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#Alhu
इन्होंने 'अणुवेकला' नामक ग्रंथ की रचना कर संसारकी असारता, अशुचिता, अनित्यता आदिका स्वरूप प्रस्तुत किया है। आत्मोत्थानके लिए अणुवेक्खाका अध्ययन उपयोगी है। रचनाकी भाषा और शैलीसे कविका समय १६वीं शती प्रतीत होता है।
इन्होंने 'अणुवेकला' नामक ग्रंथ की रचना कर संसारकी असारता, अशुचिता, अनित्यता आदिका स्वरूप प्रस्तुत किया है। आत्मोत्थानके लिए अणुवेक्खाका अध्ययन उपयोगी है। रचनाकी भाषा और शैलीसे कविका समय १६वीं शती प्रतीत होता है।
#Alhu
आचार्यतुल्य कवि अलहु 16वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 26 मई 2022
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 26 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
इन्होंने 'अणुवेकला' नामक ग्रंथ की रचना कर संसारकी असारता, अशुचिता, अनित्यता आदिका स्वरूप प्रस्तुत किया है। आत्मोत्थानके लिए अणुवेक्खाका अध्ययन उपयोगी है। रचनाकी भाषा और शैलीसे कविका समय १६वीं शती प्रतीत होता है।
Acharyatulya Kavi Alhu 16th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 26 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
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Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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