'अर्धनेमिपुराण'के रचयिता कवि नेमिचन्द्र भी १३वीं शताब्दीके कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं। इन्होंने संस्कृत मिश्रित कन्नड़में संस्कृत छन्द लेकर अपने काव्यकी रचना की है। 'चम्पकशार्दूलवृत्त में प्रायः समस्त ग्रन्थ लिखा गया है । अनुप्रासकी छटा तो इतनी अधिक दिखलाई पड़ती है, जिससे इसके समक्ष कन्नड़का अन्य कोई कवि नहीं ठहर सकता है ।
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परिचय
नेमिचन्द्र
'अर्धनेमिपुराण'के रचयिता कवि नेमिचन्द्र भी १३वीं शताब्दीके कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं। इन्होंने संस्कृत मिश्रित कन्नड़में संस्कृत छन्द लेकर अपने काव्यकी रचना की है। 'चम्पकशार्दूलवृत्त में प्रायः समस्त ग्रन्थ लिखा गया है । अनुप्रासकी छटा तो इतनी अधिक दिखलाई पड़ती है, जिससे इसके समक्ष कन्नड़का अन्य कोई कवि नहीं ठहर सकता है ।
'अर्धनेमिपुराण'के रचयिता कवि नेमिचन्द्र भी १३वीं शताब्दीके कवियों में प्रमुख स्थान रखते हैं। इन्होंने संस्कृत मिश्रित कन्नड़में संस्कृत छन्द लेकर अपने काव्यकी रचना की है। 'चम्पकशार्दूलवृत्त में प्रायः समस्त ग्रन्थ लिखा गया है । अनुप्रासकी छटा तो इतनी अधिक दिखलाई पड़ती है, जिससे इसके समक्ष कन्नड़का अन्य कोई कवि नहीं ठहर सकता है ।