समुच्चय महार्घ्य

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Language : Hindi

मैं देव श्री अर्हन्त पूजूँ सिद्ध पूजूँ चावसों |
आचार्य श्री उवझाय पूजूँ साधु पूजूँ भाव सों ||१||

अर्हन्त -भाषित बैन पूजूँ द्वादशांग रचे गणी |
पूजूँ दिगम्बर-गुरुचरण शिव-हेतु सब आशा हनी ||२||

सर्वज्ञ-भाषित धर्म-दशविधि दया-मय पूजूँ सदा |
जजुँ भावना-षोडश रत्नत्रय जा बिना शिव नहिं कदा ||३||

त्रैलौक्य के कृत्रिम-अकृत्रिम चैत्य-चैत्यालय जजूँ |
पन-मेरु नंदीश्वर-जिनालय खचर-सुर-पूजित भजूँ ||४||

कैलास श्री सम्मेद श्री गिरनार गिरि पूजूँ सदा |
चम्पापुरी पावापुरी पुनि और तीरथ सर्वदा ||५||

चौबीस श्री जिनराज पूजूँ बीस क्षेत्र विदेह के |
नामावली इक-सहस-वसु जपि होय पति शिवगेह के ||६|

(दोहा)

जल गंधाक्षत पुष्प चरु, दीप धूप फल लाय |
सर्व पूज्य-पद पूजहूँ, बहुविधि-भक्ति बढ़ाय ||७||

ॐ ह्रीं भावपूजा भाववंदना त्रिकालपूजा त्रिकालवंदना करे करावे भावना भावे श्रीअरिहंतजी सिद्धजी आचार्यजी उपाध्यायजी सर्वसाधुजी पंच-परमेष्ठिभ्यो नम:,प्रथमानुयोग-करणानुयोग-चरणानुयोग-द्रव्यानुयोगेभ्यो नम:, दर्शनविशुद्ध्यादि-षोडशकारणेभ्यो नम:, उत्तमक्षमादि- दशलाक्षणिकधर्माय नम:, सम्यग्दर्शन- सम्यग्ज्ञान-सम्यक्चारित्रेभ्यो नम:,जलके विषैं थलके विषैं आकाशके विषैं गुफाके विषे पहाड़के विषैं नगर-नगरी विषैं ऊर्ध्वलोक-मध्यलोक-पाताललोक विषैं विराजमान कृत्रिम-अकृत्रिम जिन-चैत्यालय-जिनबिम्बेभ्यो नमः,विदेहक्षेत्रे विहरमान बीस-तीर्थकरेभ्यो नम:, पाँच भरत पाँच ऐरावत दशक्षेत्र-सम्बन्धि तीस चौबीसी के सातसौ बीस जिनराजेभ्यो नम:, नन्दीश्वरद्वीप-सम्बन्धी बावन- जिनचैत्यालयस्थ- जिनबिम्बेभ्यो नम:, पंचमेरुसम्बन्धि-अस्सी-जिनचैत्यालयस्थ जिनबिम्बेभ्यो नम:, सम्मेदशिखर कैलाश चंपापुर पावापुर गिरनार सोनागिर मथुरा तारंगा आदि सिद्धक्षेत्रेभ्यो नम:,जैनबद्री मूडबिद्री देवगढ़ चन्देरी पपौरा हस्तिनापुर अयोध्या राजगृही चमत्कारजी श्रीमहावीरजी पद्मपुरी तिजारा बड़ागांव आदि अतिशयक्षेत्रेभ्यो नम:, श्री चारणऋद्धिधारी सप्तपरमषिऋभ्यो नम:,ओं ह्रीं श्रीमंतं भगवन्तं कृपावन्तं श्रीवृषभादि महावीरपर्यन्तं चतुविंर्शति-तीर्थंकरं-परमदेवं आद्यानां आद्ये जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे आर्यखंडे उत्तमे नगरे मासानामुत्तमे मासे उत्तमे पक्षे उत्तमे तिथौ उत्तमे वासरे मुनि-आर्यिकानां श्रावक-श्राविकाणां स्वकीय सकल-कर्म क्षयार्थं अनर्घ्यपद-प्राप्तये जलधारा सहित महार्घ्यं सम्पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(मास, पक्ष, दिन की जानकारी ना होने पर “उत्तमे” का प्रयोग करें)

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Updated By : Sou Tejashri Wadkar And Shri Shashank Shaha

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