचार अवसर,
टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊँ ॥२॥

जागें नहीं कषाएँ, नहीं वेदना सतावे,
तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊँ ॥३॥

आतम स्वरूप अथवा, आराधना विचारूँ,
अरहंत सिद्ध साधू, रटना यही लगाऊँ ॥४॥

धरमात्मा निकट हों, चर्चा धरम सुनावें,
वे सावधान रक्खें, गाफिल न होने पाऊँ ॥५॥

जीने की हो न वाँछा, मरने की हो न इच्छा,
परिवार मित्र जन से, मैं मोह को हटाऊँ ॥६॥

भोगे जो भोग पहिले, उनका न होवे सुमिरन,
मैं राज्य संपदा या, पद इंद्र का न चाहूँ ॥७॥

रत्नत्रय का पालन, हो अंत में समाधि,
‘शिवराम’ प्रार्थना यह, जीवन सफल बनाऊँ ॥८॥

Shashank Shaha added more details to update on 8 November 2024.

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