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#DiyvamatijiVardhamansagarj
Aryika Divya Mati Mataji is from the Sangh of Shri Vardhaman Sagar Ji Maharaji.
She took Yam Sallekhna and had samadhi death on 10th day of Yam Sallekhna on 06-October-20 at 8:57 pm in Belgaum
आर्यिका श्री दिव्य मति माताजी
नियम सल्लेखना से यम
सल्लेखना की ओर अग्रसर
यथा नाम तथा गुण
बीसवीं सदी के प्रथम दिगंबराचार्य
चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री
शान्ति सागर जी महाराज की
अक्षुण्ण परम्परा के पंचम
पट्टाधीश और २१वीं सदी के श्रेष्ठ
एवं महान निर्यापकाचार्य वात्सल्य
वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान
सागर जी महाराज की
संघस्था नियम सल्लेखना
धारी परम् पूज्य आर्यिका श्री
दिव्य मति माताजी का दिनांक 4 सितंबर २०२० को कर्नाटक के बेलगाम की पावन भूमि पर संस्तरारोहण किया गया।
पूज्य आर्यिका माताजी ने १२ वर्ष पूर्व आसोज सुदी दशमी को सम्मेद शिखर तीर्थ पर अपनी क्षुल्लिका दीक्षा के समय ही १२ वर्ष की सल्लेखना को धारण कर लिया था।
पूज्य आर्यिका माताजी का जन्म भारतवर्ष की मरुधरा, राजस्थान के लाडनूँ में गणेशमल जी नेमा देवी पहाड़िया के घर पर हुआ
और उनका नामकरण किया गया पान्ना देवी।
माता पिता के धार्मिक संस्कारों का उनके जीवन पर अतिशय प्रभाव पड़ा।
छोटी अवस्था में ही पान्ना देवी ने बीसवीं सदी के प्रथम दिगंबराचार्य महान तपस्वी चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज की सल्लेखना के समय कुंथलगिरि में उनके दर्शन किए।
पान्ना बाई का विवाह सुजानगढ़ निवासी बाबूलाल जी सेठी के साथ संपन्न हुआ। गृहस्थ अवस्था में रहते हुए पान्ना बाई ने अपने धार्मिक संस्कारों को और दृढ़ करना प्रारम्भ कर दिया और वो मुनियों को आर्यिका माताजी आदि को आहार आदि देने में विशेष रूचि लेने लगी।
परम पूज्य गणिनी आर्यिका श्री सुपार्श्वमती माताजी के पूर्वोत्तर विहार काल में पान्ना बाई के धार्मिक संस्कारों को और मजबूती मिली।
उन्होंने अपने जीवन काल में आचार्य शान्ति सागर जी महाराज की परम्परा के समस्त आचार्यों के और बीसवीं सदी के लगभग सभी महान दिगंबर जैनाचार्यों के दर्शन करने का। उनको आहार देने का पुण्य लाभ लिया।
पूज्य आर्यिका माताजी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में पान्ना देवी तप और साधना के मार्ग में बढ़ने लगी और व्रत उपवास आदि करने लगी।
पति के वियोग के पश्चात् वो पूर्णतया धर्म मार्ग में रत रहने लगी और मोक्ष मार्ग पर कदम बढ़ाया।
गणिनी आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी की सद्प्रेरणा से वो आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज की शरण में आई और फिर सन 2008 में सम्मेदशिखर की पावन भूमि पर क्षुल्लिका दीक्षा धारण की
और सन 2010 में कोलकाता महानगरी में विशाल जन समूह के समक्ष आर्यिका दीक्षा धारण की।
आचार्य भगवन ने नामकरण किया आर्यिका दिव्य मति।
अपने नाम के अनुसार ही आर्यिका श्री ने मनुष्य भव को दिव्य बनाने का प्रयास प्रारम्भ कर दिया।
दीक्षा के साथ ही आर्यिका श्री ने आहार में केवल तीन रस लेने का नियम ले लिया और चार धान गेहूँ, चावल, मूंग और तुहर रख कर बाकी धान का आजीवन त्याग कर दिया।
सन २०१६ में सिद्धवर कूट में चातुर्मास के दौरान आर्यिका श्री ने नियम सल्लेखना के व्रत को आगे बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया और पर्व आदि पर एकांतर उपवास करने लगे।
फिर श्रवणबेलगोला श्री क्षेत्र पर गोम्मटेश्वर भगवान् बाहुबली के दर्शन कर आर्यिका श्री को मानो अपनी आत्मा के दिव्य तेज को प्राप्त करने की इच्छा प्रबल हो उठी और बाहुबली सम तपस्वी बनकर मोक्ष पथ पर बढ़ने की ठान ली। चातुर्मास के दौरान से वे एक उपवास एक पारणा और कभी कभी बेला तेला करने लगे। फिर सन्ने सन्ने आहार में दो रस और फिर एक ही रस लेने का नियम ले लिया।
फिर बेलगाम चातुर्मास के दौरान नियम सल्लेखना का समय पूर्ण होता जानकर अनाज का आजीवन त्याग कर दिया और श्रावण मास में घी और दूध का भी आजीवन त्याग कर दिया।
हाल ही में भाद्रपद में माताजी ने दसलक्षण व्रत उपवास किये। नियम सल्लेखना की पूर्णता को निकट जान निर्यापक आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ने दिनांक 4 सितम्बर को आर्यिका श्री का चतुर्विध संघ के सामने देव शास्त्र गुरु की साक्षी पूर्वक संस्तरारोहण किया।
*संस्तरारोहण* अर्थात जिस क्षपक की समाधि का समय निकट आ गया है वह उत्कृष्ट क्षपक (समाधि साधक) जिस पर लेटता है उसे संस्तर कहते है और जब क्षपक इस संस्तर को स्वीकार कर लेता है तो उस क्रिया को संस्तरारोहण कहते है।
अपने जीवन काल में माताजी ने अनेक उपवास व्रत आदि किये, जो निम्न प्रकार है।
दसलक्षण व्रत - 6 बार
अष्टाह्निक व्रत - 4 बार
चारित्र शुद्धि के 1234 उपवास
नंदीश्वर व्रत के 56 उपवास
तत्वार्थ सूत्र के 11 उपवास
चौरासी लाख योनि के 84 उपवास
सम्मेदशिखर व्रत के 24 उपवास
भक्तामर के 48 उपवास
दिव्य पंक्ति के 204 उपवास
सहस्र नाम के 11 उपवास
13 प्रकार के चारित्र के 13 उपवास
चन्द्रप्रभ व्रत के 8 उपवास
और कई बेले तेले आदि किये।इस प्रकार पूज्य माताजी ने अनेक व्रत उपवास को धारण किया।
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज की जय
क्षपक आर्यिका श्री दिव्य मति माताजी की जय।
राकेश सेठी कोलकाता 983025546
#DiyvamatijiVardhamansagarj
आर्यिका श्री १०५ दिव्यमती माताजी
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj (Vatsalya Varidhi)
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५० (वात्सल्य वारिधी) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj (Vatsalya Varidhi)
VardhamansagarjiDharmsagarji
Aryika Divya Mati Mataji is from the Sangh of Shri Vardhaman Sagar Ji Maharaji.
She took Yam Sallekhna and had samadhi death on 10th day of Yam Sallekhna on 06-October-20 at 8:57 pm in Belgaum
Aryika Shri 105 Divyamati Mataji
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५० (वात्सल्य वारिधी) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj (Vatsalya Varidhi)
आचार्य श्री १०८ वर्धमान सागरजी महाराज १९५० (वात्सल्य वारिधी) Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj (Vatsalya Varidhi)
Acharya Shri 108 Vardhaman Sagarji Maharaj (Vatsalya Varidhi)
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