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#VeerdasPrachin
इनका गृहस्थ नाम वीरदास है और ये त्यागी होने के पश्चात् पासकोतिके नामसे प्रसिद्ध हुए हैं। ये कारंजाके बलात्कारगणके भट्टारक धर्मचन्द द्वितीयके शिष्य हैं । इनका जन्म सोहित काल जाति में हुआ था। इन्होंने शक संवत् १५४९ में 'सुदर्शनचरित' की रचना की है और शक संवत् १६४५ में आवियाँकी । 'सुदर्शनचरित' में सेठ सुदर्शनकी कया अंकित है। इसमें शीलवत और पंच नमस्कार मन्त्रका माहात्म्य बतलाया गया है। इसमें २५ प्रसंग हैं। ओवियां में ७५ मोवियोंका संग्रह है। इसे बहत्तरी भी कहा गया है। इस ग्रन्थमें बका रादि कमसे धर्म विषयक स्फुट विचारोंका संकलन किया गया है ।
इनका गृहस्थ नाम वीरदास है और ये त्यागी होने के पश्चात् पासकोतिके नामसे प्रसिद्ध हुए हैं। ये कारंजाके बलात्कारगणके भट्टारक धर्मचन्द द्वितीयके शिष्य हैं । इनका जन्म सोहित काल जाति में हुआ था। इन्होंने शक संवत् १५४९ में 'सुदर्शनचरित' की रचना की है और शक संवत् १६४५ में आवियाँकी । 'सुदर्शनचरित' में सेठ सुदर्शनकी कया अंकित है। इसमें शीलवत और पंच नमस्कार मन्त्रका माहात्म्य बतलाया गया है। इसमें २५ प्रसंग हैं। ओवियां में ७५ मोवियोंका संग्रह है। इसे बहत्तरी भी कहा गया है। इस ग्रन्थमें बका रादि कमसे धर्म विषयक स्फुट विचारोंका संकलन किया गया है ।
#VeerdasPrachin
आचार्यतुल्य वीरदास या पस्किर्ति (प्राचीन)
संजुल जैन ने महाराज जी का विकी पेज बनाया है तारीख 4 जून 2022
दिगजैनविकी आभारी है
बालिकाई शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
नेमिनाथ जी शास्त्री (बाहुबली-कोल्हापुर )
परियोजना के लिए पुस्तकों को संदर्भित करने के लिए।
लेखक:- पंडित श्री नेमीचंद्र शास्त्री-ज्योतिषाचार्य
आचार्य शांति सागर छानी ग्रंथ माला
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 4 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
इनका गृहस्थ नाम वीरदास है और ये त्यागी होने के पश्चात् पासकोतिके नामसे प्रसिद्ध हुए हैं। ये कारंजाके बलात्कारगणके भट्टारक धर्मचन्द द्वितीयके शिष्य हैं । इनका जन्म सोहित काल जाति में हुआ था। इन्होंने शक संवत् १५४९ में 'सुदर्शनचरित' की रचना की है और शक संवत् १६४५ में आवियाँकी । 'सुदर्शनचरित' में सेठ सुदर्शनकी कया अंकित है। इसमें शीलवत और पंच नमस्कार मन्त्रका माहात्म्य बतलाया गया है। इसमें २५ प्रसंग हैं। ओवियां में ७५ मोवियोंका संग्रह है। इसे बहत्तरी भी कहा गया है। इस ग्रन्थमें बका रादि कमसे धर्म विषयक स्फुट विचारोंका संकलन किया गया है ।
Acharyatulya Veerdas or Paaskirti (Prachin)
Sanjul Jain Created Wiki Page Maharaj ji On Date 4 June 2022
Digjainwiki is Thankful to
Balikai Shashtri ( Bahubali - Kholapur)
Neminath Ji Shastri ( Bahubali - Kholapur)
for referring the books to the project.
Author :- Pandit Nemichandra Shashtri - Jyotishacharya
Acharya Shanti Sagar Channi GranthMala
#VeerdasPrachin
15000
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VeerdasPrachin
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