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#ParshvSagarJi1915VimalSagarJi
Karthik Sudi ६ Vikram Samvat 1972 Saturday Born in Shravan Nakshatra, the name of Shri Parshwar Sagar Ji Maharaj's childhood was Rajendrakumar. You were born in a village named Kotla. Your father's name was Ram Swaroop and mother's name was Janaki Bai. Soon after, you passed middle class and went to Morena for further studies.
आचार्य श्री १०८ पार्श्व सागर जी महाराज
कार्तिक सुदी ६ विक्रम संवत १९७२ शनिवार श्रवण नक्षत्र में जन्मे श्री पार्श्व सागर जी महाराज के बचपन का नाम राजेन्द्रकुमार था।आपका जन्म कोटला नाम के गाँव में हुआ था।आपके पिता का नाम राम स्वरुप और माता का नाम जानकी बाई था।बुद्धि की तीव्रता से आपने जल्द ही मिडिल क्लास पास कर ली और आगे की पड़ी के लिए मुरेना चले गए।परन्तु पापोदय से आपके पिता जी की म्रत्यु ३६ वर्ष की अवस्था में हो गयी ।आप मुरेना छोड़कर वापस घर चले आये ।उस समय से आपका मन घर से उदास ही रहता था,पर माँ की सेवा करने के लिए घर मे रहकर ही ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे।४३ वर्ष तक माके साथ रहकर उनकी समाधि करायी ।समाधि कराने के बाद कुछ समय ही घर पर रहे ।
वैराग्य का कारण :पर्युषण पर्व की चतुर्दशी के दिन उपवास किया था ।प्रात: काल की दिनचर्या और अभिषेक पूजन के बाद चटाई पर लेटे थे ,अचानक नींद लग जाती है और उन्हें स्वप्न आता है कि दो जंगली सूअर सामने रखे खाने के लिए आक्रमण करते है,इनमे से १ ने तो कंधे पर पैर रखकर खाने कि कोशिश की और दुसरे पुन: खाने के लिए झपटता है।इतने में नींद खुल जाती है,शरीर काप जाता है ,देखते है यहाँ न तो सूअर है न खाना ।मैंने तो उपवास किया है और नींद लग जाने से ये स्वप्न आया है।मेरा जीवन व्यर्थ में ही नष्ट हो रहा है इस लिए मुझे आत्म कल्याण करना चाइये।ऐसा निश्चय कर जिसका कर्ज देना था उसका सामान बेच कर कर्ज चुकाते है ।आचार्य श्री विमल सागर जी म.प्र. में विराजमान है ऐसा जान कर कार्तिक सुदी १२ दिन गुरूवार दिनांक १२/११/५९ को सातवी प्रतिमा के व्रत ग्रहण करते है। और उनका नाम पार्श्व कीर्ति रक जाता है। फागुन सुदी १४ दिनांक १२/३/६० को क्षुल्लक दीक्षा लीऔर नाम बाहुबली सागर रखा गया।सावन सुदी ७ में मुनि दीक्षा आचार्य विमल सागर जी द्वारा १८/८/६१ को प्रदान की गयी और आप मुनि श्री १०८ पार्श्व सागरजी बन गए ।गुरु के पास रहकर ११ वर्ष तक आपने गहन अध्यन्न और तप चरण करके हर कार्य में समर्थ होकर धर्म प्रभावना करी ।गुरु आज्ञा से संघ से प्रथक विहार कर सेकड़ो व्रती बनाये,अनेको दीक्षाए दी और कई लोगो को पापो का त्याग करवाकर धर्म के मार्ग पर लगाया।सागवाडा चातुर्मास में संवत २०३६ दिनांक ६/१२/१९७९ को आचार्य विमल सागर जी ने पत्र द्वारा पीछी,भाव और मुर्हत भेजकर चतुर्विध संघ और समाज द्वारा आचार्य पद प्रदान किया ।सन १९८१ फागुन सुदी १४ को आपने १२ वर्ष की समाधि का नियम लिया ।सन १९८५ में श्रवणबेलगोला में आपने (४ रस का त्याग तो पहले से था ) दूध और बुरे का भी आजन्म त्याग कर दिया।सन ८८ में महावीर जयंती के दिन धान्य का भी त्याग कर दिया ।२९/५/८८ को आपने चन्द्र प्रभु भगवान् को साक्षी मान कर आहार पानी का त्याग कर यम समाधि ले ली।आषण वदी एकम के दिन सायं काल के समय आचार्य श्री ने इस नश्वर शरीर का त्याग कर दिया
#ParshvSagarJi1915VimalSagarJi
आचार्य श्री १०८ पार्श्वसागरजी महाराज
Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी १९१५ (अंकलिकार) Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
Dhaval Patil Pune-9623981049
Dhaval Patil Pune-9623981049
VimalSagarJi1915(Ankalikar)MahaveerKirtiJi
Karthik Sudi ६ Vikram Samvat 1972 Saturday Born in Shravan Nakshatra, the name of Shri Parshwar Sagar Ji Maharaj's childhood was Rajendrakumar. You were born in a village named Kotla. Your father's name was Ram Swaroop and mother's name was Janaki Bai. Soon after, you passed middle class and went to Morena for further studies.
Karthik Sudi ६ Vikram Samvat 1972 Saturday Born in Shravan Nakshatra, the name of Shri Parshwar Sagar Ji Maharaj's childhood was Rajendrakumar. You were born in a village named Kotla. Your father's name was Ram Swaroop and mother's name was Janaki Bai. Soon after, you passed middle class and went to Morena for further studies. But your father died at the age of 36 from his sins. You left Morena and came back home. From that time on your mind from home. He used to remain depressed, but started to practice celibacy by staying at home to serve his mother. Stayed with Maka for 43 years and did his samadhi. After staying for some time he stayed at home.
Reason for disinterest: Fasted on the Chaturdashi of Paryushan festival. The rituals and abhishekas of the old age lay on the mat after worship, they suddenly fall asleep and they dream of two wild boars attacking in front of them to eat. Have, 1 of them tried to eat with his feet on his shoulder and swung to eat again. In this, sleep opens up, the body wakes up, see if there is no boar or food here. I fasted I have done this dream due to sleeplessness. My life is being destroyed in vain, so I have to do self-welfare. By doing so, I pay the loan by selling the goods of the one who had to pay the loan. Acharya Shri Vimal Sagar Ji . Kartik Sudi, knowing that he is sitting in India, takes the fast on the seventh statue on Thursday, 12/11/59 on 12 days. And his name is playback record. Fagun Sudi 14 dated 12/3/40 took Chhulak Diksha and was named Bahubali Sagar. In Savan Sudi 4, Muni Diksha was provided by Acharya Vimal Sagar ji on 14/8/61 and you became Muni Sri 108 Parshva Sagarji. Staying close to God for 11 years, he practiced religion by doing deep meditation and austerity phase and being able to do religion in every work. Acharya Vimal Sagar ji conferred the post of Acharya by Chaturvidhi Sangha and the society by sending letters, back and mouth by letter on Samvat 2038, dated 7/12/1979 in Sagwada Chaturmas. In Shravanabelagola in 1975, you gave up the birth of milk and bad (already there was a sacrifice of 4 rasas). In the year 9, you also gave up grains on the day of Mahavir Jayanti. Taking Yama Samadhi as a witness to God and renouncing food water, Acharya Shri sacrificed this mortal body on the day of Ashan Vadi Ekam.
Acharya Shri 108 Parshvsagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी १९१५ (अंकलिकार) Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी १९१५ (अंकलिकार) Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
Acharya Shri 108 VimalSagarji 1915 (Ankalikar)
Acharya Shri 108 Vimal Sagarji Maharaj
Dhaval Patil Pune-9623981049
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