Acharya Shri 108 Nemi Sagar Ji Maharaj was born in the year 1928 in Village-Basgade,Dist-Sangli,Maharashtra.His name was Shivgoda Ji Patil before Diksha. He received initiation from Acharya Shri 108 Vimal Sagar Ji Maharaj.
आचार्यश्री ने बताया था कि 1990 में महाराष्ट्र के सांगली जिले की मिरज तहसील में बसे भोसे फाटक (दण्डकारण्य क्षेत्र) में प्रवास के समय उन्हें स्वप्न में ही भगवान ने दर्शन दिए और आचार्यश्री ने वहां एक तीर्थक्षेत्र बनाने का विचार किया। वहां उन्होंने 2004-05 में जीर्णोद्धार के कार्य को आगे बढ़ाया। फिर उन्होंने 2007 से 2009 तक धर्म कार्य को आगे बढ़ाया। लगभग 25 वर्षों के अथक तपस्वी जीवन में किए गए उनके अथक प्रयासों के फलस्वरूप भगवान श्री आदिनाथ तीर्थंकर दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, दण्डकारण्य, नेमिनाथनगर, भोसे फाटा, तहसील-मिरज, जिला-सांगली (महाराष्ट्र) का भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव 16 फरवरी से 20 फरवरी 2014 तक कठिन घोर उपसर्ग विजेता, निमित्त ज्ञानी, तपोमूर्ति, दीर्घोपवासी, शांतिसिंधु, चारित्ररत्न आचार्यश्री नेमिसागरजी महाराज ससंघ के पावन सान्निध्य में संपन्न हो गया है। दण्डकारण्य पर्वत की तलहटी पर इस उत्तुंग मनोज्ञ अतिशय क्षेत्र का निर्माण हुआ है। यहां 24 तीर्थंकर जिनालय, बाहुबली जिनालय, सहस्रकूट जिनबिम्ब, समवशरण, नंदीश्वर जिनालय, देशभूषण-कुलभूषण जिनालय, नवग्रह तीर्थ एवं चतुर्मुख मानस्तंभ, उत्तुंग शिखर हैं। मैंने 2008 में इस निर्माणाधीन तीर्थ के दर्शन किए थे। |
Acharya Shri 108 Nemi Sagar Ji Maharaj was born in the year 1928 in Village-Basgade,Dist-Sangli,Maharashtra.His name was Shivgoda Ji Patil before Diksha. He received initiation from Acharya Shri 108 Vimal Sagar Ji Maharaj.