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#Brahmsadharan
इन्होंने कई कथानन्थोंकी रचना की है। इनने अपनी रचनाओंमें न तो अपना परिचय ही अंकित किया है और न रचनाकाल ही । कुन्द कुन्द-आम्नायमें रलकोत्ति, प्रभाचन्द्र, पचनन्दि, हरिमूषण, नरेन्द्रकीति, विधानन्दि और अन्नासाधारणके नाम प्राप्त होते हैं। ब्रह्मसाधारण भट्टारक नरेन्द्रकोत्तिके शिष्य थे। ब्रह्मसाधारणने प्रत्येक ग्रंथके पुष्पिकावाक्यमें अपने को नरेन्द्रकीतिका शिष्य कहा है। इनके कयाग्रंथोंकी प्रतिलिपि वि० सं० १५०८ को लिखी हुई प्राप्त है । अतएव इनका समय वि० सं० १५०८के पूर्व निश्चित है। गुरुपरम्परासे भी इनका समय वि० की १५वीं शती सिद्ध होता है।
गुरु | नरेंद्रकीर्ति |
इनकी निम्नलिखित रचनाएं प्राप्त हैं
१. कोइलपंचमीकहा,
२. मउडसत्तमीकहा,
३. रविवयकहा,
४. तियाल चवीसीकहा,
५. कुसुमंजलिकरा.
६. निसिसत्तम्नयकहा,
७. णिज्झर पंचमीकहा और
८. अणुपेहा ।
इन्होंने कई कथानन्थोंकी रचना की है। इनने अपनी रचनाओंमें न तो अपना परिचय ही अंकित किया है और न रचनाकाल ही । कुन्द कुन्द-आम्नायमें रलकोत्ति, प्रभाचन्द्र, पचनन्दि, हरिमूषण, नरेन्द्रकीति, विधानन्दि और अन्नासाधारणके नाम प्राप्त होते हैं। ब्रह्मसाधारण भट्टारक नरेन्द्रकोत्तिके शिष्य थे। ब्रह्मसाधारणने प्रत्येक ग्रंथके पुष्पिकावाक्यमें अपने को नरेन्द्रकीतिका शिष्य कहा है। इनके कयाग्रंथोंकी प्रतिलिपि वि० सं० १५०८ को लिखी हुई प्राप्त है । अतएव इनका समय वि० सं० १५०८के पूर्व निश्चित है। गुरुपरम्परासे भी इनका समय वि० की १५वीं शती सिद्ध होता है।
गुरु | नरेंद्रकीर्ति |
इनकी निम्नलिखित रचनाएं प्राप्त हैं
१. कोइलपंचमीकहा,
२. मउडसत्तमीकहा,
३. रविवयकहा,
४. तियाल चवीसीकहा,
५. कुसुमंजलिकरा.
६. निसिसत्तम्नयकहा,
७. णिज्झर पंचमीकहा और
८. अणुपेहा ।
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आचार्यतुल्य कवि ब्रह्मसाधारण 15वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 26 मई 2022
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 26 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
इन्होंने कई कथानन्थोंकी रचना की है। इनने अपनी रचनाओंमें न तो अपना परिचय ही अंकित किया है और न रचनाकाल ही । कुन्द कुन्द-आम्नायमें रलकोत्ति, प्रभाचन्द्र, पचनन्दि, हरिमूषण, नरेन्द्रकीति, विधानन्दि और अन्नासाधारणके नाम प्राप्त होते हैं। ब्रह्मसाधारण भट्टारक नरेन्द्रकोत्तिके शिष्य थे। ब्रह्मसाधारणने प्रत्येक ग्रंथके पुष्पिकावाक्यमें अपने को नरेन्द्रकीतिका शिष्य कहा है। इनके कयाग्रंथोंकी प्रतिलिपि वि० सं० १५०८ को लिखी हुई प्राप्त है । अतएव इनका समय वि० सं० १५०८के पूर्व निश्चित है। गुरुपरम्परासे भी इनका समय वि० की १५वीं शती सिद्ध होता है।
गुरु | नरेंद्रकीर्ति |
इनकी निम्नलिखित रचनाएं प्राप्त हैं
१. कोइलपंचमीकहा,
२. मउडसत्तमीकहा,
३. रविवयकहा,
४. तियाल चवीसीकहा,
५. कुसुमंजलिकरा.
६. निसिसत्तम्नयकहा,
७. णिज्झर पंचमीकहा और
८. अणुपेहा ।
Acharyatulya Kavi Brahmsadharan 15th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 26 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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Brahmsadharan
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