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#Bulakidasprachin
बुलाकीदासका जन्म आगरेमें हुआ था । ये गोयलगोत्री अग्रवाल दिगम्बर जैन श्रावक थे । इनके पूर्वज बयाना (भरतपुर)में रहते थे। इनके पितामह भवणदास बयाना छोड़कर आगरेमें बस गये थे। उनके पुत्र नन्दलालको सुयोग्य देखकर पंडित हेमराजने उनके साथ अपनी कन्याका विवाह कर दिया था, जिसका नाम जैनी था । हेमराजने अपनी इस कन्याको बहुत ही सुशिक्षित किया था । बुलाकोदासका जन्म इसी जैनो सदरसे हुआ था। उन्होंने अपनी माताको प्रशंसामें लिखा है
हेमराज पंडित बसै, तिसो आगरे ठाइ।
गरग मोत गुन आगरी, सब पूजे जिस पाइ ।।
उपगीता के देहजा, जनी नाम विख्याति ।
सील रूप गुन आगरी, प्रीति-नीतिको पाँति ।।
दीनी विद्या जनकने कीनी अति व्युत्पन्न ।
पंडित जापै सीख लें घरनीतल में बन्न ।।
कविकी 'पाण्डवपुराण' नामक एक ही रचना उपलब्ध है । यह रचना उसने अपनी माताके आग्रहसे लिखी है।
बुलाकीदासका जन्म आगरेमें हुआ था । ये गोयलगोत्री अग्रवाल दिगम्बर जैन श्रावक थे । इनके पूर्वज बयाना (भरतपुर)में रहते थे। इनके पितामह भवणदास बयाना छोड़कर आगरेमें बस गये थे। उनके पुत्र नन्दलालको सुयोग्य देखकर पंडित हेमराजने उनके साथ अपनी कन्याका विवाह कर दिया था, जिसका नाम जैनी था । हेमराजने अपनी इस कन्याको बहुत ही सुशिक्षित किया था । बुलाकोदासका जन्म इसी जैनो सदरसे हुआ था। उन्होंने अपनी माताको प्रशंसामें लिखा है
हेमराज पंडित बसै, तिसो आगरे ठाइ।
गरग मोत गुन आगरी, सब पूजे जिस पाइ ।।
उपगीता के देहजा, जनी नाम विख्याति ।
सील रूप गुन आगरी, प्रीति-नीतिको पाँति ।।
दीनी विद्या जनकने कीनी अति व्युत्पन्न ।
पंडित जापै सीख लें घरनीतल में बन्न ।।
कविकी 'पाण्डवपुराण' नामक एक ही रचना उपलब्ध है । यह रचना उसने अपनी माताके आग्रहसे लिखी है।
#Bulakidasprachin
आचार्यतुल्य बुलाकीदास 17वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 28 मई 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 28 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
बुलाकीदासका जन्म आगरेमें हुआ था । ये गोयलगोत्री अग्रवाल दिगम्बर जैन श्रावक थे । इनके पूर्वज बयाना (भरतपुर)में रहते थे। इनके पितामह भवणदास बयाना छोड़कर आगरेमें बस गये थे। उनके पुत्र नन्दलालको सुयोग्य देखकर पंडित हेमराजने उनके साथ अपनी कन्याका विवाह कर दिया था, जिसका नाम जैनी था । हेमराजने अपनी इस कन्याको बहुत ही सुशिक्षित किया था । बुलाकोदासका जन्म इसी जैनो सदरसे हुआ था। उन्होंने अपनी माताको प्रशंसामें लिखा है
हेमराज पंडित बसै, तिसो आगरे ठाइ।
गरग मोत गुन आगरी, सब पूजे जिस पाइ ।।
उपगीता के देहजा, जनी नाम विख्याति ।
सील रूप गुन आगरी, प्रीति-नीतिको पाँति ।।
दीनी विद्या जनकने कीनी अति व्युत्पन्न ।
पंडित जापै सीख लें घरनीतल में बन्न ।।
कविकी 'पाण्डवपुराण' नामक एक ही रचना उपलब्ध है । यह रचना उसने अपनी माताके आग्रहसे लिखी है।
Acharyatulya Bulakidas 17th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 28 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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