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#Meghraj

ये ब्रह्मजिनदासके प्रशिष्य और ब्रह्म शान्तिदासके शिष्य थे। मेघराज गुजः प्रदेशसे आये थे । इनको उभयभाषा कवि चक्रवर्ती भी कहा गया है। ये गज राती और मराठो दोनों भाषाओंमें रचना करनेकी शामता रखते थे। इनकी तीन रचनाएं उपलब्ध हैं-१. यशोधरचरित २. गिरिनारयात्रा ३. और पारिखनाथभवान्सर।
| दादा गुरु | ब्रह्मजिनदास |
| गुरु | ब्रह्मशान्तिदास |
यशोधरकी कथा संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, गुजरातो हिन्दी और कन्नड़ आदि भाषाओंमें लिखित उपलब्ध है। मेघराजने मराठी में इस कान्यकी रचना कर एक नयी परम्पराका सूत्रपात किया है।
गिरिनार यात्रामें यात्रावर्णन है। इस कृतिका प्रथम चरण मराठोमें और द्वितीय चरण गुजराती में लिखा गया उपलब्ध होता है। पावनाय भवान्तर कृतिमें पाश्चनायके पूर्वभवके सम्बन्धमें कथा वणितकी गयी है। इसमें उनके ९ भवोंकी कथा काव्य शैलीमें गुम्पित है ।
ये ब्रह्मजिनदासके प्रशिष्य और ब्रह्म शान्तिदासके शिष्य थे। मेघराज गुजः प्रदेशसे आये थे । इनको उभयभाषा कवि चक्रवर्ती भी कहा गया है। ये गज राती और मराठो दोनों भाषाओंमें रचना करनेकी शामता रखते थे। इनकी तीन रचनाएं उपलब्ध हैं-१. यशोधरचरित २. गिरिनारयात्रा ३. और पारिखनाथभवान्सर।
| दादा गुरु | ब्रह्मजिनदास |
| गुरु | ब्रह्मशान्तिदास |
यशोधरकी कथा संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, गुजरातो हिन्दी और कन्नड़ आदि भाषाओंमें लिखित उपलब्ध है। मेघराजने मराठी में इस कान्यकी रचना कर एक नयी परम्पराका सूत्रपात किया है।
गिरिनार यात्रामें यात्रावर्णन है। इस कृतिका प्रथम चरण मराठोमें और द्वितीय चरण गुजराती में लिखा गया उपलब्ध होता है। पावनाय भवान्तर कृतिमें पाश्चनायके पूर्वभवके सम्बन्धमें कथा वणितकी गयी है। इसमें उनके ९ भवोंकी कथा काव्य शैलीमें गुम्पित है ।
#Meghraj
आचार्यतुल्य मेघराज (प्राचीन)
| Name | Phone/Mobile 1 | Which Sangh/Maharaji/Aryika Ji you are associated with |
|---|---|---|
| Sangh Common Number | +919844033717 | #VardhamanSagarJiMaharaj1950DharmSagarJi |
| Hemal Jain | +918690943133 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
| Abhi Bantu | +919575455473 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
| Purnima Didi | +918552998307 | #SunilSagarJi1977SanmatiSagarJi |
| Varna Manish Bhai | +919352199164 | #KanaknandiJiMaharajKunthusagarji |
| Ankit Test | +919730016352 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj |
| Santosh Khule | +919850774639 | #PavitrasagarJiMaharaj1949SanmatiSagarJi1927 |
| Madhok Shaha | +919928058345 | #KanaknandiJiMaharajKunthusagarji |
| Siddharth jain Baddu | +917987281995 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #VishalSagarJiMaharaj1977VidyaSagarJi |
| Akshay Adadande | +919765069127 | #AcharyaShriVidyasagarjiMaharaj, #NiyamSagarJiMaharaj1957VidyaSagarJi |
| Mayur Jain | +918484845108 | #SundarSagarJiMaharaj1976SanmatiSagarJi, #VibhavSagarJiMaharaj1976ViragSagarJi, #PrabhavsagarjiPavitrasagarJiMaharaj1949, #MayanksagarjiRayansagarJiMaharaj1955 |
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 4 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 4 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
ये ब्रह्मजिनदासके प्रशिष्य और ब्रह्म शान्तिदासके शिष्य थे। मेघराज गुजः प्रदेशसे आये थे । इनको उभयभाषा कवि चक्रवर्ती भी कहा गया है। ये गज राती और मराठो दोनों भाषाओंमें रचना करनेकी शामता रखते थे। इनकी तीन रचनाएं उपलब्ध हैं-१. यशोधरचरित २. गिरिनारयात्रा ३. और पारिखनाथभवान्सर।
| दादा गुरु | ब्रह्मजिनदास |
| गुरु | ब्रह्मशान्तिदास |
यशोधरकी कथा संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, गुजरातो हिन्दी और कन्नड़ आदि भाषाओंमें लिखित उपलब्ध है। मेघराजने मराठी में इस कान्यकी रचना कर एक नयी परम्पराका सूत्रपात किया है।
गिरिनार यात्रामें यात्रावर्णन है। इस कृतिका प्रथम चरण मराठोमें और द्वितीय चरण गुजराती में लिखा गया उपलब्ध होता है। पावनाय भवान्तर कृतिमें पाश्चनायके पूर्वभवके सम्बन्धमें कथा वणितकी गयी है। इसमें उनके ९ भवोंकी कथा काव्य शैलीमें गुम्पित है ।
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 4 June 2022
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Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
#Meghraj
15000
Acharyatulya Meghraj (Prachin)
#Meghraj
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