मंगरसका गीतिकाव्य और प्रबन्धकाव्य निर्माताओं में महत्वपूर्ण स्थान है। इनका समय ई. सन् १५०८ है । कविने 'नेमिजिनेश्वर संगीत' और 'सम्यक्त्व कौमुदी' ग्रन्थोंकी रचना की है। नेमिजिनेश्वर संगीत में संगीतकी अपूर्व छटा उपलब्ध होती है । सभी राग रागनियां उनके चरणोंपर लोटती हैं ।
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परिचय
मंगरस
मंगरसका गीतिकाव्य और प्रबन्धकाव्य निर्माताओं में महत्वपूर्ण स्थान है। इनका समय ई. सन् १५०८ है । कविने 'नेमिजिनेश्वर संगीत' और 'सम्यक्त्व कौमुदी' ग्रन्थोंकी रचना की है। नेमिजिनेश्वर संगीत में संगीतकी अपूर्व छटा उपलब्ध होती है । सभी राग रागनियां उनके चरणोंपर लोटती हैं ।
मंगरसका गीतिकाव्य और प्रबन्धकाव्य निर्माताओं में महत्वपूर्ण स्थान है। इनका समय ई. सन् १५०८ है । कविने 'नेमिजिनेश्वर संगीत' और 'सम्यक्त्व कौमुदी' ग्रन्थोंकी रचना की है। नेमिजिनेश्वर संगीत में संगीतकी अपूर्व छटा उपलब्ध होती है । सभी राग रागनियां उनके चरणोंपर लोटती हैं ।