विसर्जन-पाठ

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Language : Sanskrit And Hindi

विसर्जन-पाठ (संस्कृत)

ज्ञानतोऽज्ञानतो वापि शास्त्रोक्तं न कृतं मया।
तत्सर्वं पूर्णमेवास्तु त्वत्प्रसादाज्जिनेश्वर।१।

आह्वाननं नैव जानामि नैव जानामि पूजनम् ।
विसर्जनं न जानामि क्षमस्व परमेश्वर |२|

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं द्रव्यहीनं तथैव च ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव! रक्ष-रक्ष जिनेश्वर! |३|

सर्वमंगल-मांगल्यं सर्वकल्याण-कारकम् |
प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयतु शासनम् |4|

विसर्जन-पाठ (हिन्दी)

बिन जाने या जान के, रही टूट जो कोय।
तुम प्रसाद से परम-गुरु, सो सब पूरन होय।।

पूजन-विधि जानूँ नहीं, नहीं जानूँ आह्वान।
और विसर्जन भी नहीं, क्षमा करो भगवान्।।

मंत्र-हीन धन-हीन हूँ, क्रिया-हीन जिनदेव।
क्षमा करहु राखहु मुझे, देहु चरण की सेव।।

सर्व मंगल मांगल्यम्, सर्वकल्याण-कारकम्।
प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयतु शासनम्।।

(इसके पश्चात् खड़े होकर आरती करें)

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Updated By : Sou Tejashri Wadkar And Shri Shashank Shaha

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