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#KaviRann

रन्न कविने 'अजितनाथपुराण'को रचना कर कन्नड़ साहित्यको समृद्ध बनाया है। कविके इस पुराणका रचनाकाल ई० सन् १९३ है। कविने अपनी इस रचनामें काव्यकला, कोमल कल्पना और निविड भावोंकी अभिव्यक्तिके साथ पौराणिक तथ्यों का भी समावेश किया है। कन्नड़के पोन्न कवि यदि संस्कृत के वागभट्ट हैं, तो रन्न वसुबन्धु । शृङ्गार और शान्तरसका सम्मिश्रण सुन्दर रूपमें पाया जाता है । चरित्र-चित्रणको दृष्टिसे भी रन्नका यह काव्य महत्त्वपूर्ण है । कविका दूसरा अन्य साहसभीम विजय' या 'गदायुद्ध' है ! इस ग्रन्थमें दश आश्वास हैं | चम्पू काव्य है । कविने महाभारतको कथाका सिंहावलोकन कर चालुक्य नरेश आइनमालका चरित्र अंकित किया है। कविका जन्म ई० सन् ९४९में हुआ है।
रन्न कविने 'अजितनाथपुराण'को रचना कर कन्नड़ साहित्यको समृद्ध बनाया है। कविके इस पुराणका रचनाकाल ई० सन् १९३ है। कविने अपनी इस रचनामें काव्यकला, कोमल कल्पना और निविड भावोंकी अभिव्यक्तिके साथ पौराणिक तथ्यों का भी समावेश किया है। कन्नड़के पोन्न कवि यदि संस्कृत के वागभट्ट हैं, तो रन्न वसुबन्धु । शृङ्गार और शान्तरसका सम्मिश्रण सुन्दर रूपमें पाया जाता है । चरित्र-चित्रणको दृष्टिसे भी रन्नका यह काव्य महत्त्वपूर्ण है । कविका दूसरा अन्य साहसभीम विजय' या 'गदायुद्ध' है ! इस ग्रन्थमें दश आश्वास हैं | चम्पू काव्य है । कविने महाभारतको कथाका सिंहावलोकन कर चालुक्य नरेश आइनमालका चरित्र अंकित किया है। कविका जन्म ई० सन् ९४९में हुआ है।
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आचार्यतुल्य कवि रण (प्राचीन)
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| Purnima Didi | +918552998307 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
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संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 3 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 3 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
रन्न कविने 'अजितनाथपुराण'को रचना कर कन्नड़ साहित्यको समृद्ध बनाया है। कविके इस पुराणका रचनाकाल ई० सन् १९३ है। कविने अपनी इस रचनामें काव्यकला, कोमल कल्पना और निविड भावोंकी अभिव्यक्तिके साथ पौराणिक तथ्यों का भी समावेश किया है। कन्नड़के पोन्न कवि यदि संस्कृत के वागभट्ट हैं, तो रन्न वसुबन्धु । शृङ्गार और शान्तरसका सम्मिश्रण सुन्दर रूपमें पाया जाता है । चरित्र-चित्रणको दृष्टिसे भी रन्नका यह काव्य महत्त्वपूर्ण है । कविका दूसरा अन्य साहसभीम विजय' या 'गदायुद्ध' है ! इस ग्रन्थमें दश आश्वास हैं | चम्पू काव्य है । कविने महाभारतको कथाका सिंहावलोकन कर चालुक्य नरेश आइनमालका चरित्र अंकित किया है। कविका जन्म ई० सन् ९४९में हुआ है।
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 3 June 2022
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Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
Acharyatulya Kavi Rann (Prachin)
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