हिन्दी जैन गद्यलेखकोंमें सबसे प्राचीन गद्यलेखक राजमल्ल हैं। इन्होंने वि० सं० १६०० के आस-पास समयसारको हिन्दी टोका लिखी है। महाकवि बनारसीदासने इन्हींकी टोकाके आधारपर 'नाटक समयसार'की रचना की है।
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परिचय
गद्यकार राजमल्ल
हिन्दी जैन गद्यलेखकोंमें सबसे प्राचीन गद्यलेखक राजमल्ल हैं। इन्होंने वि० सं० १६०० के आस-पास समयसारको हिन्दी टोका लिखी है। महाकवि बनारसीदासने इन्हींकी टोकाके आधारपर 'नाटक समयसार'की रचना की है।
हिन्दी जैन गद्यलेखकोंमें सबसे प्राचीन गद्यलेखक राजमल्ल हैं। इन्होंने वि० सं० १६०० के आस-पास समयसारको हिन्दी टोका लिखी है। महाकवि बनारसीदासने इन्हींकी टोकाके आधारपर 'नाटक समयसार'की रचना की है।