हिन्दी वर्चानकाकारों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। टीकाकार होने के साथ ये कवि भी हैं । कथाकोशछन्दोबद्ध, बुधप्रकाशछन्दोबद्ध तथा कई पूजाएं पाबद्ध हैं। बमिकाओं में तत्त्वार्थकी श्रुतसागरी टीकाकी वनिका, सं० १८३७ में और सुदृष्टि तरंगिणौकी बचनिका सं० १८३८ में लिखी है । 'षटपाहड'की वचनिका भी इनकी उपलब्ध है।
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परिचय
टेकचंद
हिन्दी वर्चानकाकारों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। टीकाकार होने के साथ ये कवि भी हैं । कथाकोशछन्दोबद्ध, बुधप्रकाशछन्दोबद्ध तथा कई पूजाएं पाबद्ध हैं। बमिकाओं में तत्त्वार्थकी श्रुतसागरी टीकाकी वनिका, सं० १८३७ में और सुदृष्टि तरंगिणौकी बचनिका सं० १८३८ में लिखी है । 'षटपाहड'की वचनिका भी इनकी उपलब्ध है।
हिन्दी वर्चानकाकारों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। टीकाकार होने के साथ ये कवि भी हैं । कथाकोशछन्दोबद्ध, बुधप्रकाशछन्दोबद्ध तथा कई पूजाएं पाबद्ध हैं। बमिकाओं में तत्त्वार्थकी श्रुतसागरी टीकाकी वनिका, सं० १८३७ में और सुदृष्टि तरंगिणौकी बचनिका सं० १८३८ में लिखी है । 'षटपाहड'की वचनिका भी इनकी उपलब्ध है।