हैशटैग
#Gundas

गुणदासका अपरनाम गुणकीर्ति भी उपलब्ध होता है। गृहस्थ अवस्थामें इनका नाम गुणदास था और त्यागी होनेपर यही गुणकीर्ति के नामसे प्रसिद्ध हए। इन्होंने बेणिकपुराण, धर्मामृत, रुक्मिणीहरण, परपुराण (अपूर्ण) और एक स्फुट रचना रामचन्द्रहलदुलि लिखी है। श्रेणिकपुराण भाषाको दृष्टिसे अपूर्व रचना है। इसमें मराठीका स्वच्छ और प्रवाहमय रूप विद्यमान है। भगवान महावीरके समकालीन सम्राट् श्रेणिककी अद्भुत कथा वर्णित है।
धर्मामृत गद्य ग्रन्थ है, जो उपलब्ध गद्य अन्यों में प्राचीनतम है। इसमें गृहस्थोंके आचारका सांगोपांग वर्णन है । लेखकने ९६ पाखण्डोंकी गणनाकर सरागी, देव-देवियोंका निरसन किया है। विभिन्न सम्प्रदायोंकि आचार-विचारों का अध्ययन करने के लिए यह अन्य उपादेय है। अणुव्रत, गुणवत, शिक्षावत और संल्लेखनाका अतिचार सहित निरूपण किया है।
'रुनिमणीहरण' काव्यमें श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिभीके हरणको कथा वर्णित है। वसुदेव, बलराम, श्रीकृष्ण, नेमिनाथ, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध ये यदुवंशके प्रसिद्ध महापुरुष थे । रुक्मिणीहरण काव्यमें कविने कृष्णके बलपौरूषके साथ सनको राजनीतिका भी चित्रण किया है।
'पद्मपुराण' में रामकी कथा रविषेणके 'पपुराण के आधारपर गुम्फित की गयी है । इस ग्रन्धको कवि २८ अध्याय तक ही लिख सका । इस ग्रन्थमें कविने द्वादश अनुप्रेक्षाओंका वर्णन सुन्दर रूपमें किया है।
'रामचन्द्रहलदुलि में रामके विवाहका वर्णन आया है। यह रचना गतीबद्ध है।
गुणदासका अपरनाम गुणकीर्ति भी उपलब्ध होता है। गृहस्थ अवस्थामें इनका नाम गुणदास था और त्यागी होनेपर यही गुणकीर्ति के नामसे प्रसिद्ध हए। इन्होंने बेणिकपुराण, धर्मामृत, रुक्मिणीहरण, परपुराण (अपूर्ण) और एक स्फुट रचना रामचन्द्रहलदुलि लिखी है। श्रेणिकपुराण भाषाको दृष्टिसे अपूर्व रचना है। इसमें मराठीका स्वच्छ और प्रवाहमय रूप विद्यमान है। भगवान महावीरके समकालीन सम्राट् श्रेणिककी अद्भुत कथा वर्णित है।
धर्मामृत गद्य ग्रन्थ है, जो उपलब्ध गद्य अन्यों में प्राचीनतम है। इसमें गृहस्थोंके आचारका सांगोपांग वर्णन है । लेखकने ९६ पाखण्डोंकी गणनाकर सरागी, देव-देवियोंका निरसन किया है। विभिन्न सम्प्रदायोंकि आचार-विचारों का अध्ययन करने के लिए यह अन्य उपादेय है। अणुव्रत, गुणवत, शिक्षावत और संल्लेखनाका अतिचार सहित निरूपण किया है।
'रुनिमणीहरण' काव्यमें श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिभीके हरणको कथा वर्णित है। वसुदेव, बलराम, श्रीकृष्ण, नेमिनाथ, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध ये यदुवंशके प्रसिद्ध महापुरुष थे । रुक्मिणीहरण काव्यमें कविने कृष्णके बलपौरूषके साथ सनको राजनीतिका भी चित्रण किया है।
'पद्मपुराण' में रामकी कथा रविषेणके 'पपुराण के आधारपर गुम्फित की गयी है । इस ग्रन्धको कवि २८ अध्याय तक ही लिख सका । इस ग्रन्थमें कविने द्वादश अनुप्रेक्षाओंका वर्णन सुन्दर रूपमें किया है।
'रामचन्द्रहलदुलि में रामके विवाहका वर्णन आया है। यह रचना गतीबद्ध है।
#Gundas
आचार्यतुल्य गुणदास या गुणकीर्ति (प्राचीन)
| Name | Phone/Mobile 1 | Which Sangh/Maharaji/Aryika Ji you are associated with |
|---|---|---|
| Sangh Common Number | +919844033717 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi |
| Hemal Jain | +918690943133 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
| Abhi Bantu | +919575455473 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
| Purnima Didi | +918552998307 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
| Varna Manish Bhai | +919352199164 | #KanaknandiJiMaharajKunthusagarji |
| Ankit Test | +919730016352 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj |
| Santosh Khule | +919850774639 | #PavitrasagarJiMaharaj1949SanmatiSagarJi1927 |
| Madhok Shaha | +919928058345 | #KanaknandiJiMaharajKunthusagarji |
| Siddharth jain Baddu | +917987281995 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #VishalSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi |
| Akshay Adadande | +919765069127 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi |
| Mayur Jain | +918484845108 | #SundarSagarJiMaharaj1976SanmatiSagarJi, #VibhavSagarJiMaharaj1976ViragSagarJi, #PrabhavsagarjiPavitrasagarJiMaharaj1949, #MayanksagarjiRayansagarJiMaharaj1955 |
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 4 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 4 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
गुणदासका अपरनाम गुणकीर्ति भी उपलब्ध होता है। गृहस्थ अवस्थामें इनका नाम गुणदास था और त्यागी होनेपर यही गुणकीर्ति के नामसे प्रसिद्ध हए। इन्होंने बेणिकपुराण, धर्मामृत, रुक्मिणीहरण, परपुराण (अपूर्ण) और एक स्फुट रचना रामचन्द्रहलदुलि लिखी है। श्रेणिकपुराण भाषाको दृष्टिसे अपूर्व रचना है। इसमें मराठीका स्वच्छ और प्रवाहमय रूप विद्यमान है। भगवान महावीरके समकालीन सम्राट् श्रेणिककी अद्भुत कथा वर्णित है।
धर्मामृत गद्य ग्रन्थ है, जो उपलब्ध गद्य अन्यों में प्राचीनतम है। इसमें गृहस्थोंके आचारका सांगोपांग वर्णन है । लेखकने ९६ पाखण्डोंकी गणनाकर सरागी, देव-देवियोंका निरसन किया है। विभिन्न सम्प्रदायोंकि आचार-विचारों का अध्ययन करने के लिए यह अन्य उपादेय है। अणुव्रत, गुणवत, शिक्षावत और संल्लेखनाका अतिचार सहित निरूपण किया है।
'रुनिमणीहरण' काव्यमें श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिभीके हरणको कथा वर्णित है। वसुदेव, बलराम, श्रीकृष्ण, नेमिनाथ, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध ये यदुवंशके प्रसिद्ध महापुरुष थे । रुक्मिणीहरण काव्यमें कविने कृष्णके बलपौरूषके साथ सनको राजनीतिका भी चित्रण किया है।
'पद्मपुराण' में रामकी कथा रविषेणके 'पपुराण के आधारपर गुम्फित की गयी है । इस ग्रन्धको कवि २८ अध्याय तक ही लिख सका । इस ग्रन्थमें कविने द्वादश अनुप्रेक्षाओंका वर्णन सुन्दर रूपमें किया है।
'रामचन्द्रहलदुलि में रामके विवाहका वर्णन आया है। यह रचना गतीबद्ध है।
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 4 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
#Gundas
15000
Acharyatulya Gundas or Gunkirti (Prachin)
#Gundas
Gundas
You cannot copy content of this page