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#ManohardasPrachin
यह कवि धामपुरके निवासी थे । आसू साहके यहाँ इनका आश्रय था।सेठके सम्बन्धमें इन्होंने मनोरंजक घटना लिखी है। सेठको दरिद्रताके कारण वह बनारससे अयोध्या चले गये, किन्तु वहाँके मेठने सम्मान और पर सम्पत्तिके साथ वापस लौटा दिया। कविने होरामणिके उपदेश एवं आगरा निवासी सालिवाहण, हिसारके जगदत्त मिश्र तथा उसी नगरके रहनेवाले गंग राज के अनुरोधसे 'धर्मपरीक्षा' नामक ग्रन्थको रचना संवत् १७७५ में की है । यह रचना कहीं-कहीं बहुत सुन्दर है। इस अन्यका परिमाण ३००० पद्य है । कविने अपना परिचय निम्न प्रकार दिया है :--
कविता मनोहर खंडेलवाल सोनी जाति,
मूलसंधी मूल जाकी सागानेर वास है।
कर्म के उदय ते धामपुर में वसन भयो,
सबसौं मिलाप पुनि सज्जनको दास है।
व्याकरण छंद अलकार कछु पढ्यौ नाहि,
भाषामें निपुन तुच्छ बुद्धिका प्रकास है।
बाई दाहिनी कछू समझ संतोष लोय,
जिनकी दुहाई जाके जिन ही की आस है ।
यह कवि धामपुरके निवासी थे । आसू साहके यहाँ इनका आश्रय था।सेठके सम्बन्धमें इन्होंने मनोरंजक घटना लिखी है। सेठको दरिद्रताके कारण वह बनारससे अयोध्या चले गये, किन्तु वहाँके मेठने सम्मान और पर सम्पत्तिके साथ वापस लौटा दिया। कविने होरामणिके उपदेश एवं आगरा निवासी सालिवाहण, हिसारके जगदत्त मिश्र तथा उसी नगरके रहनेवाले गंग राज के अनुरोधसे 'धर्मपरीक्षा' नामक ग्रन्थको रचना संवत् १७७५ में की है । यह रचना कहीं-कहीं बहुत सुन्दर है। इस अन्यका परिमाण ३००० पद्य है । कविने अपना परिचय निम्न प्रकार दिया है :--
कविता मनोहर खंडेलवाल सोनी जाति,
मूलसंधी मूल जाकी सागानेर वास है।
कर्म के उदय ते धामपुर में वसन भयो,
सबसौं मिलाप पुनि सज्जनको दास है।
व्याकरण छंद अलकार कछु पढ्यौ नाहि,
भाषामें निपुन तुच्छ बुद्धिका प्रकास है।
बाई दाहिनी कछू समझ संतोष लोय,
जिनकी दुहाई जाके जिन ही की आस है ।
#ManohardasPrachin
आचार्यतुल्य मनोहरदास 18वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 29 मई 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 29 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
यह कवि धामपुरके निवासी थे । आसू साहके यहाँ इनका आश्रय था।सेठके सम्बन्धमें इन्होंने मनोरंजक घटना लिखी है। सेठको दरिद्रताके कारण वह बनारससे अयोध्या चले गये, किन्तु वहाँके मेठने सम्मान और पर सम्पत्तिके साथ वापस लौटा दिया। कविने होरामणिके उपदेश एवं आगरा निवासी सालिवाहण, हिसारके जगदत्त मिश्र तथा उसी नगरके रहनेवाले गंग राज के अनुरोधसे 'धर्मपरीक्षा' नामक ग्रन्थको रचना संवत् १७७५ में की है । यह रचना कहीं-कहीं बहुत सुन्दर है। इस अन्यका परिमाण ३००० पद्य है । कविने अपना परिचय निम्न प्रकार दिया है :--
कविता मनोहर खंडेलवाल सोनी जाति,
मूलसंधी मूल जाकी सागानेर वास है।
कर्म के उदय ते धामपुर में वसन भयो,
सबसौं मिलाप पुनि सज्जनको दास है।
व्याकरण छंद अलकार कछु पढ्यौ नाहि,
भाषामें निपुन तुच्छ बुद्धिका प्रकास है।
बाई दाहिनी कछू समझ संतोष लोय,
जिनकी दुहाई जाके जिन ही की आस है ।
Acharyatulya Manohardas 18th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 29 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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ManohardasPrachin
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