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#AnandSagarJiMaharaj1957Suvratsagarji1973
After receiving initiation in order, in the form of chander langoti in full state, you took the help of Parampujya Acharya Shri 108 Suvratsagar Ji Maharaj from Kamlo to Uniyara Tonk. ,rule. I took the initiation of Param Mahavrati, Digambari and engaged in self-welfare. Out of the 24 hours, for 14 hours, holding the Silent Mahavrata, Muni Sri became famous in the country under the name "Maun Priya".
आचार्य श्री १०८ आनंद सागर जी महाराज "मौनप्रिय "
मध्य प्रदेश के जिला टीकमगढ़ के नगर जतारा के समीप ग्राम सतगुवा में श्री छोटे लाल जी जैन के घर ,वन्दनीय माताजी यशोदा देवी जी जैन की कुक्षी से दिनांक २० जून १९५७ को प्रात:काल के शुभ मुहूर्त में जन्मे बालक सुरेश कुमार जैन ।मध्य प्रदेश के जिला टीकमगढ़ के नगर जतारा के समीप ग्राम सतगुवा में श्री छोटे लाल जी जैन के घर ,वन्दनीय माताजी यशोदा देवी जी जैन की कुक्षी से दिनांक २० जून १९५७ को प्रात:काल के शुभ मुहूर्त में जन्मे बालक सुरेश कुमार जैन ।आपने बाल्यकाल से ही अपने वीतराग के पथ को अग्रेषित कर दिनांक २७ मार्च १९७६ दिन रविवार को अपने माता ,पिता का ममत्व,३ भाइयों व् २ बहनों का एवं पूरे परिवार का मोह त्यागकर परम पूज्य मुनिसुव्रत सागर जी महाराज के पावन चरणों में पहुचकर दिनांक २ अप्रैल १९७६ को दूसरी एवं दिनांक १२ अप्रैल १९७६ को सातवी प्रतिमा के व्रत एवं आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत श्री महावीर जी तथा दिनांक ३ मई १९७६ को मलारना डूंगरपुर सवाई माधोपुर राज. में क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण कर क्षुल्लक श्री ज्ञान भूषण जी महाराज के रूप में मोक्सा मार्ग पर अग्रेषित हुए।क्षुल्लक अवस्था में चादर लंगोटी का परिग्रह उन्हें भार लगने पर आपने दिनांक २ जून १९७६ को परमपूज्य आचार्य श्री १०८ सुव्रत्सागर जी महाराज के कर कमलो से उनयारा टोंक ,राज. में परम महाव्रती ,दिगम्बरी दीक्षा ग्रहण कर अपने को आत्म कल्याण में लगा लिया ।२४ घंटे में से १८ घंटे मौन महाव्रत धारण करने के कारण मुनि श्री "मौन प्रिय "नाम से देश में प्रसिद्ध हुए।
अनेक जैन धर्म विषयक पुस्तको के सर्जन कर्ता होने के कारण परम पूज्य गणधराचार्य कुन्थु सागर जी महाराज के सान्निध्य एवं उनके कर कमलो से महाराज श्री को दिनांक १९ जनवरी १९९१ को दिल्ली में उपाध्याय पद से विभूषित किया गया।
महाराज श्री की सतत साधना को देखते हुए परम पूज्य आचार्य श्री कुशाग्रनंदी जी महाराज और आचार्य श्री सुधर्म सागर जी महाराज के करकमलो से दिनांक १५ अक्टूबर २००२ को अशोक विहार दिल्ली में हजारो श्रद्धालुओं के मध्य महाराज श्री को साधू परमेश्वर का उच्च पद आचार्य पद से अलंकृत किया गया ।
संक्षिप्त परिचय
जन्म: २० जून १९५७जन्म स्थान :ग्राम सतगुवा जिला टीकमगढ़,मध्य प्रदेशजन्म का नामसुरेश कुमार जैनमाता का नाम :यशोदा देवी जी जैन पिता का नाम :श्री छोटे लाल जी जैन बाल ब्रह्मचारी तिथि :१२ अप्रैल १९७६क्षुल्लक दीक्षा तिथि : ३ मई १९७६ मुनि दीक्षा तिथि :२ जून १९७६ दीक्षा गुरु :परम पूज्य मुनिसुव्रत सागर जी महाराज मुनि दीक्षा स्थल :उनयारा टोंक ,राज.उपाध्याय पद तिथि:१९ जनवरी १९९१ उपाध्याय पद प्रदाता:गणाधिपति श्री कुन्थु सागर जी महाराजआचार्य पद स्थल :अशोक विहार दिल्लीआचार्य पद तिथि :१५ अक्टूबर २००२आचार्य पद प्रदाता:परम पूज्य आचार्य श्री कुशाग्रनंदी जी महाराज और आचार्य श्री सुधर्म सागर जी महाराजविशेषता :२४ घंटे में से १८ घंटे मौन महाव्रत धारण करने के कारण मुनि श्री "मौन प्रिय "नाम से देश में प्रसिद्ध हुए।
#AnandSagarJiMaharaj1957Suvratsagarji1973
आचार्य श्री १०८ आनंद सागरजी महाराज
Muni Shri 108 Suvrat Sagarji Maharaj-1973
मुनि श्री १०८ सुव्रत सागरजी महाराज Muni Shri 108 Suvrat Sagarji Maharaj-1973
AnandSagarJiMaharaj1957Suvratsagarji1973
After receiving initiation in order, in the form of chander langoti in full state, you took the help of Parampujya Acharya Shri 108 Suvratsagar Ji Maharaj from Kamlo to Uniyara Tonk. ,rule. I took the initiation of Param Mahavrati, Digambari and engaged in self-welfare. Out of the 24 hours, for 14 hours, holding the Silent Mahavrata, Muni Sri became famous in the country under the name "Maun Priya".
Muni Sri became famous in the country under the name "Maun Priya" due to wearing Maun Mahavrat for 16 hours out of 24 hours
Maharaj Shri was conferred with the title of Upadhyaya in Delhi on 19th January, 1919, in connection with Param Pujya Ganadharacharya Kunthu Sagar ji Maharaj and being a surgeon of many Jain religious books.
In view of the continuous spiritual practice of Maharaja Shri, Maharaja Shri was honored with the high position of Acharya from Maharaja Shri among thousands of devotees at Ashok Vihar Delhi on 15th October, 2002 from His Holiness Shri Kushagrandandi Ji Maharaj and Acharya Shri Sudharm Sagar Ji Maharaj was done .
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Acharya Sri 108 Anand Sagarji Maharaj
मुनि श्री १०८ सुव्रत सागरजी महाराज Muni Shri 108 Suvrat Sagarji Maharaj-1973
मुनि श्री १०८ सुव्रत सागरजी महाराज Muni Shri 108 Suvrat Sagarji Maharaj-1973
Muni Shri 108 Suvrat Sagarji Maharaj-1973
Acharya Shri 108 Suvratsagarji Maharaj
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