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#KannadJainkavi
दक्षिण भारतमें कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम एवं तुलु ये पांच भाषाएँ प्रचलित हैं। इनमेंसे कन्नड़ और तमिल भाषा में पर्याप्त जैन साहित्य लिखा गया है । कन्नड़ साहित्य में गम्भीर चिन्तन, समुन्नत हार्दिक विचार एवं हृदय को गहनतम भावनाओं को अभिव्यक्ति विद्यमान है। इस साहित्यको व्यापकता की परिधिकी रेखाए कावेरीसे गोदावरीके सुरम्य अंचलको समेटतो हैं। इस साहित्यमें कन्नड़ प्रदेशकी धरतीको धवा समाहित है। बाल साहित्यको अभिवृद्धिमें जैन कवियोंका पोगदान कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।
दक्षिण भारतमें कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम एवं तुलु ये पांच भाषाएँ प्रचलित हैं। इनमेंसे कन्नड़ और तमिल भाषा में पर्याप्त जैन साहित्य लिखा गया है । कन्नड़ साहित्य में गम्भीर चिन्तन, समुन्नत हार्दिक विचार एवं हृदय को गहनतम भावनाओं को अभिव्यक्ति विद्यमान है। इस साहित्यको व्यापकता की परिधिकी रेखाए कावेरीसे गोदावरीके सुरम्य अंचलको समेटतो हैं। इस साहित्यमें कन्नड़ प्रदेशकी धरतीको धवा समाहित है। बाल साहित्यको अभिवृद्धिमें जैन कवियोंका पोगदान कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।
#KannadJainkavi
आचार्यतुल्य कन्नड़ जैन कवि (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 2 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 2 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
दक्षिण भारतमें कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम एवं तुलु ये पांच भाषाएँ प्रचलित हैं। इनमेंसे कन्नड़ और तमिल भाषा में पर्याप्त जैन साहित्य लिखा गया है । कन्नड़ साहित्य में गम्भीर चिन्तन, समुन्नत हार्दिक विचार एवं हृदय को गहनतम भावनाओं को अभिव्यक्ति विद्यमान है। इस साहित्यको व्यापकता की परिधिकी रेखाए कावेरीसे गोदावरीके सुरम्य अंचलको समेटतो हैं। इस साहित्यमें कन्नड़ प्रदेशकी धरतीको धवा समाहित है। बाल साहित्यको अभिवृद्धिमें जैन कवियोंका पोगदान कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।
Acharyatulya Kannad Jain Kavi (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 2 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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KannadJainkavi
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