यह कवि पण्डित गंगादासके शिष्य थे । भट्टारक सकलकोतिके उपदेशसे सं० १६३२ में धर्मसार नामक दोहा-चौपाईबद्ध अन्य सिहरोन नगरमें रचा है। इस नगरके शासक उस समय राजा देवीसिंह थे। इस ग्रन्थमें कुल ७५५ दोहा-चापाई है । रसना स्वतन्य है, किसीका अनुवाद नहीं।
गुरु
कवि पण्डित गंगादास
All Chaturmas Details
परिचय
शिरोमणिदास
यह कवि पण्डित गंगादासके शिष्य थे । भट्टारक सकलकोतिके उपदेशसे सं० १६३२ में धर्मसार नामक दोहा-चौपाईबद्ध अन्य सिहरोन नगरमें रचा है। इस नगरके शासक उस समय राजा देवीसिंह थे। इस ग्रन्थमें कुल ७५५ दोहा-चापाई है । रसना स्वतन्य है, किसीका अनुवाद नहीं।
यह कवि पण्डित गंगादासके शिष्य थे । भट्टारक सकलकोतिके उपदेशसे सं० १६३२ में धर्मसार नामक दोहा-चौपाईबद्ध अन्य सिहरोन नगरमें रचा है। इस नगरके शासक उस समय राजा देवीसिंह थे। इस ग्रन्थमें कुल ७५५ दोहा-चापाई है । रसना स्वतन्य है, किसीका अनुवाद नहीं।