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#Janhigale
इन्होंने 'अनुपेहारास' नामक उपदेशपद अन्ध लिखा है। इसमें अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अनेकत्व, अशुचि, आस्रव, संवर, निर्जरा, बोधदुर्लभ और धर्म इन बारह भावनाओंका स्वरूपाइन किया है। कविके सम्बन्ध में कुछ भी जानकारी प्राप्त नहीं होती। अनुमानतः कविका समय वि. की १५वीं शताब्दी प्रतीत होता है।
इन्होंने 'अनुपेहारास' नामक उपदेशपद अन्ध लिखा है। इसमें अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अनेकत्व, अशुचि, आस्रव, संवर, निर्जरा, बोधदुर्लभ और धर्म इन बारह भावनाओंका स्वरूपाइन किया है। कविके सम्बन्ध में कुछ भी जानकारी प्राप्त नहीं होती। अनुमानतः कविका समय वि. की १५वीं शताब्दी प्रतीत होता है।
#Janhigale
आचार्यतुल्य जान्हिगले 15वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 26 मई 2022
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 26 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
इन्होंने 'अनुपेहारास' नामक उपदेशपद अन्ध लिखा है। इसमें अनित्य, अशरण, संसार, एकत्व, अनेकत्व, अशुचि, आस्रव, संवर, निर्जरा, बोधदुर्लभ और धर्म इन बारह भावनाओंका स्वरूपाइन किया है। कविके सम्बन्ध में कुछ भी जानकारी प्राप्त नहीं होती। अनुमानतः कविका समय वि. की १५वीं शताब्दी प्रतीत होता है।
Acharyatulya Janhigale 15th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 26 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
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Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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