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#RatnakarVarni
आध्यात्मिक साहित्यके निर्माताओंमें कधि रत्नाकर वर्णीका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने भरतेवावैभव, रत्नाकर शतक, अपराजितशतक, आदि ग्रन्यों की रचना की है। भरतेशवभवका माधुर्य, तो संस्कृतके गीत गोविन्दसे भी बढ़कर है। यह ग्रन्थ आज भी कन्नइ प्रान्तमें लोगोंका कण्ठहार बना हमा है । तुलसीदासके 'रामचरितमानस के समान इसके भी दो चार पद निरक्षर भट्टाचार्योको याद हैं। संगीतकी दृष्ट्रिसे इस ग्रन्थका अत्यधिक महत्त्व है । इस ग्रन्थका रचनाकाल ई० सन् १९५३ है । महाकाठन और गीतिकाव्यका आनन्द इस एक हो मन्यसे लिया जा सकता है।
आध्यात्मिक साहित्यके निर्माताओंमें कधि रत्नाकर वर्णीका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने भरतेवावैभव, रत्नाकर शतक, अपराजितशतक, आदि ग्रन्यों की रचना की है। भरतेशवभवका माधुर्य, तो संस्कृतके गीत गोविन्दसे भी बढ़कर है। यह ग्रन्थ आज भी कन्नइ प्रान्तमें लोगोंका कण्ठहार बना हमा है । तुलसीदासके 'रामचरितमानस के समान इसके भी दो चार पद निरक्षर भट्टाचार्योको याद हैं। संगीतकी दृष्ट्रिसे इस ग्रन्थका अत्यधिक महत्त्व है । इस ग्रन्थका रचनाकाल ई० सन् १९५३ है । महाकाठन और गीतिकाव्यका आनन्द इस एक हो मन्यसे लिया जा सकता है।
#RatnakarVarni
आचार्यतुल्य रत्नाकर वर्णी 20वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 3 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 3 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
आध्यात्मिक साहित्यके निर्माताओंमें कधि रत्नाकर वर्णीका महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन्होंने भरतेवावैभव, रत्नाकर शतक, अपराजितशतक, आदि ग्रन्यों की रचना की है। भरतेशवभवका माधुर्य, तो संस्कृतके गीत गोविन्दसे भी बढ़कर है। यह ग्रन्थ आज भी कन्नइ प्रान्तमें लोगोंका कण्ठहार बना हमा है । तुलसीदासके 'रामचरितमानस के समान इसके भी दो चार पद निरक्षर भट्टाचार्योको याद हैं। संगीतकी दृष्ट्रिसे इस ग्रन्थका अत्यधिक महत्त्व है । इस ग्रन्थका रचनाकाल ई० सन् १९५३ है । महाकाठन और गीतिकाव्यका आनन्द इस एक हो मन्यसे लिया जा सकता है।
Acharyatulya Ratnakar Varni 20th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 3 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
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15000
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RatnakarVarni
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