हैशटैग
#Saliwahan
कवि सालिवाहन भदावर प्रान्तके कञ्चनपुर नगरके निबासो थे । कविके पिताका नाम रावत खरगसेन और गुरुका नाम भट्टारक नगभूषण था | इन्होंने वि० सं० १६९५में आगरा में रहकर जिनसेनाचारिकृत संस्कृत के हरिवंशपुराण का हिन्दीमें पद्यानुवाद उपस्थित किया है। हरिवंशपुराणकी प्रशस्तिसे अव
गत होता है कि कविने उक्त दोहा-चोपाईबद्ध रचना आगराकी साहित्य भूमिमें ही सम्पन्न की है।
संवत् सोरहिसे तहाँ भये तापरि अधिक पचानबे गये ।
माघ मास किसन पक्ष जानि सोमवार सुभवार बखानि ।
...."मट्टारक जगभूषण देव गनपर साद्रस वाकि जुएइ ।
......."नगर आगिरौ उत्तम थानु साहिजहाँ सपे दुजो भान ।।
....."बाहन करी चौपईबन्धु, हीनबुधि मेरी मति अंधु ।
कवि सालिवाहन भदावर प्रान्तके कञ्चनपुर नगरके निबासो थे । कविके पिताका नाम रावत खरगसेन और गुरुका नाम भट्टारक नगभूषण था | इन्होंने वि० सं० १६९५में आगरा में रहकर जिनसेनाचारिकृत संस्कृत के हरिवंशपुराण का हिन्दीमें पद्यानुवाद उपस्थित किया है। हरिवंशपुराणकी प्रशस्तिसे अव
गत होता है कि कविने उक्त दोहा-चोपाईबद्ध रचना आगराकी साहित्य भूमिमें ही सम्पन्न की है।
संवत् सोरहिसे तहाँ भये तापरि अधिक पचानबे गये ।
माघ मास किसन पक्ष जानि सोमवार सुभवार बखानि ।
...."मट्टारक जगभूषण देव गनपर साद्रस वाकि जुएइ ।
......."नगर आगिरौ उत्तम थानु साहिजहाँ सपे दुजो भान ।।
....."बाहन करी चौपईबन्धु, हीनबुधि मेरी मति अंधु ।
#Saliwahan
आचार्यतुल्य सलिवाहन 17वीं शताब्दी (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 28 मई 2022
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 28 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
कवि सालिवाहन भदावर प्रान्तके कञ्चनपुर नगरके निबासो थे । कविके पिताका नाम रावत खरगसेन और गुरुका नाम भट्टारक नगभूषण था | इन्होंने वि० सं० १६९५में आगरा में रहकर जिनसेनाचारिकृत संस्कृत के हरिवंशपुराण का हिन्दीमें पद्यानुवाद उपस्थित किया है। हरिवंशपुराणकी प्रशस्तिसे अव
गत होता है कि कविने उक्त दोहा-चोपाईबद्ध रचना आगराकी साहित्य भूमिमें ही सम्पन्न की है।
संवत् सोरहिसे तहाँ भये तापरि अधिक पचानबे गये ।
माघ मास किसन पक्ष जानि सोमवार सुभवार बखानि ।
...."मट्टारक जगभूषण देव गनपर साद्रस वाकि जुएइ ।
......."नगर आगिरौ उत्तम थानु साहिजहाँ सपे दुजो भान ।।
....."बाहन करी चौपईबन्धु, हीनबुधि मेरी मति अंधु ।
Acharyatulya Saliwahan 17th Century (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 28 May 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
#Saliwahan
15000
#Saliwahan
Saliwahan
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