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#PanditJagmohandas
आरानिवासी पण्डित परमेष्ठी सहाय और पण्डित जगमोहनदासको हिन्दी जैनसाहित्यके इतिहाससे पृथक नहीं किया जा सकता है | श्री पण्डित परमेष्ठी . सहायने 'अर्थप्रकाशिका' नामक एक टीका जगमोहनदासकी तत्त्वार्थविषयक जिज्ञासाकी शान्ति के लिए लिखी है । इस ग्रन्थको प्रशस्तिमें बताया है
पूरब इक गंगातट धाम, अति सुन्दर आरा तिस नाम ।
तामैं जिन चैत्यालय लसे, अग्नवाल जैनी बहु बसे ||
बहु ज्ञाता जिनके जु रहाय, नाम तासु परमेष्ठी सहाय ।
जैनग्रन्थ रुचि बहु करे, मिथ्या घरम न चित्तमें घेरे ||
प्रशस्तिसे स्पष्ट है कि पण्डित परमेष्ठी सहायके पिताका नाम कीर्तिचन्द्र था। उन्हीं के पास इन्होंने आगमशास्त्रका अध्ययन किया था तथा अपनी कृतिअर्थप्रकाशिकाको जयपुर निवासी प्रसिद्ध बचानकार पण्डित सदासुखजी के पास संशोधनाथं भेजी थी।
पण्डित जगमोहनदास भी अच्छे कवि है। इनकी कविताओंका एक संग्रह 'धर्मरत्नोद्योत' नामसे स्व- पण्डित पन्नालालजी वाकलीवालके सम्पादकत्व में प्रकाशित हो चुका है। पण्डित सदासुखजीके समकालीन होनेसे कविका जन्म सं० १८६५के लगभग है।
आरानिवासी पण्डित परमेष्ठी सहाय और पण्डित जगमोहनदासको हिन्दी जैनसाहित्यके इतिहाससे पृथक नहीं किया जा सकता है | श्री पण्डित परमेष्ठी . सहायने 'अर्थप्रकाशिका' नामक एक टीका जगमोहनदासकी तत्त्वार्थविषयक जिज्ञासाकी शान्ति के लिए लिखी है । इस ग्रन्थको प्रशस्तिमें बताया है
पूरब इक गंगातट धाम, अति सुन्दर आरा तिस नाम ।
तामैं जिन चैत्यालय लसे, अग्नवाल जैनी बहु बसे ||
बहु ज्ञाता जिनके जु रहाय, नाम तासु परमेष्ठी सहाय ।
जैनग्रन्थ रुचि बहु करे, मिथ्या घरम न चित्तमें घेरे ||
प्रशस्तिसे स्पष्ट है कि पण्डित परमेष्ठी सहायके पिताका नाम कीर्तिचन्द्र था। उन्हीं के पास इन्होंने आगमशास्त्रका अध्ययन किया था तथा अपनी कृतिअर्थप्रकाशिकाको जयपुर निवासी प्रसिद्ध बचानकार पण्डित सदासुखजी के पास संशोधनाथं भेजी थी।
पण्डित जगमोहनदास भी अच्छे कवि है। इनकी कविताओंका एक संग्रह 'धर्मरत्नोद्योत' नामसे स्व- पण्डित पन्नालालजी वाकलीवालके सम्पादकत्व में प्रकाशित हो चुका है। पण्डित सदासुखजीके समकालीन होनेसे कविका जन्म सं० १८६५के लगभग है।
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आचार्यतुल्य पंडित जगमोहनदास या पंडित परमेष्ठी सहाय (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 2 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 2 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
आरानिवासी पण्डित परमेष्ठी सहाय और पण्डित जगमोहनदासको हिन्दी जैनसाहित्यके इतिहाससे पृथक नहीं किया जा सकता है | श्री पण्डित परमेष्ठी . सहायने 'अर्थप्रकाशिका' नामक एक टीका जगमोहनदासकी तत्त्वार्थविषयक जिज्ञासाकी शान्ति के लिए लिखी है । इस ग्रन्थको प्रशस्तिमें बताया है
पूरब इक गंगातट धाम, अति सुन्दर आरा तिस नाम ।
तामैं जिन चैत्यालय लसे, अग्नवाल जैनी बहु बसे ||
बहु ज्ञाता जिनके जु रहाय, नाम तासु परमेष्ठी सहाय ।
जैनग्रन्थ रुचि बहु करे, मिथ्या घरम न चित्तमें घेरे ||
प्रशस्तिसे स्पष्ट है कि पण्डित परमेष्ठी सहायके पिताका नाम कीर्तिचन्द्र था। उन्हीं के पास इन्होंने आगमशास्त्रका अध्ययन किया था तथा अपनी कृतिअर्थप्रकाशिकाको जयपुर निवासी प्रसिद्ध बचानकार पण्डित सदासुखजी के पास संशोधनाथं भेजी थी।
पण्डित जगमोहनदास भी अच्छे कवि है। इनकी कविताओंका एक संग्रह 'धर्मरत्नोद्योत' नामसे स्व- पण्डित पन्नालालजी वाकलीवालके सम्पादकत्व में प्रकाशित हो चुका है। पण्डित सदासुखजीके समकालीन होनेसे कविका जन्म सं० १८६५के लगभग है।
Acharyatulya Pandit Jagmohandas or Pandit Parmeshthi Sahay (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 2 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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PanditJagmohandas
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