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#TanmaySagarJiMaharaj1970AbhinandanSagarJi
Acharya Shri Tanmay Sagar Ji was born on 2 March 1970 in Ashoknagar,Madhya Pradesh.Acharya Shri Tanmay Sagar Ji Maharaj received the initiation from Acharya Shri Abhinandan Sagar Ji Maharaj.
आचार्य श्री तन्मय सागर जी का जीवन परिचय
नाम-बा. ब्र. श्री राजेन्द्र वर्णी जी
पिता-श्री कबूल चन्द्र जी जैन, बोझल
माता-श्रीमती पिस्ता देवी जैन
जन्म स्थान-अशोक नगर (म० प्र०)
शिक्षा-बी. कॉम
धार्मिक शिक्षा-शास्त्री साहित्याचार्य ज्योतिषाचार्य प्रतिष्ठाचार्य आचार्य रल आदि
ब्रह्मचर्य व्रत-21 मार्च 1986 श्री क्षेत्रपाल जी ललितपुर(उ0प्र0) आचार्य श्री विद्यासागर जी से
सप्तम प्रतिमा- 31 मार्च 1987 सिद्ध सोनागिर जीआचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से
मुनि दीक्षा-वैशाख कृष्ण द्वितीय 17 अप्रैल 2014 दिन गुरुवार ।
दीक्षा गुरु-आचार्य श्री 108 अभिनन्दन सागर जी महाराज
दीक्षा स्थल - पांडवा डूंगरपुर, राजस्थान
आचार्य पद-13 नवम्बर 2015,दिन शुक्रवार कार्तिक शुक्ला दूज,
चातुर्मास -आगरा प्रथम चातुर्मास परतापुर (दूंगरपुर) राजस्थान द्वितीय चातुर्मास आगरा (उ0प्र0) तृतीय चातुर्मास बडागाँव अतिशय क्षेत्र, बागपत उ0प्र0 चतुर्थ चातुर्मास कैराना, शामली (उ0प्र0)
कृतियाँ- तन्मय प्रश्नोत्तरी, तन्मय आराधना, गुणस्थान रहस्य,सिद्धि वाचिका, विनिश्चय, करणानुयोग दीपक इष्टोपदेश
जैसे बादलो को देखकर, मोर नाचने लगते है आम्र संजरियो को देखकर, कोयले गीत गाने लगती है उसी प्रकार चातर्मास लगते ही, धार्मिक-जनो और।प्रभु भक्तों को हृदय, कमल खिल उठता है। विविध प्रकार की धर्म-आराधना, तप, जप नियम त्याग आदि द्वारा श्रद्वालुजन अपनी आत्मा का, कल्याण करने में लग जाते है
अविचल ज्ञान विलक्षण साधक तिलक वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री, जैन दर्शन के सशक्त हस्ताक्षर, आगम के मर्मज्ञ अभीक्षण ज्ञान चरित्र और चर्या के धनी प्रथम आचार्य श्री चरित्र चक्रवर्ती शांति सागर जी महाराज के अक्षुण परम्परा के वर्तमान पट्टाचार्य वात्सल्य मूर्ति आचार्य अभिनंदन सागर जी महाराज के प्रमुख शिष्यों में से एक शिष्य हे अल्पवय में ही अब सरोवर के राजहंस आचार्य गुरुदेव श्री विद्या सागर जी महाराज से संत संयम मार्ग के अनुरागी बन मुक्ति यात्रा की ओर अग्रसर आप एक ऐसे दिगंबरसंत है, जिनके अन्मस में संयम, साधना, सृजन की त्रिवेणी समाहित है। आपकी सम्मोहक मुख मुद्रा, ओजपूर्ण वाणी, व्यवहार में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। हिन्दी, अंग्रेजी प्राकृत संस्कृत और बंगला भाषा पर समान अधिकार है. जैनआगम का वैज्ञानिक अध्ययन आपको श्रेष्ठता की श्रेणी प्रदान करता है।
अंतस वर्गणा आत्मा वैभव स्तुति वैभव कर्मकालेख आदि अप्रकाशित कृतियों की श्रेणियों में सहज सरल सर्वजन हिताय सर्व जन सुखाय सिद्ध होगी।।
मध्य प्रदेश अशोक नगर में पिता कबूल चन्द्र एवं माता श्रीमती पिस्ता देवी जैन के घर राजेन्द्र उर्फ राजु जैन के रूप में 2 मार्च 1970 को जन्मे पूज्य श्री के अंतस में वैराग्य अंकुरण, लौकिक शिक्षण (बी.कॉम.) के समय आचार्य तपोनिधि बोनिधी विद्या सागर जी महाराज के दर्शन मात्र से प्रसफुटित हआ। अतिशय क्षेत्र थोबोन जी में आचार्य श्री से ब्रह्मचर्य व्रत लेकर श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल जबलपुर में जैन दर्शन के मर्म की प्यास लेकर प्रवेश किया। 10 वर्ष के गहन अध्ययन के उपरान्त श्री तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की तलहटी में बसे वर्णी जी द्वारा स्थापित शान्तिनिकेतन उदासीन आश्रम में अधिष्ठाता के रूप में नियुक्त हुये। 2 अक्टूबर 1998 को वर्णी पद प्रदान किया तथा अनेक धार्मिक अनुष्ठानों को सम्पन्न कर धर्म प्रभावना की। कर्मोदय के झंझावत से जूझते-जूझत दिनांक 17 अप्रैल 2014 वैशाख कष्ण द्वितीया दिन गुरुवार को वर्तमान पट्टाचार्य गुरुवर श्री अभिनन्दन सागर जी महाराज से पाण्डवा ग्राव जिला डूंगरपुर राजस्थान में दिगम्बरी दीक्षा का कल्पवृक्ष फलीभूत हुआ।
दिगम्बरत्व यह छोटे पौधे के रूप में कल्पवृक्ष बनकर स्वपर उपकारी जीवमात्र के लिए सुख शांति का प्रतीक महानगर आगरा के श्री दिगम्बर जैन महावीर कमला नगर, डी 19 में 30 जुलाई 2015 को भव्य समारोह पूर्वक चार्तुमास स्थापना हुआ। अपूर्व धर्म प्रभावना के साथ सम्पन्न दशलक्षण महापर्व सम्पन्न हुआ। 12 अक्टूबर 2015 को क्षमावणी पर्व हेतु श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल महासभा ने श्रीफल भेंट किया। पूज्य मुनि श्री, एम.डी. जैन कॉलेज पहुँचे। वहाँ पर पूज्य श्री के प्रवचनों की गूंज से जन-जन का हृदय पुलकित हो उठा और सभी ने एकस्वर से आचार्य श्री 108 तन्मय सागर जी महाराज की जयकारो से गुजायमान किया आर घोषणा की कि पूज्य श्री को आचार्य पद प्रदान किया जायेगा। समाचार पत्रो, पत्रिकाओं में प्रकाशित समाचार को पढ़कर श्री महावीर दिगम्बर जैन कमला नगर जैन समाज ने उस पद की अनमोदना की और एक समारोह में विधिवत् आचार्य पद के संस्कार कर आचार्य तन्मय सागर जी महाराज की जय से पूरा पडाल गुंजायमान कर दिया। आचार्य श्री की चरित्र और चर्या में एक अध्याय जोडकर श्रमण संस्कृति को उज्जवलता प्रदान की है।
परम पूज्य आचार्य श्री 108 तन्मय सागर जी महाराज इस पद के योग्य है। आपका जैन दर्शन का अध्ययन बेजोड है। आपकी साधना, चर्या, प्रेरणास्पद है। कमला नगर शालीमार्ग वलकेशवर मिलकर भावना भाते है कि आप निरंतर धर्म प्रभावना करते रहे और अपने शुभ लक्ष्य को प्राप्त हो, आपके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते है। सम्पूर्ण आगरा दिगम्बर जैन समाज का आचार्य पद प्रतिष्ठापन महोत्सव पद कोटि-कोटि नमोस्तु।
साधक तिलक, वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री तन्मय सागर जी महाराज, श्रमण संस्कृति के परिचालक, निर्लेप, निष्काम, निर्विकार योगी, दिगम्बर मुद्राधारी, प्रखर प्रवक्ता, संत साधना के शुभ आकाश के ध्रुव तारे 36 मूलगुणों के परिपालक, शुद्धात्म ध्यानी, महामुनिश्वर, शुद्रोप योगी, श्रमण स्वातम साधना के सजग प्रहरी, आलौकिक व्यक्तित्व व कृतित्व के धनी, आगमोक्त, श्रमणचर्या पालक, समय सार के मूर्त रूप, अध्यातम मूर्ति, चलते-फिरते तीर्थ गुरु श्री तन्मय सागर जी महाराज को कोटि-कोटि नमन।
मंत्री
राहुल अहिंसा
श्री दिगम्बर जैन मुनि सेवा समिति
श्री तन्मय सागर वर्षा योग समिति
कमला नगर डी 19, आगरा
#TanmaySagarJiMaharaj1970AbhinandanSagarJi
आचार्य श्री १०८ तन्मय सागरजी महाराज
Raj Jain -9518646259
आचार्य श्री १०८ अभिनन्दन सागरजी महाराज १९४२ Acharya Shri 108 Abhinandan Sagarji Maharaj 1942
Sanjul Jain created wiki page for Maharaj ji on 24-09-2021
TanmaySagarJiMaharaj1970AbhinandanSagarJi
Acharya Shri Tanmay Sagar Ji was born on 2 March 1970 in Ashoknagar,Madhya Pradesh.Acharya Shri Tanmay Sagar Ji Maharaj received the initiation from Acharya Shri Abhinandan Sagar Ji Maharaj.
Acharya Shri 108 Tanmay Sagarji Maharaj
आचार्य श्री १०८ अभिनन्दन सागरजी महाराज १९४२ Acharya Shri 108 Abhinandan Sagarji Maharaj 1942
Raj Jain -9518646259
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