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INDEX
१ विनय पाठ२ मंगलपाठ3 भजन4 पूजा-विधि प्रारम्भ5 स्वस्ति-मंगल-विधान
6 चतुर्विंशति-तीर्थंकर-स्वस्ति-विधान 7 अथ परमर्षि-स्वस्ति-मंगल-विधान8 समुच्चय महार्घ्य9 विसर्जन-पाठ 10 शांति-पाठ(हिन्दी)11 वीर-प्रभु की आरती
Author:
Language : Sanskrit And Hindi
विसर्जन-पाठ (संस्कृत)
ज्ञानतोऽज्ञानतो वापि शास्त्रोक्तं न कृतं मया।तत्सर्वं पूर्णमेवास्तु त्वत्प्रसादाज्जिनेश्वर।१।
आह्वाननं नैव जानामि नैव जानामि पूजनम् ।विसर्जनं न जानामि क्षमस्व परमेश्वर |२|
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं द्रव्यहीनं तथैव च । तत्सर्वं क्षम्यतां देव! रक्ष-रक्ष जिनेश्वर! |३|
सर्वमंगल-मांगल्यं सर्वकल्याण-कारकम् | प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयतु शासनम् |4|
बिन जाने या जान के, रही टूट जो कोय।तुम प्रसाद से परम-गुरु, सो सब पूरन होय।।
पूजन-विधि जानूँ नहीं, नहीं जानूँ आह्वान।और विसर्जन भी नहीं, क्षमा करो भगवान्।।
मंत्र-हीन धन-हीन हूँ, क्रिया-हीन जिनदेव।क्षमा करहु राखहु मुझे, देहु चरण की सेव।।
सर्व मंगल मांगल्यम्, सर्वकल्याण-कारकम्।प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयतु शासनम्।।
(इसके पश्चात् खड़े होकर आरती करें)
Updated By : Sou Tejashri Wadkar And Shri Shashank Shaha
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